अर्थव्यवस्था का विकास दर पर असर पड़ेगा. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 31 जुलाई 2012

अर्थव्यवस्था का विकास दर पर असर पड़ेगा.


रिजर्व बैंक के गवर्नर सुब्बा राव के मुताबिक खराब मॉनसून और विश्व अर्थव्यवस्था की खस्ताहाली के कारण विकास दर पर असर पड़ेगा. इसे देखते हुए इस वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर यानी जीडीपी दर का अनुमान 7.3 प्रतिशत से घटा कर 6.5 प्रतिशत कर दिया गया है.

सोमवार 30 जुलाई को मौद्रिक नीति की पहली त्रैमासिक समीक्षा से पहले जारी रपट में आरबीआई ने कहा था कि ऊंची ईंधन कीमतों और खाद्य कीमतों की वजह से मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में मुख्य मुद्रास्फीति सात प्रतिशत से ऊंची बनी रही है. रिज़र्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बा राव ने तिमाही मौद्रिक और ऋण नीति की समीक्षा में तमाम वैसे कारण गिना दिए जो अर्थव्यवस्था के लिहाज़ से ठीक संकेतक नहीं हो सकते.

उनका कहना है कि मॉनसून की बारिश उम्मीद से कहीं कम रही है. इसके कारण पहले से चली आ रही महंगाई की समस्या और बढ़ सकती है. उन्होंने कहा कि मार्च तक महंगाई दर के सात फीसदी से नीचे आने की कोई संभावना नहीं है. उन्होंने कहा कि इस वक्त महंगाई दर बेहद ज़्यादा है और मौजूदा वृद्धि दर में भी कमी है. बारिश कम होने से खाद्य महंगाई दर बढ़ने की आशंका है. इसका साफ मतलब है कि आने वाले दिनों में खाने पीने की चीजों के दाम बढ़ सकते हैं जिससे आम आदमी पर सीधा असर पड़ेगा. राव ने आर्थिक विकास दर कम रहने की आशंका जताते हुए कहा कि फिलहाल हमारा ध्यान महंगाई काबू करने में है.

आरबीआई गवर्नर ने यूरो जोन की आर्थिक स्थिति पर चिंता जताई और स्पष्ट किया कि इससे भारत पर भी असर पड़ेगा. इसके कारण क्रूड आॉयल की कीमतों में अनिश्चितता बनी रह सकती है. इसके कारण महंगाई में और वृद्धि हो सकती है. मौद्रिक नीति की चुनौती महंगाई से निपटना है. पर आर्थिक विकास के साथ भी समझौता नहीं किया जा सकता. सांविधिक तरलता अनुपात में कमी की गई है.

रिजर्व बैंक को उम्मीद है कि इस कदम से बाजार में नकदी बढ़ेगी जिससे आर्थिक गतिविधियां तेज की जा सकती है. हालांकि जानकारों की राय में ये ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. उद्दोग जगत रेपो और रिवर्स रेपो रेट में कमी की उम्मीद कर रहा था. अगर ऐसा होता तो सीधा फायदा आम लोगों को मिलता क्योंकि इससे होम लोन, कार लोन पर ब्याज दर कम होते. 

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