सुप्रीम कोर्ट ने पीयुष गुहा को जमानत दे दी जिन्हें राजद्रोह के मामले में मानवाधिकार कार्यकर्ता बिनायक सेन के साथ गिरफ्तार किया गया था और दोषी ठहराए जाने के बाद उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी. न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी और सी के प्रसाद की एक अवकाश पीठ ने गुहा को सुनाई गई उम्र कैद की सजा निलंबित कर दी और उन्हें जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया. पीठ ने गुहा को दो लाख रूपये की जमानत और एक-एक लाख रूपये के दो मुचलके भरने का आदेश भी दिया.
कोलकाता के उद्योगपति गुहा को सेन तथा नक्सली विचारधारा के समर्थक नारायण सान्याल के साथ देश के खिलाफ युद्ध के लिए एक नेटवर्क स्थापित करने की खातिर नक्सलियों के साथ सांठगांठ करने का दोषी ठहराया गया था. इन लोगों को निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी. निचली अदालत के फैसले को गुहा ने छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी जिसने उन्हें इस मामले में जमानत देने से इंकार कर दिया था.
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