अन्ना हजारे ने भ्रष्ट लोगों को थप्पड़ मारने वाले मीडिया में आए अपने बयान को खारिज कर दिया है। उन्होंन अपने ब्लॉग में लिखा है कि ' पिछले 30 साल से मैं करप्ट लोगों के खिलाफ लड़ रहा हूं , न मैंने किसी को थप्पड़ मारा है , न ही किसी को मारने के लिए कहा , फिर भी थप्पड़ वाले बयान को मेरे साथ जोड़ा जा रहा है। ' उन्होंने कहा है कि ' एक साजिश के तहत थप्पड़ वाले बयान को मेरे साथ जोड़ा जा रहा। ऐसा माहौल बनाया जा रहा कि मैं देश का बड़ा अपराधी हूं। '
अन्ना ने ब्लॉग में लिखा है कि ' गांधीजी के साथ मेरी तुलना ठीक नहीं। गांधीजी ने तो किसी के लिए कठोर शब्द प्रयोग करने का भी शुमार हिंसा में किया है , लेकिन मैंने कई बार देश और समाज के साथ गद्दारी करने वालों का विरोध कर कठोर शब्दों का प्रयोग किया है , जो कि मैं मानता हूं कि देश और समाज की भलाई के ही लिए किया है , हालांकि गांधीजी के विचारों में वह भी हिंसा ही है। '
थप्पड़ वाले बयान पर उन्होंने कहा कि हमारे कार्यकर्ता यह सन्देश ले आए कि एक फिल्म बनी है ' गली - गली चोर है ' जो कि भ्रष्टाचार खत्म करने के विषय पर बनाई गई है। मुझे फिल्म दिखाने की उनकी तीव्र इच्छा थी और चूंकि भ्रष्टाचार खत्म करने के विषय पर आधारित थी , इसलिए फिल्म देखने को मैं राजी हो गया। मैंने फिल्म देखी। फिल्म में एक ऐसे परिवार के बारे में दिखाया गया है जो भ्रष्टाचार से त्रस्त है। भ्रष्ट नेता , पुलिस और ऑफिसर मिलकर उस परिवार का जीना मुश्किल कर देते हैं। उस परिवार को झूठे मुकदमों में फंसाया जाता है , उसे बेघर कर दिया जाता है। आखिर उस परिवार के मुखिया का धैर्य जवाब दे जाता है। वह एमएलए और पुलिस ऑफिसर को थप्पड़ जड़ता है और जनता को संगठित कर भष्टाचार के खिलाफ आंदोलन खड़ा करता है।
अन्ना ने लिखा है कि फिल्म खत्म होने के बाद उनसे फिल्म के बारे में पूछा गया , तो तो उन्होंने कहा कि फिल्म अच्छी बनी है। आदमी की सहन करने की भी सीमा होती है। अन्याय अत्याचार हद से बढ़ जाएं और कई बार आदमी के सामने थप्पड़ मारने के सिवा कोई विकल्प नहीं रहता है। इसी बात को इस तरह से पेश किया गया कि अन्ना ने करप्ट लोगों को थप्पड़ मारने की अपील की है।
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