बिहार : कटघरे में डोनर ,एनजीओ और निर्वाचन विभाग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा , झंडा ऊँचा रहे हमारा। देश की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर सभी देशवासियों को अनेकानेक शुभकामनाएं व बधाई। 'लाइव आर्यावर्त' परिवार आज़ादी के उन तमाम वीर शहीदों और सेनानियों को कृतज्ञता पूर्ण श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए नमन करता है। आइए , मिल कर एक समृद्ध भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। भारत माता की जय। जय हिन्द।

बुधवार, 10 मई 2017

बिहार : कटघरे में डोनर ,एनजीओ और निर्वाचन विभाग

  • पटना के डीएम संजय कुमार अग्रवाल हस्तक्षेप करें

municiple-election-patna
पटना। पटना नगर निगम के चुनाव में कटघरे में है डोनर,एनजीओ और निर्वाचन विभाग। तीनों खुद का कर्तव्य बेहतर ढंग से निर्वाह नहीं किये हैं। डोनर ने एनजीओ को मतदाता जागरूकता अभियान चलाने के लिए धनराशि नहीं निर्गत किये। तो मतदाता जागरूकता अभियान चलाने में एनजीओ मन ही नहीं लगाया। किसी तरह का लगाम नहीं लगाने से बेलगाम होकर निर्वाचन विभाग में कार्यशील रहा। इसका समाज के किनारे रहने वाले महादलित मुसहर समुदाय के दीपक कुमार मांझी शिकार हो गये। अपर्याप्त जानकारी के कारण वार्ड नम्बर-22 ए से नामांकन नहीं कर सके। इनके प्रस्तावक का नाम मतदाता सूची से गायब कर दिया गया। हालांकि मतदाता परिचय हाथ में है। इसमें पटना जिला के डीएम संजय कुमार अग्रवाल हस्तक्षेप करें। आजादी के बाद से डोनर और एनजीओ का बोलबालाः आजाद भारत में विदेशी डोनर धन के बल पर विदेश-देश-प्रदेश में कार्यशील है। अपने उद्ेश्य की प्राप्ति को लेकर डोनर एनजीओ को मोहरा की तरह उपयोग किये। केन्द्र में मोदी सरकार आने के बाद देश में अस्थिरता और अपने उद्ेश्य की प्राप्ति करने वाले डोनर और एनजीओ पर नकेल कंसना शुरू कर दिया। इस समय एनजीओ बापबाप चिल्ला रहे हैं। सामाजिक कार्यकर्ता के कुर्ता और पैजामा पहने वालों की कलई खुलीःदेश और प्रदेश में चुनाव होने के समय मतदाता जागरूकता अभियान चलाने वाले डोनर और एनजीओ निकाय चुनाव में खामोश रहे। इसका भुक्तभोगी महादलित मुसहर समुदाय के दीपक कुमार मांझी हो गये। पटना नगर निगम के नूतन राजधानी अंचल वार्ड नम्बर-22 ए से चुनाव लड़ने वाले थे। कई माह से तैयारी कर रहे थे। वार्ड प्रत्याशी बनने की अभिलाषा पालने वाले दीपक कुमार मांझी की इच्छा पर वज्रपात हो गयी। प्रत्याशी प्रस्तावक और समर्थक का नाम मतदाता सूची में नाम रहना अनिवार्य है। जो प्रस्तावक हैं उनका नाम मतदाता सूची से गायब है। वोटर परिचय पत्र कार्ड हाथ में है। नाम गायब होने की स्थिति प्र्रस्तावक हाथ मलते रह गया। सोमवार को नामांकन दीपक कुमार मांझी का नहीं हुआ। घर आकर 22 हजार से ऊपर मतदातों की मतदाता सूची को खंगालना प्रारंभ किया गया। कई लीटर जलाने के बाद भी मतदाता सूची में नाम मिला ही नहीं। इसकी सूचना वाट्सअप पर निराश दीपक कुमार मांझी ने दी है। मतदाता सूची में एक से अनेक खामियाः वार्ड नम्बर-26 के मतदाताओं को वार्ड नम्बर-27 में शामिल कर दिया गया था। समय पर जानकारी मिलने पर अधिकारियों के समक्ष आपत्ति दर्ज करने के बाद सुधार हो सका। वार्ड नम्बर-27 में आने वाले वोटर को बैक टू पवेलियन कर दियागया। उन्हें वार्ड नम्बर-26 के वोटर के रूप में प्रत्याशी को चयन करना है। अब अधिकारियों को विशेष कर्तव्य बनता है कि वोटर परिचय पत्र रखने वाले प्रस्तावक को मान्य करके वार्ड नम्बर-22 ए के प्रत्याशी के प्रस्तावक बनने का अधिकार प्रदान करें। जिसे अभी अमान्य किया जा रहा है उसे वोट देते वक्त वैकल्पिक व्यवस्था कर वोट डालने का अधिकार दे दिया जाएगा। अच्छा होगा कि अधिकारीगण कदम उठाये। और हजारों रूपये व्यय कर चुके दीपक कुमार मांझी को प्रत्याशी बनने का मौका प्रदान करें। आखिर यह विभागीय चूक का ही परिणाम है। साहब आपने वोटर पहचान पत्र निर्गत किये और मतदाता सूची में नाम शामिल नहीं किये। यह जरूरी है कि तयशुदा समय के समय आपत्ति दर्ज नहीं किया गया। नामांकन समय जानकारी होने पर ही आंख खुली है। 

कोई टिप्पणी नहीं: