आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर रघुनाथ के. शेवगांवकर ने अपना कार्यकाल पूरा होने के 2 साल पहले ही पद छोड़ दिया है। आईआईटी के एक सीनियर अधिकारी ने इस खबर की पुष्टि की, लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है।
आईआईटी से सूत्रों का कहना है कि शेवगांवकर पर मंत्रालय की तरफ से दो मांगें मानने का बहुत दबाव था। बताया जा रहा है कि उन्हें कहा जा रहा था कि वह आईआईटी ग्राउंड को सचिन तेंडुलकर की क्रिकेट अकैडमी के लिए उपलब्ध करवाएं और साथ ही आईआईटी दिल्ली की फैकल्टी रहे बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी को वह सैलरी दी जाए, जो उन्हें 1972 और साल 1991 के बीच दी जानी थी। सूत्रों का कहना है कि शेवगांवकर ने इन दोनों मांगों का विरोध किया था। डायरेक्टर आईआईटी परिसर में क्रिकेट अकैडमी खोलने के खिलाफ थे। वह चाहते थे कि कैंपस को सिर्फ छात्र और फैकल्टी ही इस्तेमाल करे। प्रशासनिक स्टाफ के मुताबिक वह नहीं चाहते थे कि आईआईटी इस तरह के किसी व्यावसायिक हित का अड्डा बने।
सुब्रमण्यम स्वामी मांग कर रहे हैं कि साल 1972 से लेकर मार्च 1991 के बीच की सैलरी उन्हें 18 फीसदी ब्याज के साथ दी जाए। उनकी इस मांग को पहले आईआईटी और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने ठुकरा दिया था। आईआईटी का कहना था कि पहले सुब्रमण्यम स्वामी को इस मामले में कुछ जानकारी देनी होगी। इसके बाद स्वामी इस मामले को दिल्ली हाईकोर्ट ले गए। आईआईटी दिल्ली ने अपील की थी कि स्वामी की याचिका पर ध्यान न दिया जाए, मगर कोर्ट ने इस अपील को ठुकरा दिया था। इस साल नई सरकार बनने के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपना रुख बदला। मंत्रालय ने स्वामी को वेतन देने के मसले पर विशेषज्ञों से विमर्श किया और उसके बाद शेवगांवकर और आईआईटी के अन्य अधिकारियों की सुब्रमण्यम स्वामी से मीटिंग भी करवाई।
सूत्रों के मुताबिक शेवगांवकर कोर्ट से बाहर समझौता करने के पक्ष में नहीं थे। वह चाहते थे कि कानूनी कार्यवाही जारी रहे। उनका मानना था कि गलत संदेश जाएगा। उनका मानना था कि यह मामला पूरी तरह से राजनीतिक है।
डायरेक्टर रघुनाथ के. शेवगांवकर के इस्तीफे के बाद पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने ट्वीट करके इस खबर पर हैरानी जताई कि उनके नाम पर IIT दिल्ली से जमीन मांगी गई. सचिन ने ट्वीट में लिखा है कि वो उनके अकेडमी के नाम पर जमीन मांगे जाने की खबर से हैरान हैं. सचिन तेंदुलकर का कहना है कि न तो कोई एकेडमी खोलने की उनकी योजना है, न ही वे किसी भी काम के लिए जमीन का कोई टुकड़ा चाहते हैं.
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