- ममता के बोल पर आयोग का कदम
- -रज्जाक, सोनाली, अणुव्रत, लाॅकेट के खिलाफ प्राथमिकी दजर् हो चुका है
- -पहले सुभाष चक्रवतीर् व विमान बोस के खिलाफ भी हो चुका है
कोलकाता ः पूवर् मिदनापुर के चंडीपुर में चुनावी सभा में आयोग व पुलिस को निशाने बनाने संबंधी भाषण पर संज्ञान लेते हुए चुनाव आयोग ने तृणमूल नेत्री ममता बनजीर् के भाषण की सीडी तलब की है। राज्य चुनाव आयोग ने सीडी भेज भी दी है, एेसा आयोग सूत्रों का दावा है। विपक्ष ने ममता के बयान पर उनके खिलाफ प्रााथमिकी दजर् करने की मांग की है। विपक्ष का आरोप है कि अपने पक्ष में काम नहीं करने से ममता पुलिस वालों से नाराज हैं अौर इसीलिए उन्होंने 15 दिन की ड्यूटी वाले पुलिस वालों को देख लेने की धमकी दी है। एेसा कर उन्होंने आचार संहिता का उल्लंघन कियाहै। अतः उनके खिलाफ प्राथमिकी दजर् की जाय। पर किसी बडे नेता के खिलाफ प्राथमिकी दजर् करने की मांग या दजर् करने की यह पहली घटना नहीं है। पर इन प्राथमिकियों का अंतिम हस्र क्या होता है। यह भी अपने आप में बडा सवाल है।
प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार आयोग भाषण के आधार पर ममता बनजीर् के खिलाफ प्राथमिकी दजर् कर सकता है। अतीत में आयोग ने माकपा के दिग्गज नेता स्व. सुभाष चक्रवतीर् तथा विमान बोस के खिलाफ धमकी देने के आरोप में प्राथमिकी दजर् कर चुका है। दोनों मामले लंबे समय तक चलते भी रहे। इस बार भी आयोग ने भांगड के तृणमूल उम्मीदवार रज्जाक मोल्ला के खिलाफ प्राथमिकी दजर् किया है। वीरभूम के जिला तृणमूल अध्यक्ष अणुव्रत मंडल तथा मयूरेश्वर से भाजपा उम्मीदवार लाॅकेट चटजीर् के खिलाफ भी आयोग ने प्राथमिकी दजर् की है। सतगछिया के तृणमूल उम्मीदवार तथा डिप्टी स्पीकर सोनाली गुहा के खिलाफ भी आयोग ने प्राथमिकी दजर् की है। दोनों पर आयोग के काम-काज में कथित हस्तक्षेप करने का मामला माना है। मुख्यमंत्री ममता बनजीर् के खिलाफ आयोग पहले ही नोटिस जारी किया था। मुख्य सचिव ने उसका जवाब भेजा था जिस पर काफी विवाद भी हुआ। माना जा रहा है कि ममता बनजीर् के भाषण पर आयोग इस बार भी कठोर रवैया अख्तियार करेगा। पांच मई को होने वाले अंतिम चरण के मतदान में 25 सीटों के लिए आयोग ने 36 हजार से अधिक सुरक्षा बलों की तैनाती का फैसला किया है। केवल पूवर् मिदनापुर के 16 सीटों के लिए ही आयोग ने 26 हजार सुरक्षा कमिर्यों को तैनात किया है। आयोग किसी भी दबाव या धमकी से विचलीत नहीं होगा, एेसा संकेत उसने अपने 70 अधिकारियों को हटाकर दे दिया है। हालात को देखते हुए अंतिम चरण के मतदान को भी शांतिपूणर् कराने के लिए आयोदग ने सीधे डीजी से संपकर् कर रिपोटर् करने के लिए कहा है। उन्हें तीन दिन अंतर पर रिपोटर् भेजने के लिए कहा गया है। आयोग सूत्रों का स्पष्ट संकेत है कि मुख्यमंत्री के मामले में भी कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। आयोग संविधान द्वारा प्राप्त अधिकारों का प्रयोग करते हुए कारर्वाई अवश्य ही करेगा।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें