नयी दिल्ली, 10 जुलाई, जल संसाधन, नदी विकास एवं गगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने कहा है कि गंगा सफाई के लिए उन्होंने पिछले दो साल में जो प्रयास किए हैं उसे जमीन पर उतारने का काम पिछले सप्ताह पवित्र नगरी हरिद्वार से आरंभ किया जा चुका है और उन्हें भरोसा है कि इसके परिणाम जल्द सामने आएंगे तथा 2018 तक गंगा स्वच्छ नजर आने लगेगी। सुश्री भारती ने यूनीवार्ता से बातचीत में कहा कि गंगा को निर्मल और अविरल कैसे बनाना है इसके लिए वह पिछले दो साल से ठोस धरातल तैयार करने में जुटी रहीं। इस दौरान उन्होंने कई बार मौके पर जाकर स्थिति का अवलोकन किया और उसी के आधार पर निर्मल गंगा योजना पर काम करती रही हैं और अब इन योजनाओं पर क्रियान्वयन की शुरुआत उत्तराखंड के हरिद्वार में एक भव्य कार्यक्रम के जरिए की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि निर्मल गंगा योजना काे हकीकत में बदलने के लिए उत्तराखंड के गंगोत्री से पश्चिम बंगाल के गंगासागर तक सात जुलाई को एक साथ 100 स्थानों पर स्वच्छा गंगा के लिए 231 योजनाओं पर काम की शुरुआत की गयी। इन योजनाओं पर 1500 करोड रुपए खर्च होंगे। इनमें घाटों का आधुनिकीकरण, मल शोधन संयंत्र पुनर्वास एवं विकास, वृक्षारोपण, जैव विविधता सरंक्षण जैसी परियोजनाअों पर काम आरंभ किया गया। पूरी गंगा घाटी में इस तरह की 300 परियोजनाएं शुरू की जानी है। नमामि गंगे योजना के तहत गंगा की सफाई के लिए सात जुलाई को हरिद्वार के प्रसिद्ध ऋषिकुल मैदान में मुख्य कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें गंगा की निर्मलता के लिए काम करने वाले साधु संतों के साथ ही हरिद्वार में हर की पैड़ी पर वर्षों से नियमित लोकप्रिय गंगा आरती करने वाली समिति के पदाधिकारियों के अलावा केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी, संस्कृति मंत्री डॉ महेश शर्मा, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत और स्थानीय सांसद रमेश पाखेरियाल सहित कई प्रमुख लोग मौजूद थे।
सुश्री भारती ने कहा कि गंगा सफाई योजना के लिए उन्होंने कई अध्ययन भी कराए हैं। इनमें से सात रिपोर्टें उनके पास आ चुकी है और 50 अन्य इसी माह मिल जाएंगी। गंगा में डॉल्फिनों, मगरमच्छों और अन्य प्रजातियों के संरक्षण के उपाय सुझाने के लिये भारतीय वन्य प्राणि संस्थान काे तथा मछलियों के संरक्षण के लिए केन्द्रीय मत्स्य शोध संस्थान से उपाय करने को कहा गया है। केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट के आधार पर अधिक प्रदूषण फैलाने वाले 508 उद्योगों की पूरी निगरानी की जा रही है और अत्यधिक प्रदूषण फैलाने वाले 150 उद्योगों को बंद करने के नोटिस भी जारी किए गए हैं। निगरानी व्यवस्था को और मजबूत बनाया जाएगा ताकि यह सुनश्चित हो कि गंगा में प्रदूषित पानी नहीं पहुंचे। उनका कहना है कि गंगा सफाई का काम तेजी से किया जाएगा और जल्द ही गंगा नदी को उसका गौरव लौटाया जाएगा। केंद्र ने नमामि गंगा परियोजना के 20 हजार करोड़ रुपए आवंटित किए हैं। इस पैसे के सुचारू प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय गंगा घाटी प्रधिकरण के अंतर्गत आने वाले विभन्न राज्यों में परयोजनाओं के क्रियान्वयन के लिए अलग अलग केंद्रीय लोक प्रधिकरण नियुक्त किए गए हैं।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें