किसानों की आय बढ़ाने के लिए सिंचाई, मधुमक्खी पालन पर जोर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 4 मई 2017

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सिंचाई, मधुमक्खी पालन पर जोर

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नयी दिल्ली 03 मई, किसानों की आय पांच वर्ष में दोगुना करने की दिशा में सरकार ने कदम उठाने शुरू कर दिये हैं तथा उसका सबसे ज्यादा जोर उत्पादों का लाभकारी मूल्य दिलाने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, ई-नाम, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, कृषि वानिकी एवं मधुमक्खी पालन पर है। कृषि मंत्रालय के सूत्रों ने आज बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, वर्षा जल संचय, सूक्ष्म सिंचाई योजना और इनाम योजना के अच्छे परिणाम सामने आने लगे हैं और किसानों का इन योजनाओं के प्रति आकर्षण बढ़ा है। राज्य सरकारों के साथ मिलकर मृदा जांच अभियान चलाया गया और यह अंतिम चरण में पहुंच गया है। मधुमक्खी पालन में कम लागत और परागण से फसलों के उत्पादन में होने वाली वृद्धि के मद्देनजर इस योजना के बजट में भारी वृद्धि की गयी है। पिछले तीन साल में उठाये गये कदमों का जिक्र करते हुये सूत्रों ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना पिछले साल खरीफ सीजन में शुरू की गयी थी। देश में पहली बार फसलों के लगाने के पहले और कटाई के बाद प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपायी करने के लिए बीमा में उपयुक्त प्रावधान किये गये हैं। इस योजना में नुकसान के आंकलन के लिए दूर संवेदी प्रौद्योगिकी और मोबाइल ऐप का प्रयोग किया किया गया जिसके कारण दावे के भुगतान की अवधि पहले की तुलना में काफी कम हो गयी। सरकार ने बीमा योजना के प्रति किसानों में बढ़ते आकर्षण को देखते हुए वर्ष 2017..18 में 40 प्रतिशत और 2018..19 में 50 प्रतिशत किसानों को इसके दायरे में लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। रबी फसलों लिए डेढ़ प्रतिशत और खरीफ के लिए दो प्रतिशत प्रीमियम की दर रखी गयी है जबकि बागवानी फसलों के लिए यह दर सालाना पांच प्रतिशत तय की गयी है। ‘हर खेत को पानी’आदर्श वाक्य के साथ प्रधानमंत्री कृषि 2015-16 में की गयी थी और इसके लिए वर्षों से लंबित बड़ी तथा मध्यम सिंचाई योजनाओं को पूरा करने के लिए बजट आवंटन किया गया था। इसके साथ ही वर्षा जल के संचय और सूक्ष्म सिंचाई योजनाओं के कार्यान्वयन पर जोर दिया गया। इसके अलावा जिला स्तर पर भी सिंचाई की योजनायें तैयार की गयी हैं। 


किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने और बिचौलियों को इस व्यापार से अलग करने के लिए 14 अप्रैल 2016 से राष्ट्रीय कृषि मंडी (ई-नाम) योजना शुरू की गयी है। यहां किसानों को देश के विभिन्न मंडियों में फसलों के मूल्यों की जानकारी ऑन लाइन मिलती है और वे जहां चाहें वहां अपनी फसल बेच सकते हैं। किसानों के खाते में ऑन लाइन भुगतान किया जाता है। इस योजना के तहत 13 राज्यों के 417 मंडियों को जोड़ा गया है जहां लगभग 38 लाख किसानों ने अपना पंजीयन कराया है। मोदी सरकार के आने के फौरन बाद मिट्टी जांच पर सर्वाधिक जोर दिया गया था और देश के 14 करोड़ किसानों को यह कार्ड देने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। अब तक 2.21 करोड़ नमूनों की जांच की गयी है तथा 6.4 करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को दिए गये हैं। किसानों की आय बढ़ाने के लिए कृृषि वानिकी और मधुमक्खी पालन पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कृषि वानिकी उप मिशन याेजना का उद्देश्य खेतों के मेड़ पर पेड़ लगाना है। इसके लिए 2016-17 से चार साल के दौरान 935 करोड़ रुपये खर्च किये जायेंगे। किसानों को आय का एक नया स्रोत देने के लिए मधुमक्खी पालन पर भी विशेष जोर दिया जा रहा है। इस व्यवसाय को किसान खेती के साथ बहुत कम व्यय में आसानी से कर सकते हैं। वर्ष 2011-12 से 2013-14 के दौरान राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड को जहां 5.94 करोड़ रुपये दिये गये थे, उसे 2014-15 से 2016-17 तक बढ़ाकर 18.15 करोड़ रुपये कर दिया गया था।

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