कुपोषण से बचने के लिए सेवाओं की बेहतरी तथा जनभागीदारी जरुरी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 31 दिसंबर 2014

कुपोषण से बचने के लिए सेवाओं की बेहतरी तथा जनभागीदारी जरुरी

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लखनऊ,। उत्तर प्रदेश में 0 से 6 आयु वर्ग के सभी बच्चों को कुपोषण की स्थितियों से बचाने के लिए सेव द चिल्ड्रेन द्वारा विभिन्न कार्यक्रमो के माध्यम से प्रयास किया जा रहा है । इसी कड़ी में सेव दी चिल्डेन के सहयोग से उ0प्र0फोर्सेस द्वारा उत्तर प्रदेश के 41 जनपदों का त्वरित अघ्ययन रिपोर्ट प्रेस क्लब में मिडिया के सामने रखा गया। जिससे सेवाओं की स्थिति के बारे में सही  जानकारी उपलब्ध हो सके तथा मिडिया के माध्यम से उसके अनुरुप सरकार द्वारा कार्यक्रम को बेहतर  बनाने की रणनीति तय किया जा सके । 

उत्तर प्रदेश फोर्सेस नेटवक्र के राज्य समन्वयक रामायण यादव ने बताया कि  फोर्सेस 0-6  आयु वर्ग के बच्चों के लिए कार्य करने वाला एक राष्ट्ीय स्तर का जन पैरोकारी  नेटवर्क है जिसका गठन 1989 मे श्रम शक्ति रिपोर्ट आने के बाद हुई थी। उत्तर प्रदेश में यह नेटवर्क 2003 से कार्यरत है । नेटवर्क द्वारा साक्ष्यों को एकत्र कर छोटे बच्चो के लिए सरकारी नीतियो की पैरोकारी करना  मुख्य कार्यो में है। नेटवर्क  कुपोषण के प्रति लोगों में जन जागरुकता तथा आगनवाड़ी केन्दों पर सेवाओं को बेहतर बनाने का प्रयास करता रहा है।श्री यादव ने पोषण की स्थिति पर चर्चा करते हुए बताया कि हर 10 में से 4 बच्चे कुपोषित है तथा हर दो में से एक बालिका एनिमिया से ग्रसित है ऐसे में सरकार के साथ साथ समाज के हर तपके के लोगों की जिम्मेदारी बढ जाती है कि पोषण को ले कर आत्म चिन्तन करे और इसे मिटाने के लिए आगे आये। उन्होने बताया कि सरकार द्वारा उत्तर प्रदेश में पोषण मिशन की शुरुआत की गयी है जो कुपोषण को दूर करने में कारगर प्रयास सावित होगा। अध्ययन रिपोर्ट साझा करते हुए फोर्सेस के साथी डा0 दयानन्द टंडन ने बताया कि यह सेवओं में सुधार के नियत से किया गया है अध्ययन रिपोर्ट के मुताविक जहां एक तरफ सामुदायिक जागरुकता का अभाव दिखता है वही दूसरी तरफ सेवाओं को और बेहत बनाने की आवश्यकता महसूस हो रही है।डा0टंडन ने अपने प्रस्तुती करण में बताया कि अध्ययन क्षेत्र में पाया गया कि 51 प्रतिशत माताओं को वृद्वि चार्ट के माध्यम उनके बच्चों की स्थिति के बारे में आगन वाड़ी द्वारा जानकारी दी जाती है। अघ्ययन क्षेत्र में लगभग 38 प्रतिशत  आगनवाड़ी के पास खाना पकाने का स्थान प्र्याप्त नही है। 46 प्रतिशत आगनवाडी के पास बच्चों को खाना पका कर  देने का प्र्याप्त स्थान है वही 14 प्रतिशत आगनवाडी के पास विल्कुल जगह नही है। साफ सफाई की बात करे तों 39 प्रतिशत आगनवाडी मे साफ सफाई दिखी वही 48 प्रतिशत आगनवाड़ी में अंशिक रुप से साफ सफाई नजर आई वही 13 प्रतिशत आगनवाड़ी केन्द्र ऐसे मिले जहां सफाई थी ही नही। अध्ययन क्षेत्र में छोटे बच्चों के लिए शैचालय की बात करे तो वहां लगभग 34 प्रतिशत ऐसे आगनवाड़ी जहां शौचालय पाया गया जबकि 66 प्रतिशत आगनावाड़ी में शौचाल है ही नही । अध्ययन क्षेत्र में पेय जल की बात करे तो 40 प्रतिशत केन्द्र पर समुचित पानी की ब्यवस्था पायी गयी जबकि 32 प्रतिशत आगनवाड़ी में पेयजल की कोई ब्यवस्था नही थी। 28 प्रतिशत आगनवाडी केन्द्र ऐसे पाये गये जहां असुरद्विात पेयजल की ब्यवस्था थी। 51 प्रतिशत केन्द्र पर ग्रोथ चार्ट पाया गया जबकि 49 प्रतिशत केन्द्र पर ग्रोथ चाट्र का अभाव दिखा। 

यदि आगनवाड़ी केन्द्र पर स्कूलपूर्व शिक्षा की बात करे तो अघ्ययन के मुताविक 54 प्रशित केन्द्र ऐसे पाये गये जहां सत्र संचालित होते हे किन्तु 46 प्रतिशत केन्द्र पर ऐसा नही होता है। 48 प्रतिशत केन्द्र टीकाकरण के अधूरे रिकार्ड पाये गये जहां टीकाकरण का सही अनुश्रवण नही हो पा रहा है। अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार गृहभ्रमण के अभाव में परामर्श सेवा एवं संचाार में काफी अभाव पाया गया । 54 प्रतिशत आगनवाड़ी गृह भ्रमण नही कर रही है जबकि 46 प्रतिशत आगनवाड़ी गृह भ्रमण करती है। आगनवाडी से जब ग्रामस्वास्थ्य एवं पोषण दिवस पर अध्ययन के दौरान चर्चा के अनुसार 68 प्रतिशत आगनवाड़ी ने बताया कि उन्हे पता है क्या गतिविधि होती है जबकि 32 प्रतिशत आगनवाड़ी को सही ढंग से जानकारी ही नही है।आगनवाड़ी कार्यकत्री के प्रशिण व उनकी जानकारी पर गैर करे तो अध्ययन से पता चलता है कि 56 आगनवाड़ी कार्यकत्री की इन्डेक्शन टेनिगं 30 प्रतिशत को जाब ओरिएन्टेशन तथा 14 प्रतिशत को रिफरेसर टे्निग मिली है। 

उपरोक्त तथ्यो के आधार पर आगनवाड़ी केन्द्रों की सेवाओं की गुणवत्ता के लिए सामुदायिक सहभागित कार्यकत्री का कुशल प्रशिण तथा गृहभ्रमाण की प्रक्रिया को सुदृढ करने के  साथ साथ वीएचएनसी को मजबूती प्रदान करने के लिए पंचायत की समितियों को सक्रिय बनाना होगा। सेव द चिल्ड्रेन के कार्यक्रमअघिकरी श्री सुनील कुमार ने कहा कि सेव द चिल्डेªन बच्चो के स्वास्थ्य एवं विकास के लिए दृृढ़ संकल्पित है। देश व प्रदेश में कुपोषण एक मुद््दा है इसके लिए हम सबको सरकार के साथ मिल कर काम करने की जरुरत है। उन्होने मल्टी सेक्टोरियल अप्रोच के साथ बदला लाने पर जोर दिया। उन्होने  कुछ आंकड़ों व तथ्यों पर चर्चा करते हुए कहा कि कुपोषण का चक्र्र बच्चे के जन्म से शुरू होता है और ध्यान न देने पर परिवार में कुपोषण की स्थिति निरंतर चलती रहती है। उन्होंने बताया कि आंकड़ों पर नज़र डालें तो हम पायेंगे कि देश में प्रत्येक दूसरी महिला अनीमिया की शिकार होती है। साथ ही कुपोषण को दूर करने के लिए उन्होंने बताया कि यदि हम आई0 वाई0 सी0 एफ0 के तहत बताई गई मुख्य 3 बातों पर ध्यान दे दे ंतो कुपोषण को काफी हद तक दूर करने में मदद मिल सकती है। ये हैं-बच्चे के जन्म के 1 घंटे के अंदर उसे मां का दूध पिलाया जाये, 6 माह तक केवल मां का दूध ही पिलाया जाये तथा 6 माह के बाद मां के दूध के साथ समय पर पौष्टिक आहार दिया जाय

इस अवसर पर यूपीबीएचए के अधिशासी निदेशक श्री जेपी शर्मा ने बच्चो की स्वासथ्य से जुडी तथ्यो को रखा । उन्होने बताया कि सरकार तथा समाज दोनो के आपसी तालमेल से ही कुपोषण पर काबू पाया जा सकता है। इस लिए दोनो स्तर पर कार्य करने की आवश्यकता है। श्री राजदेव चतुवेर्दी ने बताया कि बच्चो का मुद्दा राजनैतिक मुददा न होने के कारण इस पर घ्यान नही दिया जाता जबकि राष्टृहित में इसके प्रति विशेष घ्यान देने की  आवश्यकता है। अंत में सबके प्रति आभार व्यक्त करते हुए फोर्सेस के रमेश भैया ने बताया कि पूरे प्रदेश में बच्चों के मुद््दो पर कार्य करने वाली अन्य संस्थाओं को जोड़ कर राज्यव्यापी जनभागीदारी के माध्यम से कुपोषण को दूर करने की मुहिम चलायी जायेगी, जिससे कि राज्य में कुपोषित बच्चों की संख्या पर अंकुश लगाया जा सके।

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