दुमका (झारखण्ड) की हलचल 28 अगस्त - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 28 अगस्त 2017

दुमका (झारखण्ड) की हलचल 28 अगस्त

एक नया स्वच्छ भारत, गरीबी मुक्त भारत, भ्रष्टाचार मुक्त भारत, आतंकवाद मुक्त भारत, सम्प्रदायवाद मुक्त भारत, जातिवाद मुक्त भारत का। 
  • न्यू इंडिया मंथनः संकल्प से सिद्धि के लिये सांसद दूबे ने दिलाया संकल्प

dumka news
दुमका (अमरेन्द्र सुमन) कृषि विज्ञान केन्द्र दुमका के तत्वावधान में दिन सोमवार को इन्डोर स्टेडियम, दुमका में न्यू इंडिया मंथनः संकल्प से सिद्धि कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकान्त दुबे ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सांसद श्री दूबे ने उपस्थित पदाधिकारीयों, जन प्रतिनिधियों, विभिन्न प्रखंडों के कृषक मित्रों को इस अवसर पर संकल्प से सिद्धि का संकल्प दिलाया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक भारत को न्यू इंडिया बनाने का संकल्प लिया है। 1942 में स्वतंत्रता सेनानियों ने एक संकल्प लिया था ‘‘भारत छोड़ो’’ का। वर्ष 1947 में वह महान संकल्प सिद्ध हुआ। भारत छोड़ो आन्‍दोलन की 75 वीं वर्षगाँठ के अवसर पर 9 से 30 अगस्त तक पूरे देश में न्यू इंडिया मंथन: संकल्प से सिद्धि तक का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। एक नया स्वच्छ भारत, गरीबी मुक्त भारत, भ्रष्टाचार मुक्त भारत, आतंकवाद मुक्त भारत, सम्प्रदायवाद मुक्त भारत, जातिवाद मुक्त भारत का। कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सांसद श्री दूबे ने कहा कि 2022 तक कृषि आय दोगुना करने का संकल्प भी है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु फसलों का बीमा, जैविक खेती, उच्च पैदावार के बीज व रोपण सामग्री अपनाने, एकीकृत कृषि प्रणाली, मूल्यवर्धन, सुरक्षित भंडारण, उत्पादन में वृद्धि, इनपुट का प्रभावी उपयोग, उपज के बाद कम नुकसान, गुणवत्ता में वृद्धि, न्यूनीकृत विपणन मार्जिन, जोखिम में कमी व  सहायक गतिविधियों का संकल्प भी शामिल है। कहा खेती के प्रति किसानों की इच्छाशक्ति ही आमदनी दोगुना करने एक मात्र माध्यम है। फायदेमंद खेती जरुरी है। खेती फायदा तभी होगा जब लागत मूल्य कम होगा। सरकार के द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न प्रकार के खेती से संबंधित योजनओं का लाभ कृषक को मिले तभी जिले में लक्ष्य की प्राप्ति हो सकती है।  शिबू सोरेन के सांसद प्रतिनिधि विजय सिंह ने कहा कि लक्ष्य का निर्धारण सफलता की पहली कूंजी है। किसानों की आय में बढ़ोत्तरी के लिए सिंचाई हेतु पर्याप्त पानी की व्यवस्था हो, जैविक खेती व कृषि फसल बीमा योजना के अन्तर्गत दावे का जल्द से जल्द निष्पादन जरुरी है। उप विकास आयुक्त शशि रंजन ने कहा कि संकल्प की प्राप्ति के लिए हम हर सम्भव प्रयास करेंगे। इसके लिए दुमका जिला में आॅर्गनाईजेशनल स्ट्रक्चर स्थापित किया जा रहा है। बेहतर कृषि हेतु मास्टर ट्रेनर्स तैयार किये जा रहे हैं जो अपने-अपने क्षेत्र में कृषकों को प्रशिक्षण देंगे। उन्होंने कहा दुमका में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अन्तर्गत निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त कर लिया गया है।  दावों का निष्पादन अविलम्ब किया जा रहा है। हमारा प्रयास है स्वाईल हेल्थ कार्ड में भी सौ प्रतिशत लक्ष्य की प्राप्ति हो। संयुक्त निदेशक डीआरडी भारत सरकार मान सिंह, संयुक्त कृषि निदेशक ए के सिंह, जिला कृषि पदाधिकारी सुरेंद्र कुमार सिंह, वरीय वैज्ञानिक व प्रधान केवीके दुमका डा श्रीकांत सिंह, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी सैयद राशिद अख्तर, परियोजना निदेशक आत्मा दुमका डा दिवेश कुमार सिंह, जिला सहकारिता पदाधिकारी राकेश कुमार सिंह, डीडीएम नाबार्ड नवीन चंद्र झा, जिला मत्स्य पदाधिकारी अलका पन्ना, जिला गव्य विकास पदाधिकारी अरुण कुमार सिन्हा, जिला उद्यान पदाधिकारी एवं जिला पशुपालन पदाधिकारी आदि इस अवसर पर उपस्थित थे। 



चांसलर ट्रॉफी कुश्ती प्रतियोगिता के लिये सिदो कान्हु मुर्मू विवि, दुमका से सात सदस्यीय टीम का चयन

नीलांबर पीताम्बर विवि मेदिनीनगर पलामू में होने वाले चांसलर ट्रॉफी कुश्ती प्रतियोगिता 2017-18 के लिये सिदो कान्हु मुर्मू विवि, दुमका से सात सदस्यीय टीम दुमका से रवाना होगी। इस टीम में साहिबगंज कॉलेज से अंगद यादव (पुरुष वर्ग) में तथा पूनम कुमारी, पूजा कुमारी व खुशबू कुमारी (महिला वर्ग) में भाग लेंगी। एसपी महाविद्यालय, दुमका से फरीद व विनित व के के एम काॅलेज पाकुड़ से निर्विक कुमार यादव भाग लेगें। के के एम काॅलेज पाकुड़ के रणवीर कुमार टीम मैनेजर होगें। श्री कुमार के के एम कॉलेज पाकुड़ के जिला व राज्य स्तरीय कुश्ती प्रशिक्षक हैं। यह पहला अवसर है जब जब सिदो कान्हु मुर्मू विवि अन्तर्गत साहेबगंज की टीम कुश्ती प्रतियोगिता में भाग लेगी। खिलाड़ियों में इतिहास रचने का उत्साह साफ देखा जा सकता है। एस के एम यू, दुमका से जाने वाली टीम के सभी खिलाड़ियों को कुलपति ने शुभकामनाएँ दी है। मालूम हो,  29 से 31 अगस्त तक के लिये चांसलर ट्रॉफी प्रतियोगिता आयोजित की गई है।  इस प्रतियोगिता के उद्घाटन के अवसर पर राज्यपाल झारखण्ड द्रौपदी मुर्मू अपना बहुमूल्य समय देगीं। विवि की ओर से उम्मीद जताई गई है कि  इस विश्वविद्यालय के होनहार खिलाड़ी विवि का नाम अवश्य रोशन करेंगे। विश्वविद्यालय खेल पदाधिकारी डॉ रणजीत कुमार ने जानकारी देते हुए कहा है कि अंतर महाविद्यालय वॉलीबॉल प्रतियोगिता का आयोजन गोड्डा कॉलेज गोड्डा में 28 से 29 अगस्त 2017 को प्रारंभ हो चुका है। इसमें विवि के सभी कॉलेजों की टीमें भाग लेंगी। साहिबगंज कॉलेज की टीम भी भाग लेंगी। समापन समारोह सह पुरस्कार वितरण समारोह में मुख्यतिथि कुलपति को बनाया गया है। 

झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 के विरुद्ध 
  • विशाल रैली के माध्यम से 28 अलग-अलग चर्चों से संबद्ध इसाई समुदाय ने रघुवर सरकार के विरुद्ध किया विरोध प्रदर्शन। डीसी के माध्यम से राज्यपाल को ज्ञापन। 

12 अगस्त 2017 को झारखण्ड सरकार द्वारा पारित झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 व भूमि अर्जन, पुर्नवास व विस्थापन में उचित प्रतिकार व पारदर्शिता का अधिकार (झारखण्ड संशोधन) विधेयक 2017 को निरस्त करने की मांग को लेकर दिन गुरुवार (24 अगस्त 2017) को आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका के वैनर तले इसाई समुदाय के पास्टर, बुद्धिजीवि, सामाजिक कार्यकर्ता, शुभचिन्तक, आदिवासी समाज के परम्परागत अगुवों व इसाई धर्मावलम्बियों ने मौन जुलूस निकाल कर सरकार के विरुद्ध अपना विरोध प्रकट किया। इससे पूर्व इसाई धर्मावलम्बियों ने एक विशाल रैली के माध्यम से दुमका नगर के विभिन्न मार्गों में अपनी बहुमत उपस्थिति दर्ज करायी। डीसी, दुमका के माध्यम से राज्यपाल, झारखण्ड द्रौपदी मुर्मू के नाम पर एक ज्ञापन भी प्रेषित किया। इस रैली व प्रदर्शन के संयोजक डा0 सुशील मराण्डी ने कहा कि झारखण्ड विधानसभा में पास किया गया विधेयक झारखण्ड धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2017 व भूमि अर्जन विधेयक 2017 असंवैधानिक है। यह लोकतंत्र पर आघात है। सेवानिवृत्त अधिकारी ई0 जे0 सोरेन ने कहा कि सरकार द्वारा पारित भूमि अर्जन, पुर्नवास व पुनव्र्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता का अधिकार (झारखण्ड संशोधन) विधेयक 2017 में रैयतों से बिना सहमति लिये सरकार अपने प्रयोजन के लिये जमीन ले सकती है। ग्राम सभा की सहमति लेना अनिवार्य नहीं बनाया गया है। ऐसी स्थिति मंे सरकार कानून का गलत प्रयोग कर जमीन हड़पने की साजिश रच रही है। अनुसूचित क्षेत्रो मंें रहने वाले आदिवासी समुदाय के लोगों के लिये संवैधानिक अधिकारों में हनन होगा। इससे पूर्व राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। अधिवक्ता सामुएल सोरेन ने कहा कि इस विधेयक से भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 से 28 तक के मौलिक अधिकारों का हनन है। ऐसा कानूून संविधान की आत्मा पर प्रहार है। इसे शीघ्र निरस्त किया जाए। सभा में डा0 संजय सेबास्टियन मरांडी, शीरिल सोरेन, मार्शल टुडू, किनू हेम्ब्रम, पौलूस मुर्मू, सोनोत हांसदा, विनोद कुमार वास्की, श्यामदेव हेम्ब्रम, एहतेशाम अहमद, पिटर हेम्ब्रम, नंदलाल हेम्ब्रम, लुसु हेम्ब्रम, छवि हेम्ब्रम इत्यादि ने भी अपने-अपने विचार व्यक्त किये। दुमका डायस के फादर विशप जूलियस मरांडी व फादर सोलोमन ने रैली मे बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका ने पर्चा के माध्यम से इसाई समुदाय को जागरुक करते हुए कहा है कि विधान सभा की प्रवर समिति को सौंपने के विपक्ष के सुझाव को अमान्य करते हुए सरकार ने उपरोक्त विधेयकों को मंजूरी प्रदान की है। ऐसा प्रतीत होता है कि विधेयक को मंजूरी देने में काफी हड़वड़ाहट दिखलाई गई है। सरकार की मंशा में खोट है। सरकार की मंशा स्वार्थी तत्वों की मनोकामनाओं को पूर्ण करना है। धर्म आस्था का विषय है। आदिवासियों की एकता को तोड़ने के लिये कानून को हथियार बनाकर वैसे लोगों को सरकार निशाना बनाना चाहती है जो गलत नीतियों का विरोध करते हैं। झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 में धर्मांतरण को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखकर इसके खिलाफ कड़े प्रावधान निर्धारित किये गए हें। धोखाधड़ी, लालच, प्रलोभन व दबाव से जबरन धर्मांतरण की बात सरकार करती है किन्तु पिछले 16 वर्षों में ऐसे मामलों के विरुद्ध कितने लोगांे के विरुद्ध कार्रवाई की गई सरकार इन आँकड़ों को प्रस्तुत करने से डरती है। भादसं की धारा 295 ए के तहत जबकि सरकार को प्रयाप्त कानूनी अधिकार प्राप्त है । धर्मातरण राज्य का सबसे बड़ा मुद्दा है तो फिर सरकार श्वेत पत्र क्यों नहीं जारी करती ? आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका की ओर से कहा गया कि धर्मांतरण आस्था व हृदय परिवर्तन का मसला है। एक धर्म निरपेक्ष राज्य में किसी नागरिक का धर्म क्या होगा सरकार कैसे तय कर सकती है ? आॅल चर्चेस एसोसिएशन आॅफ संताल परगना, दुमका द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों के मुताबिक वर्ष 1951 में ईसाइयों की जनसंख्या 4. 12 प्रतिशत थी। वर्ष 1961 में बढ़कर यह 4.17 प्रतिशत हो गई। वर्ष 1971 में जनसंख्या का प्रतिशत बढ़कर 4. 35 प्रतिशत हो गई। वर्ष 1981 में घटकर इनकी जनसंख्या प्रतिशत 3. 72 हो गई। वर्ष 1991 में 3. 72 प्रतिशत, वर्ष 2001 में यह बढ़कर 4. 10 प्रतिशत व वर्ष 2011 में 4. 30 प्रतिशत। पिछले 70 वर्षों में इसाई धर्मावलम्बियों की जनसंख्या प्रतिशत 4 प्रतिशत पर ही अटकी हुई है। मिशनरियों से जुड़े बुद्धिजीवियों का कहना है संविधान के भाग-3 के अनुच्छेद 25 के अन्तर्गत लोक व्यवस्था, सदाचार व स्वास्थ्य के अधीन प्रत्येक नागरिक को अन्तःकरण की स्वतंत्रता व धर्म के आचरण व प्रचार का समान हक है। झारखण्ड धर्म स्वतंत्र विधेयक 2017 वर्तमान स्थिति में असंवैधानिक व संविधान के अनुच्छेद 13 (2) के अन्तर्गत प्रदत्त मौलिक अधिकार का उल्लंघन है। 

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