पटना 29 फरवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2016-17 के लिए पेश बजट को घोर निराशाजनक बताया और कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी परीक्षा में फेल हो गये हैं । श्री कुमार ने यहां अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत के दौरान बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बजट में कोई खास बात नहीं है और विकासोन्मुखी भी नहीं है । यह सिर्फ बिहार के लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए निराशाजनक बजट है । उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कल कहा था कि उनकी परीक्षा होगी और देश के 125 करोड़ लोग परीक्षा लेंगे। बजट भाषण सुनने के बाद उनको पास मार्क भी नहीं दिया जा सकता है, वे फेल हो गये हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वित्त मंत्री अरूण जेटली का बजट भाषण कहीं भी यह उम्मीद पैदा नहीं करता कि देश की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा । मोदी सरकार का यह तीसरा बजट है । इस बजट से उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखायी पड़ रही है। वे पूरे तौर पर विफल होंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा था कि यह वित मंत्री या किसी अर्थशास्त्री का बजट भाषण न होकर वकील का भाषण है। श्री जेटली ने ..डिसप्यूट सेटलमेंट.. पर काफी समय दिया।
श्री कुमार ने कहा कि बजट में भले ही वित मंत्री ने किसान, कृषि क्षेत्र और ग्रामीण विकास की बात की है लेकिन
उनका कोई ठोस कार्यक्रम उसमें परिलक्षित नहीं हुआ । उन्होंने कहा कि जब वे किसान की बात कर रहे थे। लोगों को उम्मीद थी कि 2014 के चुनाव के वक्त जो वादा किया था कि लागत पर पचास प्रतिशत मुनाफा जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जायेगा, उसकी घोषणा की जायेगी । दो साल गुजर गये, लेकिन अभी तक वादा पूरा नहीं किया गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि वित मंत्री किसानों की आमदनी 2022 तक दोगुनी करने की बात करते है लेकिन जो आर्थिक सर्वे आया है, उसके हिसाब से किसानों की आमदनी बहुत कम है। यदि किसानों की आमदनी पांच साल में दोगुनी भी हो जाती है तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला है। मुद्रा स्फीति का प्रभाव होगा तो रूपये की कीमत गिरेगी और किसानों की जो माली हालत है, वह बरकरार रहेगी। श्री कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना शत प्रतिशत केन्द्र की योजना थी। अब इसमें वे मात्र 60 प्रतिशत राशि देंगे और राज्यों को 40 प्रतिशत राशि देना पड़ेगा। इससे राज्यों का वे कौन सा कल्याण करेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना में बिहार सरकार ने 2015-16 में चार हजार करोड़ रूपये का आवंटन मांगा था लेकिन मात्र 2,781 करोड़ रूपये दिये गये । इसका मतलब साफ है कि राज्य की जरूरत के हिसाब से बजटीय आवंटन नहीं किये जा रहे हैं, इसके बाद भी राज्यों पर 40 प्रतिशत का बोझ डाल दिया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरणा योजना में केन्द्र सरकार 90 प्रतिशत राशि देती थी और राज्य सरकार को दस प्रतिशत राशि देना पड़ता है। अब इसका नाम बदलकर स्व0 दीनदयाल उपाध्याय के नाम से नामांकरण कर दिया गया है। अब केन्द्र सरकार इस योजना के तहत 60 प्रतिशत राशि देगी और राज्य सरकार को 40 प्रतिशत राशि देना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इसी से यह पता चलता है कि मोदी सरकार राज्यों के हित में कितना सोचती है। बजट में कहीं भी क्षेत्रीय असंतुलन समाप्त करने को लेकर कोई पहल नहीं की गयी है। श्री कुमार ने कहा कि वित आयोग ने जो पैसे दिये हैं, वह किसी की कृपा से नहीं मिल रहा है । वित आयोग ने राज्यों के लिये जो अनुशंसा की है, उससे बिहार को नुकसान हुआ है। 14वें वित आयोग ने 2015-16 के लिये 56,300 करोड़ रूपये की सिफारिश की थी, उसके विरूद्ध 2015-16 के बजट में 50,747 करोड़ रूपये का प्रावधान किया गया। अब केन्द्र सरकार ने इसे घटाकर 48,922 करोड़ रूपये कर दिया है । 2016-17 के बजट में वित आयोग की सिफारिश के अनुसार बिहार को 64,973 करोड़ रूपये मिलना चाहिये लेकिन जो आज बजट पेश किया है, उसमें आवंटन है 55,233 करोड़ रूपये अर्थात नौ हजार करोड़ रूपये से भी ज्यादा लगभग दस हजार करोड़ रूपये की कमी हो रही है। बिहार के साथ अन्याय हो रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बजट से आमलोगों को कोई फायदा नहीं होगा । काला धन वाले को फायदा होगा। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री ने कहा था कि काला धन लायेंगे । गरीबों के खाते में पन्द्रह से बीस लाख रूपये मिल जायेंगे लेकिन बजट में काला धन जुटाने वालों के लिये एमनेस्टी स्कीम चला दी गयी है। अब काला धन को वैध बनाने के लिये मात्र 45 प्रतिशत राशि को जमा करना होगा। 55 प्रतिशत राशि लेकर कालाधन वाले मौज करेंगे।
श्री कुमार ने कहा कि सर्विस टैक्स के अन्तर्गत राज्य सरकार के लिये जो भवन चाहे अस्पताल, स्कूल, कॉलेज या सरकारी भवन बनते हैं, उस पर भी सर्विस टैक्स लगता है। इस संबंध में उन्होंने फरवरी में वित्त मंत्री को चिट्ठी लिखी थी कि राज्य सरकार का जो स्ट्रक्चर बन रही है, उस पर सर्विस टैक्स नहीं लिया जाये लेकिन इस बात को भी उन्होंने अस्वीकार कर दिया । उन्होंने कहा कि पता नहीं कल राज्य सरकार जो सड़कें बनायेगी, कहीं उस पर भी टैक्स लिया जायेगा । यह बहुत ही निराशाजनक बजट है। इससे न किसानों का कल्याण होने वाला है, न युवाओं का । मुख्यमंत्री ने पूछे जाने पर कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के पहले प्रधानमंत्री ने एक चुनावी सभा में बोली लगायी थी और एक लाख 25 हजार करोड़ देने का वादा किया था लेकिन बजट में उसका कहीं कोई जिक्र नहीं है । इसके अलावा भी 40 हजार करोड़ रूपया देने की घोषणा की गयी थी । उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार अपने वायदों को भूल गयी है । वे सिर्फ बोलने में माहिर हैं। विशेष राज्य का दर्जा और विशेष पैकेज तो दूर जो पहले की सरकार ने दिया था, वह भी इस बजट में गायब है । श्री कुमार ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में शौचालय के लिये केन्द्र सरकार प्रति शौचालय मात्र चार हजार रूपये दे रही है। राज्य सरकार अपने तरफ से आठ हजार रूपये देकर बारह हजार रूपये की योजना चला रही है । उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार को शौचालय और स्वच्छता योजना में अपने हिस्से की राशि बढ़ानी चाहिये।
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