बिहार में मनरेगा अधिनियम विवादों के घेरे में - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 12 जुलाई 2013

बिहार में मनरेगा अधिनियम विवादों के घेरे में

हिलसा। कमता मुसहरी के सामने देवी मंदिर है। मंदिर की दीवारों पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत वर्ष 2011.12 में काम करने वाले श्रमिकों के बारे में ब्योरा लिखा गया है। पहली ही नजर में अधिनियम को विवादों के घेरे में ला खड़ा कर दिया है। 

मनरेगा के तहत श्रमिकों को अधिकतम से 100 दिनों तक काम देने का प्रावधान है। कामता पंचायत के दाहा बिगहा में रहने वाले रामाशीष प्रसाद (48) और जानकी देवी को 103 दिनों का रोजगार देकर रेकॉड बना दिया है। इनका जॉबकार्ड संख्या 1671 है। पार्वती देवी,संजय राम और रामाधीन प्रसाद को 102 दिनों का रोजगार दिया गया है। पार्वती देवी की जॉबकार्ड संख्या 102 है। संजय राम का जॉबकार्ड 1590 है। रामाधीन प्रसाद का जॉबकार्ड 102 है। इन्द्रदेव जमादार को 101 दिनों का रोजगार दिया गया है। इनका जॉबकार्ड संख्या 560 है। गंगा महतो और राहुल जमादार को 98 दिनों का रोजगार मिला है। गंगा महतो का 1531 और राहुल जमादार का 561 जॉबकार्ड संख्या है। इस पंचायत में 946 जॉबकार्डधारी हैं। बाकी सभी श्रमिकों को काफी कम दिनों का रोजगार दिया गया है। 

 कामता पंचायत के वार्ड नम्बर-14 के वार्ड सदस्य बल्लम राम ने कहा कि पंचायत के मुखिया संजय राम ने पासवान टोली में संपर्क सड़क बनवा रहे हैं। महादलित मुसहरों को रोजगार दिया गया है। यह कार्य महात्मा गांधी नरेगा से हो रहा है। इनको बतौर 200 रूपए मजदूरी के रूप में दिया जा रहा है। यह पूछने पर वार्ड सदस्य ने कहा कि मनरेगा में मजदूरी 162 रू0 है। तो किस तरह से अधिक मजदूरी दे रहे हैं? उनका कहना है कि बाद में लागत को मनरेगा से ईख की तरह निचौड़कर निकाल लेंगे।

यहां पर 946 जॉबकार्ड बनाया गया है। अधिकांश जॉबकार्ड को राजेश्वर सिंह हथिया लिये हैं। वंचित समुदाय को जॉबकार्ड निर्गत ही नहीं किये हैं। उच्च जाति के लोग भी  जॉबकार्ड बना लिये हैं। उनको खुलकर दुरूपयोग किया जाता है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गढ़ है। यहां पर किसी नौकरशाहों का नहीं चलता है। नौकरशाह भींगी बिल्ली बने रहते हैं। 



---आलोक कुमार---
पटना 

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