- बंग्ला भाषा ओ संस्कृति रक्षा समिति के तत्वावधान में 21 फरवरी को आयोजित कार्यक्रम
विश्व में 6 हजार मातृभाषाएँ है। वैश्विकरण की दौड़ में अंग्रेजी भाषा साम्राज्य के प्रभाव में प्रति वर्ष कई भाषाएँ विलुिप्त के कगार पर पहुँच गई हैं। झारखंड में 50 तरह की मातृभाषाएँ बोली जाती हंै। भारतीय संविधान में सभी भाषाओं के विकास का प्रावधान है किन्तु बंग्ला भाषा के साथ अन्य भाषाओं द्वारा भेद भाव किया जाता है। उत्तर संवाद पत्र के संपादक सिद्धार्थ राय ने उपरोक्त बातें कही। बांग्ला भाषा ओ संस्कृति रक्षा समिति झारखंड के तत्वावधान में जिले के रानीश्वर प्रखण्ड के विकास भवन में 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की 16 वीं प्रतिज्ञा दिवस के अवसर पर श्री राय ने ने कहा एक तरफ हिंदी मातृ भाषाओं के विकास में बाधा बनी हुई है तो वहीं हिंदी को अंग्रेजी ग्रास कर रहा है। मातृभाषा मां के दूध का समान है। लोगों में एक गलत धारणा है कि 21 फरवरी सिर्फ बांग्ला भाषा दिवस है किन्तु यह सत्य है कि हम सभी भाषाओं के पक्षधर है।
बंग्ला भाषा के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाली बांग्ला भाषा ओ संस्कृति रक्षा समिति राष्ट्र का एक मात्र संगठन है जो लगातार 15 वर्षो से इस दिन को प्रतिज्ञा दिवस के रूप मंे मना रहा है। समिति अपने उददेश्व में सफल हुई है। कार्यक्रम का शुभारंभ उत्तर संवाद पत्र के संपादक सिद्धार्थ राय, जिला परिषद दुमका के जिला अभियंता स्वपन कुमार दे, मयूराक्षी ग्रामीण डिग्री काॅलेज के प्राचार्य डाॅ रईस खान व झारखंड ज्योति समाचार पत्र के संपादक पिंटु मंडल द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रजल्लित कर किया गया। रानीग्राम मध्य विद्यालय की शिक्षिका भारती चटट्ोपध्याय व सहयोगियों ने उद्घाटन सत्र में देशभक्ति गीत की प्रस्तुति कर कार्यक्रम को जीवंत बना दिया। इस अवसर पर समिति के प्रदेश सचिव गौतम चटर्जी, उपरोक्त आमंत्रित अतिथियों को अंगवस्त्र व प्रशस्ति पत्र भेट कर सम्मानित किया गया। मलूटी की मौलीक्षा का सस्वर गायन करने वाले समीर कुमार साहा को भी इस अवसर पर सम्मानित किया गया। रविकांत सुमन की अनुपस्थिति में विश्वजीत राहा ने प्रशस्ति पत्र ग्रहण किया।
डाॅ अब्दूल रईस खान ने भी इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किये। उन्होनें कहा मातृभाषा बंग्ला के लिए बंग्ला देश के ढाका विश्वविद्यालय के कुछ युवा छात्रों ने अपने जीवन की आहुति देकर मातृभाषा की रक्षा की थी और बंग्ला को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने का प्रयास किया था। पाकिस्तान की सरकार ने जघन्य व बर्बरतापूर्ण कार्रवाई करते हुए उपरोक्त शहीद नौजवानों के सीने को बंदूक की गोलियों से छलनी कर दिया था। मातृभाषा की रक्षा में अपने प्राण न्योछावर कर देने वाले उपरोक्त नौजवानों की शहादत का ही परिणाम है कि प्रति वर्ष 21 फरवरी को प्रतिज्ञा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है, जो अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस का हिस्सा है। समिति के सचिव गौतम चटर्जी ने अपने संबोधन में कहा इस राज्य में बांग्ला भाषा की मर्यादा के लिए लगातार बांग्ला भाषा-भाषियों को जगाने का काम बंग्ला भाषा ओ संस्कृति रक्षा समिति करती रही है, जो काबिेले-तारीफ है। समिति की मेहनत निश्चित रूप से रंग लायेगी ये उनका विश्वास है। श्री चटर्जी ने कहा, समिति अपने उददेश्यों में सफल रही है। उन्होनें कहा वर्ष 2000 में दुमका के इंडोर स्टेडियम से मातृभाषा दिवस समारोह का आगाज प्रारंभ हुआ जो जो लगातार जारी है।
उन्होनें कहा राज्य के विभिन्न जिलों में विश्व मातृभाषा दिवस का प्रति वर्ष आयोजन इस बात का संकेत है कि समिति के सिद्धान्तों व मातृभाषा के साथ उसके कमिटमेंट को तरजीह दी जा रही है। प्रथम वर्ष के कार्यक्रम का स्मरण करते हुए श्री चटर्जी ने कहा वर्ष 2000 ई0 में आयोजित कार्यक्रम में अधिकांश लोग उप राजधानी दुमका के प्रखण्ड रानीश्वर, शिकारीपाड़ा व मसलिया के ग्रामीण इलाकों से ही लोगों ने भाग लिया था। दुमका से दो ही बांग्ला भाषी उपस्थित थे। समय के साथ मातृभाषा दिवस के प्रति लोगों का रुझान बढ़ा है। के0के0पाठक, स्वपन दे, अचल अधिकारी प्रभास चंद्र दास, बीडीओ कौशल कुमार आदि ने भी इस अवसर पर अपने-अपने विचार प्रकट किये। काय्र्र्रक्रम की अध्यक्षता सेवानिवृत शिक्षक निताई पद लायक ने किया, जबकि कार्यक्रम का संचालन अनुपम मुखर्जी व अनिमेश मंडल ने किया। नृत्य व संगीत में रानीग्राम मध्य विद्यालय के छात्र-छात्राएं ईसिता साधु, अर्पिता घोष, चंद्रावली महातो, कावेरी सेन, नीला राउत, तितली सिंह, वृष्टि पांडा, मौसमी पंडा, साथी पंडा, मम्मी रूज, रिया चैधरी, ज्योति दास, ज्योतिर्मय दास, वर्षा राय, अर्पिता मंडल, मांतु महतो, शुभजीत लाहा, अरिजीत महतो, माधव पंडा, भास्कर घोषाल, व अन्य ने अपनी-अपनी क्षमता के अनुरुप प्रदर्शन कर लोगों का मन मोह लिया।
अमरेन्द्र सुमन
(दुमका) झारखण्ड
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