बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मैथिली और हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार मायानंद मिश्र के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में उन्होंने कहा है कि मिश्र का निधन मैथिली और हिंदी साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है। वे अपने साहित्य के माध्यम से हमेशा लोगों के बीच सम्मान के साथ याद किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने मिश्र की आत्मा की चिरशांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। उन्होंने मिश्र के बड़े पुत्र विद्यानंद मिश्र से टेलीफोन पर संपर्क कर शोक संतप्त परिवार के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की। मायानंद मिश्र का शनिवार को पटना के एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 79 वर्ष के थे।
मैथिली उपन्यास 'मंत्रपुत्र' के लिए उन्हें 1988 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मनित किया गया था। हिंदी उपन्यास 'सोने की नैया, माटी के लोग' से साहित्य के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने वाले मिश्र वैदिक काल को जीवंत करता उपन्यास 'पुरोहित' से काफी चर्चित हुए। वर्ष 2002 में उन्हें प्रबोध साहित्य सम्मान से भी सम्मानित किया गया। मैथिली में 'चंद्रबिंदु' सहित तीन कथा-संग्रह और प्रथमं शैल पुत्री च, सूर्यास्त, ठकनी, स्त्रीधन उनके काफी चर्चित उपन्यास रहे। उनका अंतिम संस्कार पैतृक गांव सुपौल जिले के बनैनियां में होगा।
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