नयी दिल्ली, 28 जून, दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय से कहा कि एलएलबी की सीटें कम करके यह पढाई करने के इच्छुक छात्रों को सजा मत दीजिए। अदालत ने विश्वविद्यालय को इस वर्ष इस पाठ्यक््रम में बीते नौ वर्ष की तरह 2310 छात्रों का प्रवेश लेने की अनुमति दी। न्यायमूर्त मनमोहन और न्यायमूर्त योगेश खन्ना की पीठ ने अपने अंतरिम आदेश में कहा कि चूंकि विश्वविद्यालय का विधि संकाय मई 2008 से 2310 छात्रों का प्रवेश ले रहा है, इसलिए वह इस शैक्षणिक सत्र में भी इतने ही छात्रों का प्रवेश ले सकता है। पीठ ने कहा, लोगों को सजा क्यों दी जाए? उन्हें अध्ययन करने दीजिए। उन्हें पढाई का मौका दीजिए। अगर लोग वहां :डीयू: से पढना चाहते हैं तो उन्हें पढने दीजिए। इस स्तर पर सीटों की संख्या मत घटाइए। इसमें कहा गया आप विधि संकाय में इसलिए सीटें कम नहीं कर सकते कि अन्य ने निजी संस्थान शुरू कर दिये हैं। उनकी बडी क्षमता है। उनका संकाय बहुत अच्छा है। अदालत ने भारतीय बार परिषद की इन आप निकायों को नजरअंदाज किया कि वहां पर्याप्त स्थायी शिक्षक या आधारभूत ढांचा नहीं है। पीठ ने कहा कि विधि संकाय पर्याप्त शिक्षक सुनिश्चित करे। वे निजी विश्वविद्यालय नहीं हैं इसलिए इसकी तरह व्यवहार मत कीजिए। वे विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से अनुदान प्राप्त करते हैं, उनके खातों की जांच होती है, वे पर्याप्त शिक्षकों की संख्या सुनिश्चित करे। पीठ ने डीयू के विधि संकाय को बीसीआई की स्थायी समिति और निरीक्षण समिति द्वारा उठाए मुद्दों पर अपना जवाब देने का निर्देश दिया और इस मामले को सुनवाई हेतु 21 अगस्त के लिए रखा।
बुधवार, 28 जून 2017
एलएलबी में इस साल 2310 छात्रों का प्रवेश ले सकता है डीयू : अदालत
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