संसद के मानसून सत्र पर सबकी नज़र. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 1 अगस्त 2011

संसद के मानसून सत्र पर सबकी नज़र.


 संसद के मानसून सत्र पर सबकी नजर है खासकर लोकपाल बिल की वजह से। इसके अलावा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाला, राष्ट्रमंडल घोटाला, रिलायंस तेल ब्लॉक, आदर्श सोसाइटी घोटाला और भूमि अधिग्रहण विवाद पर चौतरफा घिरी सरकार को मानसून सत्र परेशानी में डाल सकता है, हालांकि विपक्ष के तेवरों को देखते हुए सरकार ने भी मानसून सत्र के दौरान किसी भी हमले का जवाब देने के लिए पेशबंदी शुरू कर दी है।  

सूत्रों ने बताया कि इसकी शुरुआत सोमवार को उस समय हो गई जब सत्र के एक दिन पहले प्रधानमंत्री व लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज एक दूसरे पर बाण छोड़ने से नहीं चूके। इससे साफ हो गया कि आज से शुरु हो रहे संसद सत्र में बिजलियां कड़कनी तय है। मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार पर विपक्ष को कठघरे में खड़ा करने को कहा तो विपक्ष ने भी कहा है कि संसद में सरकार को अपनी वास्तविक शक्ति दिखाएगा। कर्नाटक में मुख्यमंत्री येद्दयुरप्पा को हटाने के बाद भाजपा हमलावर हो गई है और 2जी घोटाले में प्रधानमंत्री से इस्तीफा मांगेगी, तो सरकार, कर्नाटक पर विपक्ष को कठघरे में खड़ा करेगी।

लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने रविवार को लोकसभा में सभी दलों के नेताओं की बैठक संसद सत्र को सुचारु ढंग से चलाने के लिए बुलाई थी, लेकिन बात कुछ बनी नहीं। बैठक के बाद प्रधानमंत्री ने 2जी घोटाले व अन्य भ्रष्टाचार के मुद्दों पर सरकार को घेरे जाने के सवाल पर कहा कि, 'हमें भ्रष्टाचार के मुद्दे पर संसद में बहस से कोई डर नहीं है। विपक्ष को घेरने वाले भी तमाम मुद्दे हमारे पास है। हम किसी भी विषय पर चर्चा के लिए तैयार हैं।' इसके तुरंत बाद लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज ने पलटवार किया। प्रधानमंत्री पर टकराव की शुरुआत करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा कि, 'प्रधानमंत्री के तरकश में जितने तीर हैं, चलाकर देख ले। सोमवार को देखेंगे, कौन किस पर वार करता है।' उधर, रविवार की देर शाम वित्त मंत्री ने सभी प्रमुख विपक्षी दलों से संसद को चलाने के लिए मदद की गुहार लगाई है। इसके लिए वह भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी एवं विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से मुलाकात की। हालांकि इस बैठक का खास नतीजा नहीं निकला क्योंकि भाजपा महंगाई व भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सदन में मतदान के नियम के तहत चर्चा चाहती है, सरकार इसके लिए तैयार नहीं है।

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