नयी दिल्ली, 19 जून, पाकिस्तान के साथ बातचीत शुरु होने तथा राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के पाकिस्तान जाने को लेकर अटकलाें पर विराम लगाते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आज कहा कि विदेश सचिव स्तरीय बातचीत रद्द नहीं हुई है। सिर्फ पठानकोट हमले को लेकर उसकी ओर से ‘कुछ अच्छी ठोस’ कार्रवाई का इंतजार है। श्रीमती स्वराज ने यहां सरकार के दो साल के दौरान हासिल उपलब्धियों को साझा करने के लिये आयोजित संवाददाता सम्मेलन में यह भी कहा कि पाकिस्तान ने पठानकोट हमले की जांच के लिये एनआईए की टीम को आने देने से मना नहीं किया है। उन्होंने पठानकोट हमले की मुंबई हमले से तुलना किये जाने को लेकर एक सवाल को लेकर उन्होंने कहा कि पठानकोट हमले को लेकर पाकिस्तान के रवैये में एक अंतर आया है। उसने हर बार की तरह इस बार हमले में अपने देश के लोगों का हाथ होने से इन्कार नहीं किया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से कहा कि भारत उन्हें सबूत दे दे, उनकी सरकार उस पर कार्रवाई करेगी।
विदेश सचिव स्तरीय बातचीत को लेकर उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों में से किसी ने भी यह नहीं कहा है कि बातचीत रद्द हो गयी है। पठानकोट हमले के बाद देश की अपेक्षा है कि उनकी ओर से अच्छी ठोस कार्रवाई की जाये। उसी का इंतजार है।
श्रीमती स्वराज ने कहा कि जेअाईटी जांच करके पाकिस्तान लौट चुकी है। पाकिस्तान सरकार ने कहा है कि जेआईटी को मिले सुरागों पर काम हो रहा है। उसके लिये कुछ समय मांगा है। उन्होंने एनआईए के दल को पाकिस्तान आने देने से इन्कार नहीं किया है।
विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को लेकर मोदी सरकार के विचारों की चर्चा करते हुए कहा कि पाकिस्तान के साथ भारत के मुद्दे खासकर कश्मीर के मुद्दा बहुत जटिल है और इन्हें सुलझाने के लिये रिश्तों की सहजता और विश्वास की जरूरत है।
इस समय भारत के प्रधानमंत्री और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के बीच रिश्तों में जैसी गर्माहट एवं सहजता बनी है वैसी पहले कभी नहीं रही। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि श्री मोदी की दिसंबर में लाहौर यात्रा और लंदन में अपनी ओपन हॉर्ट सर्जरी के पहले श्री शरीफ का श्री मोदी काे फोन करना दोनों नेताओं के बीच सहजता का परिचायक है।
उन्हाेंने कहा कि रिश्तों में इस सहजता के बावजूद सावधानी एवं सतर्कता में कोई कमी नहीं की है। गृहमंत्री और रक्षामंत्री के बयानों से भी यह बात पूरी तरह से स्पष्ट हो जाती है। उन्होंने कहा कि कुछ ताकतें हैं जो दोनों देशों के रिश्तों को कभी नहीं सुधरने देना चाहतीं हैं और कुछ सुधारने के हक में हैं।
उन्हाेंने कहा कि सरकार ने पाकिस्तान के साथ आरंभ से ही एक तीन सूत्रीय नीति को अपनाया है। पहला, हर मुद्दे को वार्ता के माध्यम से सुलझाना। दूसरा, वार्ता में दो ही पक्षकारों को होना, तीसरे किसी को भी आने की इजाज़त नहीं देना तथा तीसरा आतंकवाद एवं वार्ता साथ साथ नहीं चलना। सरकार के शपथ ग्रहण समारोह में निमंत्रण देने से लेकर अब तक इसी रास्ते पर भारत चला है और तीनों कसौटियों से डिगा नहीं है।

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