झारखंड विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल की कार्यवाही लगातार नौवें दिन भी बाधित रही - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 31 जनवरी 2017

झारखंड विधानसभा में प्रश्नोत्तर काल की कार्यवाही लगातार नौवें दिन भी बाधित रही

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रांची 31 जनवरी, झारखंड विधानसभा में छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम (सीएनटी) और संतालपरगना काश्तकारी अधिनियम (एसपीटी) में संशोधन वापसी और चार विधायकों के निलंबन के मुद्दे को लेकर विपक्षी सदस्यों के शोर-शराबे के कारण प्रश्नोत्तर काल की कार्यवाही आज लगातार नौवें दिन भी बाधित रही। विधानसभा की कार्यवाही आज पूर्वाह्न 11 बजे शुरु होने के साथ ही झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के स्टीफन मरांडी ने चार विधायकों के निलंबन के मसले को उठाते हुए कहा कि विधानसभा अध्यक्ष दिनेश उरांव से नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस विधायक दल के नेता की ओर से इस मामले में पुनर्विचार का निवेदन किया गया था। उन्होंने चार विधायकों के निलंबल के मसले पर पुनर्विचार को लेकर फैसला सुनाने का आग्रह किया। श्री उरांव ने कहा कि निलंबन का विषय आसन के संज्ञान में है और इस विषय पर सदन गंभीर है। उन्होंने कहा कि सदन की स्थिति का सभी लोगों को ज्ञान है। आसन और सदन की मर्यादा का ख्याल रखा जाना चाहिए। कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा कि निलंबन के मसले पर उनकी और नेता प्रतिपक्ष की ओर से लिखित रूप में खेद व्यक्ति किया गया है लेकिन सदन व्यवस्थित रूप से चले इसकी कोई गारंटी नहीं दे सकता है। झारखंड विकास मोर्चा (झाविमो) विधायक दल के नेता प्रदीप यादव ने कहा कि विधानसभा को सुचारू रुप से चलाना अलग विषय है और निलंबन का मसला अलग है। उन्होंने कहा कि निलंबन को लेकर पार्टी नेताओं ने खेद व्यक्त किया है इसलिए इस फैसले पर पुनर्विचार होना चाहिए। भाजपा के रामकुमार पाहन और जानकी प्रसाद यादव द्वारा विपक्षी सदस्यों द्वारा किये जा रहे हंगामे पर चिंता व्यक्त की गई। भाजपा नेता जानकी प्रसाद यादव ने कहा कि विपक्षी सदस्यों के रवैये के कारण सदन में गरीबों के सवाल नहीं आ पा रहा है। उन्होंने कहा कि झामुमो सदस्यों का नकली हल कुदाल के साथ प्रदर्शन मात्र दिखावा है। 

नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कहा कि आसन की ओर से न तो चार विधायकों के निलंबल के मसले पर पुनर्विचार का फैसला लिया जा रहा है और न ही सीएनटी-एसपीटी अधिनियम में संशोधन वापसी पर कोई फैसला हो पा रहा है। उन्होंने कहा कि इतिहास में ऐसा भी देखा गया है कि विरोध प्रदर्शन के बाद सदस्य स्ट्रेचर पर बाहर निकले हैं लेकिन ऐसा फैसला नहीं लिया गया। श्री सोरेन ने कहा कि सदन के बाहर सीएनटी-एसपीटी अधिनियम के मुद्दे पर आवाज उठाने पर जेल भेजा जा रहा है वहीं सदन के अंदर आवाज उठाने पर निलंबन हो रहा है। ऐसी स्थिति में अपने अधिकार के लिए लोग कहां जाएंगे। उन्होंने कहा कि अब अदालत का दरवाजा खटखटाने का रास्ता ही बचा है लेकिन क्या सदन से न्यायिक व्यवस्था ऊपर है। इस बीच झामुमो के कई विधायक नारेबाजी करते हुए वेल में आ गये जिसके कारण विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को अपराह्न 12 बजकर 45 मिनट तक के लिए स्थगित कर दी। सदन की कार्यवाही पुनः शुरु होने पर भाजपा के नारायण दास ने देवघर में बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर में सरदार पंडा के रूप में अचिदानंद की ताजपोशी को लेकर अब तक अधिसूचना जारी नहीं होने का मामला उठाया। उन्होंने बताया कि अदालत द्वारा 07 दिसंबर 2016 को अचिदानंद को सरदार पंडा के रूप में मान्यता दे दी गयी है लेकिन ताजपोशी की अधिसूचना जारी नहीं होने से तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं और श्राइन बोर्ड के उपाध्यक्ष भी कह रहे हैं कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि सरदार पंडा नहीं होने के कारण पिछले 46 वर्षों से बाबा वैद्यनाथ धाम मंदिर में महाशृंगार की पूजा नहीं हो रही है। इस बीच मंत्री राजपलिवार ने बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री से बात हो चुकी है और अदालत के फैसले के अनुरूप 60 दिन होने पर इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। 

झाविमो के प्रदीप यादव ने गोड्डा जिला मुख्यालय में पिछले 36 घंटे से बिजली नहीं रहने का मुद्दा उठाया। वहीं, नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने फिर से चार विधायकों के निलंबन का मसला उठाते हुए कहा कि आसन इस पर पुनर्विचार का फैसला सुना दे। झामुमो के स्टीफन मरांडी ने भी फैसले पर पुनर्विचार का आग्रह करते हुए कहा कि ऐसी घटना की पुनरावृत्ति न हो, इस संबंध में लिखित भरोसा पार्टी नेताओं की ओर से दिलाया गया है। वहीं, भाजपा के मनीष जायसवाल ने कहा कि निलंबित विधायकों द्वारा सोशल मीडिया पर इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति की बात दुहरायी जा रही है इसलिए उनकी ओर से पहले खेद व्यक्त किया जाना चाहिए। सदन में आज विभिन्न समितियों के सभापति की ओर से एक-एक प्रतिवेदन सभा पटल पर रखा गया। वहीं, ग्रामीण विकास विभाग के प्रभारी मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा ने वर्ष 2016-17 के लिए 59.99 अरब रुपये की अनुदान मांग सभा पटल पर रखा और झाविमो के प्रदीप यादव ने कटौती प्रस्ताव रखा। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को भोजनावकाश दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी। भोजनावकाश के बाद दोपहर दो बजे सभा की कार्यवाही शुरू होने पर झामुमो के कई विधायकों ने अपनी पुरानी मांग को लेकर नारेबाजी शुरू कर दी। झामुमो सदस्यों की सरकार द्वारा परिभाषित स्थानीय निवासी नीति में संशोधन की मांग पर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि 14 वर्षों तक स्थानीय नीति के मसले पर झारखंड नामधारी पार्टियों ने सिर्फ राजनीति की और आदिवासियों एवं मूलवासियों को अपने पीछे घूमाने का काम किया लेकिन उनकी सरकार ने इस मसले पर सभी पक्षों से विचार-विमर्श के बाद स्थानीय नीति तय कर दी जिसके बाद 35 हजार पदों के लिए नियुक्तियां हो चुकी है। इसमें से 80 प्रतिशत लोग आदिवासी और मूलवासियों की नियुक्ति हुई है। वहीं, 45 हजार सरकारी पदों पर जल्द ही नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की जाएगी। विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को अपराह्न 3 बजे दिन तक स्थगित करते हुए अपने चेंबर में कार्यमंत्रणा समिति की बैठक बुलायी। दुबारा कार्यवाही शुरु होने पर नेता प्रतिपक्ष के नेतृत्व में झामुमो विधायक नेता सदन का बहिर्गमन कर चले गये। इसके बाद अनुदान मांगों पर चर्चा हुई और वाद-विवाद के बाद झाविमो के प्रदीप यादव के कटौती प्रस्ताव को अमान्य करते हुए ग्रामीण विकास विभाग की अनुदान मांग को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इसके साथ ही विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही को 02 फरवरी पूर्वाह्न 11 बजे दिन तक के लिए स्थगित कर दी। 




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