इस वर्ष लीची से होंगे किसान मालामाल. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

इस वर्ष लीची से होंगे किसान मालामाल.

लीची के लिए मशहूर बिहार में इस साल यह फल रस से लबालब होगा और इसकी पैदावार भी बढ़ेगी। इस साल लीची की पैदावार में पिछले वर्ष की तुलना में 15 प्रतिशत का इजाफा होने की संभावना है। वैसे पिछले दिनों राज्यभर में चली आंधी से इस फसल को कुछ नुकसान अवश्य हुआ है। यूं तो उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, असम और बिहार में लीची की खेती की जाती है, लेकिन देश के कुल लीची उत्पादन में बिहार की हिस्सेदारी 74 प्रतिशत है। बिहार में कुल 30,600 हेक्टेयर भूमि में लीची की खेती की जाती है। आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2009-10 में राज्य में कुल 215 टन लीची का उत्पादन हुआ था।

राज्य में लीची की उत्पादकता को देखते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) ने वर्ष 2001 में मुजफ्फरपुर में लीची के लिए एक राष्ट्रीय शोध संस्थान (एनआरसी) की स्थापना की। वैसे तो राज्य के कई जिलों में लीची की खेती की जाती है, लेकिन मुजफ्फरपुर लीची की खेती का मुख्य केंद है। संस्थान के डायरेक्टर विशाल नाथ ने बताया कि राज्य में इस साल लीची के उत्पादन में वृद्धि की संभावना नजर आ रही है। वह कहते हैं कि राज्य में शाही, चाइना, लौंगिया, बेखना सहित कई प्रकार की लीची का उत्पादन किया जाता है, लेकिन शाही और चाइना लीची का उत्पादन सर्वाधिक होता है। वह कहते हैं कि ये दोनों प्रकार की लीचियां, लीचियों की सर्वश्रेष्ठ किस्में मानी जाती हैं। शाही और चाइना लीची में जितना रस होता है, वह अन्य किस्म की लीची में नहीं होता।

नाथ कहते हैं कि इस वर्ष अभी तक का जो मौसम रहा है वह लीची की खेती के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले दो सप्ताह में जो हल्की बारिश हुई और उचित तापमान रहा वह लीची के लिए उपयुक्त था। आंधी के कारण लीची को कुछ नुकसान हुआ है, लेकिन नुकसान मामूली है। उन्होंने बताया कि अनुमान के मुताबिक, पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष लीची के उत्पादन में 15 प्रतिशत की वृद्धि तय मानी जा रही है। अभी तक तेज धूप या ज्यादा गर्मी नहीं हुई है, जिस कारण लीची में फटने की या रस की कमी की शिकायत भी नहीं के बराबर है। इस कारण लीची के फलों का विकास भी अब तक सही हो रहा है। उनका मानना है कि 15 से 20 मई तक लीची बाजार में आने की संभावना है। उन्होंने बताया कि लीची तोड़ने का काम जून के पहले सप्ताह तक चलेगा।

नाथ राज्य में लीची के उत्पादन में वृद्धि का एक बड़ा कारण मौसम की उपयुक्तता के अलावा एनआरसी के वैज्ञानिकों द्वारा किसानों के बीच बेहतर तरीके से कृषि के तरीके को बताने को भी मानते हैं। वह कहते हैं कि लीची के उत्पादन में वृद्धि के कारण किसान भी इससे जुड़ रहे हैं। इधर, लीची के उत्पादन में वृद्धि की संभावना को लेकर लीची किसान भी खुश हैं। मुजफ्फरपुर के लीची किसान सुनील कुमार बताते हैं कि पिछले वर्ष की तुलना में इस साल लीची का उत्पादन बढ़ना तय है। उन्होंने बताया कि लीची के उत्पादन में पिछले वर्ष कमी आ गई थी, लेकिन उन्हें इस बात का भी डर है कि कहीं ऐसा न हो कि इस साल उत्पादन में वृद्धि के कारण कहीं लीची का उचित मूल्य ही किसानों को न मिल पाए।

एक अन्य लीची उत्पादक बताते हैं कि बिहार की शाही लीची का दबदबा दिल्ली, मुंबई, कोलकाता जैसे कई बड़ों शहरों के बाजारों में तो है ही, इसके अलावा खाड़ी देशों और नेपाल में इसका निर्यात भी होता है।

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

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