उत्तराखंड की विस्तृत खबर (31 मई) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 31 मई 2015

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (31 मई)

जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल के नारों के बीच हेमकुण्ड यात्रा शुरू

देहरादून,31 मई । ‘‘जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल‘‘ ऋषिकेश के हेमकुंड  लेकर गोविन्द घाट व  वहां से लेकर  हेमकुंड तक तक के समूचे मार्ग पर यही सुनाई  रहा है ,बच्चा बूढ़ा हो  या जवान हर किसी के मुंह से अनायास ही निकल रहे ये शब्द पर्वतीय मार्ग को  देदिव्यमान कर रहा है लगता है बस कुछ दूरी पर गुरु गुरुगोविंद सिंह के दर्शन साक्षात दर्शन हो  सकते हैं। पूरा वातावरण गुरु के जयकारे से जय -जय कार हो रहा है इन्हीं जयकारों के साथ हेमकुंड साहिब के लिए रविवार की सुबह सिख यात्रियों का जत्था रवाना हो गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने रविवार सुबह नौ बजकर 55 मिनट पर सिख तीर्थयात्रियों के जत्थे को सरोपा भेंट कर किया। जिसके बाद 1500 से अधिक तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब के लिए रवाना हो गए। यात्रियों का जत्था जो बोले सो निहाल के जयकारे के साथ हेमकुंड साहिब के लिए हुआ रवाना। रविवार सायं यात्रा के प्रमुख पड़ाव घांघरिया पर जत्‍था पहुंचेगा। जिसके बाद सोमवार की सुबह यह जत्‍था हेमकुंड साहिब धाम पहुंचेगा। एक जून को सुबह नौ बजे हेमकुंड साहिब के कपाट खुल जाएंगे। कपाट खुलने के मौके पर हेमकुंड में करीब छह हजार तीर्थयात्रियों के मौजूद रहने की उम्मीद है। यहां आस्था पथ पर अटलाकोटी से हेमकुंड तक तीन किमी पैदल मार्ग पर बर्फ होने से तीर्थयात्रियों को दिक्कतें उठानी पड़ सकती हैं, लेकिन हेमकुंड साहिब के लिए निकले तीर्थयात्रियों की आस्था, उत्साह और जुनून देखते ही बन रहा है। इससे पहले सीएम रावत रविवार को सुबह नौ बजकर 15 मिनटर पर हेलीकॉप्टर से गोविंदघाट पहुंचे। सबसे पहले सीएम ने गोविंदघाट गुरूद्वारे में आयोजित अरदास में भाग लिया। सीएम ने सिख तीर्थयात्रियों को हेमकुंड धाम के लिए रवाना करते दौरान तीर्थयात्रियों को बारिश और बर्फबारी में सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने का आह्वान किया। गोविंदघाट में सिख रेजीमेंट की बैंड धुनों के साथ तीर्थयात्री रवाना हुए। हेमकुंड साहिब और यात्रा पड़ावों पर रविवार को मौसम साफ रहा। करीब छह सौ तीर्थयात्री पहले ही हेमकुंड साहिब पहुंच गए। कई तीर्थयात्री पंजाब, दिल्ली, हरियाणा, अमृतसर, रीठासाहिब से पैदल गोविंदघाट पहुंचे हैं। हेमकुंड साहिब में अब भी करीब चार फीट बर्फ जमी हुई है। घांघरिया में भी निचली चोटियों पर बर्फ जमी हुई है, जिससे दोपहर बाद यहां बर्फीली हवाएं चल रही हैं। तीर्थयात्री अपने साथ यहां पर्याप्त गर्म कपडे़ लेकर आएं। अपने साथ सिर दर्द, बदन दर्द और बुखार की दवा भी साथ लेकर आएं। हेमकुंड साहिब धाम के लिए तीर्थयात्री तीन किमी तक बर्फीले रास्ते से होकर गुजरेंगे। यहां पैदल मार्ग पर जगह जगह प्रशासन ने रस्सियां लगाई हुई हैं, जिनके सहारे तीर्थयात्री आस्था पथ पर आगे बढ़ेंगे। यह तीन किमी पैदल मार्ग अटलाकोटी हिमखंड से हेमकुंड साहिब तक है। अटलाकोटी से आगे घोड़े-खच्चरों की आवाजाही भी नहीं होगी। लिहाजा यात्रियों को पैदल ही यह तकलीफदेह रास्ता पार करना होगा। तीन किमी के इस पैदल रास्ते पर वन वे सिस्टम होगा। हेमकुंड साहिब से लौटने वाले यात्रियों के जत्थे के बाद ही दूसरा जत्था अटलाकोटी से रवाना होगा। यहां चप्पे-चप्पे पर पुलिस और एसडीआरएफ के जवान तैनात रहेंगे। जिलाधिकारी अशोक कुमार का कहना है कि चटख धूप में हिमखंड पिघल रहे हैं। बर्फ एक माह के भीतर पिघल जाएगी, जिसके बाद रास्ता सुगम हो जाएगा।

हेमकुंड साहिब है सात पर्वत शिखरों के बीच स्थित
श्री हेमकुंड साहिब धाम सात शिखरों के बीच 4329 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मान्यता है कि सिखों के दसवें गुरु गोबिंद सिंह ने यहां तपस्या की थी। बताया जाता है कि वर्ष 1933 में टिहरी के ग्रंथी संत सोबन सिंह ने इस स्थान की खोज की थी। इसके बाद अहोलदर बाबा मोदन सिंह ने यहां भव्य गुरुद्वारे का निर्माण कराया। श्री हेमकुंड साहिब गुरुद्वारे के पास ही पवित्र सरोवर और लक्ष्मण मंदिर स्थित है। हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए तीर्थयात्रियों को गोविंदघाट से पुलना तक तीन किमी वाहन से और 16 किमी का पैदल सफर तय करना पड़ता है।

डंडी-कंडी और घोड़े की है सुविधा
हेमकुंड साहिब की पैदल यात्रा को सुखद बनाने के लिए गोविंदघाट में डंडी, कंडी और घोड़ों की व्यवस्था भी है। गोविंदघाट से अटलाकोटी तक 16 किमी पैदल मार्ग पर घोड़े पर जाया जा सकता है। इससे आगे तीन किमी पैदल मार्ग बर्फीला होने के कारण प्रशासन ने इस बार यहां घोड़े की आवाजाही रोक ली है जबकि डंडी-कंडी से तीर्थयात्री हेमकुंड साहिब तक जा सकते हैं। डंडी संचालक वजन के हिसाब से तीन दिन का पैकेज लेकर तीर्थयात्रियों को हेमकुंड तक ले जाते हैं। एक दिन गोविंदघाट से घांघरिया तक जाया जाता है। दूसरे दिन हेमकुंड साहिब के दर्शन कर पुनरू घांघरिया और तीसरे दिन गोविंदघाट आते हैं। हेमकुंड साहिब पहुंचने के लिए इस बार गोविंदघाट से हेलीकॉप्टर की भी व्यवस्था है। तीर्थयात्री गोविंदघाट से 14 किमी दूर स्थित कांजिला तक हेलीकॉप्टर से जा सकते हैं। यहां से धाम तक पांच किमी की पैदल यात्रा उन्हें फिर भी करनी होगी। यहां डेक्कन कंपनी का हेलीकॉप्टर अपनी सेवाएं देगा। हेलीकॉप्टर में जाने का किराया 3200 रुपए और आने-जाने का किराया 6400 रुपए रखा गया है। हेमकुंड साहिब यात्रा की तैयारियों का जायजा लेने गोविंदघाट पहुंचे मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जोशीमठ से भी हेलीकॉप्टर सेवा शुरू करने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक सेवा शुरू करने की दिशा में कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है।

हेमकुंड जाने की नहीं होगी दोपहर दो बजे बाद अनुमति
गुरुद्वारा प्रबधंन कमेटी ने तीर्थयात्रा की समय सारिणी तय की है। तय किया गया कि दोपहर दो बजे के बाद गोविंदघाट से किसी भी तीर्थयात्री को हेमकुंड साहिब जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सुबह से ही दोपहर दो बजे तक तीर्थयात्रियों को पांच से 10 लोगों के जत्थे में गोविंदघाट से भेजा जाएगा। बारिश और बर्फबारी होने पर तीर्थयात्रियों को भ्यूंडार, घांघरिया, गोविंदघाट और हेमकुंड धाम में रोक लिया जाएगा। गोविंदघाट से पुलना तक तीर्थयात्री वाहन से जाएंगे।

यहां है यात्रा के दौरान ठहरने की व्यवस्था
यात्रा के दौरान तीर्थयात्री गुरुद्वारा हरिद्वार, ऋषिकेश, श्रीनगर, नगरासू, जोशीमठ, गोविंदघाट और गोविंदघाम घांघरिया में रात्रि विश्राम के लिए ठहर सकते हैं। यहां खानपान की भी उचित व्यवस्था रहती है। इन गुरुद्वारों में प्रतिदिन लंगर भी लगते हैं। यात्रा मार्ग पर कई जगहों पर लंगर भी लगने शुरू हो गए हैं। भकुंडा और नंदप्रयाग में भी लंगर की व्यवस्था है।

गुदड़ी के लालों से गुरूजनों का भेदभाव, राजकीय इंटर कालेज माजरी माफी में चैंकाने वाले नतीजे

देहरादून, 31 मई। एक ओर जहां उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में पर्वतीय स्कूल के छात्रों ने अपना परचम लहराया वहीं राजधानी देहरादून स्थित राजकीय इंटर कालेज माजरी माफी में मस्साब के कृपा पात्र छात्र-छात्राएं प्रयोगात्मक परीक्षा में शत प्रतिशत अंक प्राप्त करने में कामयाब रहे लेकिन ये छात्र सैद्धांतिक परीक्षा में दहाई का अंक भी नहीं छू पाये। जबकि इसी स्कूल के उन छात्रों ने प्रथम श्रेणी हासिल की जिन्हें मस्साब ने प्रयोगात्मक परीक्षा में कमत्तर आंका गया। उत्तराखंड बोर्ड परीक्षा में इस बार विद्यालय शिक्षा द्वारा चलाया गया अभिनव प्रयोग सफल रहा। दसवीं कक्षा के लिए विशेष रूप से चलाई गई कक्षाओं के नतीजे चैंकाने वाले रहे। राजकीय इंटर कालेज माजरी माफी में राजनीतिक विज्ञान के प्रवक्ता श्री अंकित जोशी के नेतृत्व में चलाई गई इन कक्षाओं के छात्र-छात्राओं ने बोर्ड परीक्षा में उच्च स्थान हासिल किया। प्रेरणाप्रद व उपचारात्मक कक्षाओं में शामिल होने वाले दसवीं के छात्र-छात्राओं ने राजकीय इंटर कालेज माजरी माफी स्कूल के इतिहास में पहली बार छह छात्र-छात्राएं प्रथम श्रेणी जबकि 10 छात्र-छात्राएं द्वितीय श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। गौरतलब है कि इन छात्र-छात्राओं को प्रयोगात्मक परीक्षा में स्कूल के अध्यापकों द्वारा कमत्तर आंका गया और उन्हें कम अंक दिये गये। जबकि इसके उलट उन छात्र-छात्राओं को प्रयोगात्मक परीक्षा में शत-प्रतिशत अंक दिये गये जो कभी भी प्रेरणाप्रद व उपचारात्मक कक्षाओं में शामिल नहीं हुए थे। शिक्षकों के कृपा पात्र ये छात्र-छात्राएं सैद्धांतिक परीक्षा में दहाई का आंकड़ा भी नहीं छू पाये। जिससे यह सवाल खड़ा हो जाता है कि क्या शिक्षा के मंदिर में भी गुरू भेदभाव पर उतर आये हैं। आंकड़ों पर नजर डालने से पता चलता है कि विद्यालय में 6 छात्र-छात्राएं जो प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए उनमें से किसी को भी प्रयोगात्मक परीक्षाओं में शत-प्रतिशत अंक नहीं दिये गये। ऐसे भी 6 छात्र-छात्राएं हैं जो कुछ ही अंक से प्रथम श्रेणी पाने से वंचित रह गये हैं। गौरतलब है कि जिन छात्रों को प्रयोगात्मक परीक्षा में शत प्रतिशत अंक दिये गये हैं वे सभी पिछले वर्ष भी फेल थे जबकि प्रथम श्रेणी से पास होने वाले किसी भी छात्र-छात्रा को प्रयोगात्मक परीक्षा में पूरे अंक नहीं दिये गये। यहां तक कि स्कूल में 81.8 फीसदी अंक हासिल कर स्कूल में सर्वोच्च स्थान प्राप्त करने वाले छात्र को भी प्रयोगात्मक परीक्षा में कमत्तर आंका गया। जिसका खामियाजा छात्राओं को भुगतना पड़ा। 

आपदा घोटाले पर बड़ा सवालः क्या सरकार करेगी सीबीआई जांच की संस्तुति
  • केदारनाथ आपदा के दौरान अफसरों की मौज का मामला, राहत राशि खर्च पर शुरूआती दौर से ही उठते रहे सवाल

देहरादून,31 मई(निस)। केदारनाथ धाम में आपदा के तत्काल बाद से ही सरकारी मशीनरी की भूमिका पर सवाल उठने शुरू हो गए थे। सूचना अधिकार से मिली जानकारी से अब साफ हो गया है कि सरकारी सिस्टम ने राहत राशि का जमकर दुरुपयोग किया। ऐसे में अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि इस घोटाले का मास्टर माइंड और हैं और क्या सरकार ने इन अफसरों के चेहरों को बेनकाब करने के लिए सूचना आयुक्त की सीबीआई जांच की सिफारिश पर अमल करेगी। 2013 में भीषण त्रासदी से एक तरफ आम जनता और देशभर से आए तीर्थयात्री परेशान थे तो सरकारी मशीनरी और नेता हवाई सैर में व्यस्त थे। हर कोई प्रभावित क्षेत्र का दौरा करने के नाम पर हेलीकाप्टर में घूम रहा था। उस वक्त भी इस हवाई सैर पर तमाम सवाल खड़े हो रहे थे। अब सूचना अधिकार के तहत मिली जानकारी से साफ हो गया है कि मामला केवल हवाई सैर का ही नहीं था। यह मामला तो पूरी तरह से मौज-मस्ती का ही निकला। आम लोगों को पीने का पानी नहीं मिल रहा था और अफसरों की फौज पकवान खा रही थी। सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर बेहद तल्ख टिप्पणी की है। आयुक्त शर्मा ने कहा कि आपदा के दौरान जब लोग मर रहे थे तो सरकारी सिस्टम की आत्मा भी मर गई थी। सूचना आयुक्त ने इस मामले को बेहद गंभीर मानते हुए सरकार से सिफारिश की है कि इसकी जांच सीबीआई से कराई जाए। इस मामले में दो अहम सवाल खड़े हो रहे हैं। पहला सवाल यह है कि आखिर इस घोटाले का असली मास्टर माइंड कौन है। हवाई सैर पर एक करोड़ से ज्यादा की रकम किसके इशारे पर खर्च की गई। लोगों को हवाई यात्रा की अनुमति किसके इशारे पर दी गई। दूसरा अहम सवाल यह भी है कि अब इस मामले में सरकार का रुख क्या रहेगा। उस वक्त आपदा राहत के कामों में कमी बताने वाले तत्कालीन केंद्रीय मंत्री हरीश रावत इस समय सरकार के मुखिया है। क्या हरदा इस पूरे घोटाले के आरोपियों के चेहरों पर पड़ा शराफत का मुखौटा हटाने के लिए सीबीआई जांच की संस्तुति करेंगे।

निजी फर्मों से बंटवाया गया मुआवजा
इस मामले में कई और खुलासे अभी बाकी है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने पीडि़त लोगों को मुआवजा बांटने के लिए निजी फर्मों का सहारा लिया। बताया जा रहा है कि इन फर्मों के लोगों ने एक पार्टी विशेष से जुड़े पीडितों को मनमाने ढंग से मुआवजा बांटा। नेता प्रतिपक्ष अजय भट्ट ने इस बारे में विधानसभा में भी सवाल लगाया था। लेकिन सरकार ने गोलमोल जवाब देकर इसे रफा-दफा कर दिया।

कैबिनेट ने माफ की फर्जी मुआवजे की रिकवरी
सूत्रों ने बताया कि कई जिलों में फर्जी तरीकों से तमाम लोगों को सरकारी पैसे से मुआवजा बांट दिया गया। इस बारे में जिलाधिकारियों ने जांच के बाद मामले सही पाए और सभी लोगों से पैसे की रिकवरी के नोटिस भी जारी कर दिए। इसके बाद राज्य मंत्रिमंडल ने एक फैसला करके फर्जी तरीके से बांटे गए मुआवजे की रिकवरी को रोक दिया। जाहिर है कि यह देश का पहला उदाहरण होगा, जिसके सरकारी पैसे की बंदरबांट की रिकवरी को माफ किया गया हो।

यह तो बहुत छोटा मामला प्रकाश में आया है। यह घोटाला करोड़ों रुपये का है। मामले में केवल कुछ अफसर ही नहीं, बल्कि पूरी सरकार शामिल है। भाजपा इस पूरे मामले की सीबीआई जांच से कम पर कुछ भी मानने को तैयार नहीं है।- अजय भट्ट, नेता प्रतिपक्ष

यह एक गंभीर मामला है। भ्रष्टाचार और घोटालों के प्रति मुख्यमंत्री की जीरे टालरेंसी है। निश्चित रूप से इस मामले की गहन जांच करवा कर दोषियों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा।- सुरेंद्र कुमार, मुख्यमंत्री के मीडिया को-आर्डिनेटर

केदारनाथ सहित उŸाराखण्ड के पुनर्निर्माण सामूहिक इच्छाशक्ति का प्रतीक: हरीष रावत

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देहरादून,31 मई(निस)। केदारनाथ सहित उŸाराखण्ड के पुनर्निर्माण के लिए हमारे लोगों ने विपरीत परिस्थितियों में जो काम किया, वह उŸाराखण्ड की सामूहिक इच्छाशक्ति का प्रतीक है। प्राकृतिक आपदाएं राज्य, सरकार, समाज व व्यक्तियों के धैर्य की परीक्षा लेती हैं। एक स्थानीय होटल में विभिन्न नागरिक संगठनों द्वारा आयोजित अभिनंदन कार्यक्रम में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने कहा कि वर्ष 2013 की त्रासदी के समय हमारे लोगों ने धैर्य बनाए रखा, उसी का परिणााम है कि चार धाम व हेमकुण्ट साहिब की यात्राएं सफलतापूर्वक संचालित की जा रही हैं। चार धाम यात्रा पर जिस उत्साह से श्रद्धालु बड़ी संख्या में आ रहे हैं उससे स्पष्ट है कि देश दुनिया के लोगों का उŸाराखण्ड के प्रति विश्वास लौटा है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने वर्ष 2013 की आपदा में काल कलवित हुए लोगों की स्मृति को नमन करते हुए कहा कि अभी पुनर्निर्माण कार्यों का केवल पहले चरण का काम हुआ है। बहुत सा काम अभी करना है। पांच से अधिक जिलों में आई आपदा से वर्षों में विकसित की गई व्यवस्थाएं छितरा गईं। परंतु ऐसे समय हमारे लोग धैर्यपूर्वक काम में लगे रहे। मुख्यमंत्री ने कहा कि बहुत से लोग कहते थे कि चारधाम यात्रा को स्थगित कर देना उचित रहेगा। परंतु ऐसा करने से हमारे मनोबल पर विपरीत असर पड़ता। हमने आम श्रद्धालुओं के लिए चारधाम यात्रा को प्रारम्भ करने करने का निर्णय लिया। पिछले वर्ष लगभग 4 लाख श्रद्धालु आए। जबकि इस वर्ष अभी तक चार लाख से अधिक श्रद्धालु चारों धाम के दर्शन कर चुके हैं। हेमकुण्ट साहिब की यात्रा में भी अपार उत्साह देखने को मिल रहा है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हिमालय व गंगा हमारी आस्था हैं और आस्था को कभी रोका नहीं जा सकता है। हमें खुशी है कि हम लोगों की आस्था को बनाए रखने के लिए व्यवस्थाएं कर पाए। अभी तो केवल प्रारम्भिक काम हुआ है। आज भी 363 गांवों को विस्थापन होना है। परंतु हमारी मजबूरी है कि इसे हम केवल अपने संसाधनों से नहीें कर सकते हैं। इसमें केंद्र का उदार सहयोग आवश्यक है। जब तक हम हिमालय को ठीक नहीं रखेंगे तब तक देश को भी ठीक नहीं रखा जा सकता है। नमामि गंगा के तहत गंगा तभी स्वच्छ रह सकती है जब हमारे प्राकृतिक जल स्त्रोतों को पुनर्जीवित किया जाए। स्वच्छ भारत जो कि पहले निर्मल भारत के नाम से संचालित था के तहत हमने दो जिलों को पूर्ण निर्मल जिले बनाने का निर्णय लिया है। इसमें केंद्र से सहायता मिलनी अभी बाकी है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज जी का आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने उŸाराखरण्ड को ग्रीन बोनस दिए जाने का समर्थन किया है। पहले हमें विशेेष राज्य का दर्जा प्राप्त होने के नाते 90ः10 के अनुपात में केंद्रीय सहायता मिलती थी जिसे कि अब 50ः50 किया जा रहा है। केंद्रीय करों में राज्यों का हिस्सा 10 प्रतिशत बढ़ाने से पहले से समृद्ध राज्यों को ही अधिक लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि बदली परिस्थितियों में भी हम राज्य के विकास को रूकने नहीं देंगे। परंतु नीतिगत बदलाव अचानक नहीं किए जाने चाहिए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने पूर्व संासद स्व0 मनोरमा डोबरियाल शर्मा का भावपूर्ण स्मरण करते हुए खुशी जाहिर की कि उनके अधूरे कार्यों को करने के लिए उनके परिजन प्रयासरत हैं। उन्होंनेे कहा कि देहरादून में जितनी नागरिक सुविधाएं बढ़ाई जाती हैं उससे अधिक संख्या में लोग बसने के लिए आ रहे हैं। ग्रीन देहरादून बनाने में हम सभी को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे। मनारेमा डोबरियाल शर्मा मेमोरियल फाउण्डेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में सांसद राजबब्बर, विधायक उमेश शर्मा काउ, कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन, अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष नरेंद्र जीत सिंह बिंद्रा सपा के प्रदेश अध्यक्ष डाॅ एसएन सचान, सिटू के वीरेन्द्र भण्डारी, सीएमएम के सुरेन्द्र सिंह सजवाण, पीएचडी चैम्बर्स के एचडी तनेजा, सीआईआई के मनु कोचर, कुमायू मण्डल मोटर्स एसोसिएशन के महेन्द्र सिंह बिष्ट, गढ़वाल मण्डल मोटर्स के सुरेश सिंह, उत्तरांचल पंजाब महासभा के जे.एस.आनन्द, गढ़वाल सभा के रोशन धस्माना, ब्राह्मण सभा शशिबल्लभ शास्त्री, गुरूद्वारा रेसकोर्स के प्रधान हरभजन सिंह, उत्तरांचल सिक्ख फेडरेशन के अध्यक्ष गुरूदीप सिंह, सिक्ख सेवा जत्था के अध्यक्ष गुलजार सिंह, गुरूद्वारा सिंह सभा के सचिव सेवा सिंह, दून वैलफेयर रेजिडेन्शियल सोसाईटी के डाॅ. महेश, व्यापर मण्डल के चन्द्रगुप्त विक्रम, सरदार अमरजीत सिंह, मोहम्मद अकरम, हाफिज अकरम कुरैशी सहित बड़ी संख्या में समाजसेवी, शिक्षाविद्, होटल, टूरिज्म, ट्रेवल व्यवसाय व विभिन्न संगठनो से जुड़े लोग उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री दीनानाथ द्वारा की गई जबकि स्वागत भाषण श्रीमती आशा मनोरमा डोबरियाल शर्मा द्वारा दिया गया।  

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