ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में जलस्तर बढ़ने के साथ ही असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के अधिकारियों ने चेतावनी की घोषणा कर दी है और बाढ़ की सम्भावना से निपटने के लिए कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। यह उद्यान यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल है। उद्यान निदेशक एन.के. वसु ने कहा कि कुछ दिनों पहले उद्यान में पानी घुसने के बाद बाढ़ प्रबंधन योजना का जायजा लिया गया। उन्होंने कहा, "उद्यान में हर साल बाढ़ आती है और यह पारिस्थितिकीय दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। बाढ़ आवश्यक हैं, क्योंकि वे उद्यान से अवांछित खर-पतवार को बहा ले जाते हैं।"
वसु ने कहा, "फिर भी पिछले साल की तरह बहुत अधिक बाढ़ आने का अनुमान होने के कारण हमने एक बाढ़ प्रबंधन योजना बनाई है। पिछले साल की बाढ़ में जानवरों को नुकसान हुआ और उन्हें मारने वालों ने भी परिस्थिति का फायदा उठाया।" पिछले साल बहुत विकराल बाढ़ आई थी, जिसमें एक सींग वाले गैंडे, हिरण और हाथी जैसे सैकड़ों वन्य जीव मारे गए थे। 860 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला काजीरंगा उद्यान एक सींग वाले गैंडे के लिए प्रसिद्ध है। मार्च में की गई गणना के मुताबिक यहां 2,329 गैंडे हैं।
वसु ने कहा, "हमारे पास पहले से सात स्पीडबोट हैं और हमने और अधिक के लिए ऑर्डर दिए हैं, जो जल्द मिल सकते हैं। पुराने स्पीडबोट की भी मरम्मत की गई है।" बाढ़ के दिनों में गश्ती के लिए शिकार रोधी शिविर की मरम्मत की गई है। उन्होंने कहा, "हमने उद्यान के अंदर ऊंचे भू-क्षेत्रों को भी दुरुस्त किया है, ताकि जानवर बाढ़ के दौरान वहां आश्रय ले सकें।"
वसु ने कहा, "हमने स्थानीय लोगों से कहा है कि उद्यान क्षेत्र से बाहर निकलने वाले जानवरों की मदद करें और वन विभाग को इसकी सूचना दें।" वसु ने कहा, "हमने गोलाघाट और नागांव जिले के जिला प्रशासन से अनुरोध किया है कि उद्यान क्षेत्र में धारा 144 लागू करें (जिसके तहत पांच से अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक होती है) और राष्ट्रीय राजमार्ग 37 पर वाहनों की गति सीमित करें। बाढ़ के दौरान जानवर इस मार्ग को पार कर दूसरी ओर शरण लेने के लिए जाते हैं।"
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