नयी दिल्ली 27 अगस्त, नीति आयोग ने कहा है कि भारत में बेराेजगारी बड़ी समस्या नहीं है बल्कि देश योग्यता के अनुरुप काम नहीं मिलने (अंडर इम्प्लायमेंट) तथा बेहतर मजदूरी (वेल पेमेंट) देने की चुनाैती का सामना कर रहा है और इस पर तुरंत ध्यान देेने की जरुरत है। नीति आयोग ने पिछले सप्ताह देश के विकास का तीन साल का एजेंडा “इंडिया : थ्री ईयर एक्शन एजेंडा 2017-18 टू 2019-20” जारी करते हुए कहा कि बेरोजगारी देश के सामने इतनी बड़ी चुनाैती नहीं है बल्कि बड़ी समस्या यह है कि लोगों को ‘योग्यता के अनुसार काम’ नहीं मिल रहा है और उनको ‘उचित मजदूरी’ भी नहीं मिल रही है। देश के सामने ‘श्रम बल को योग्यता के अनुसार काम देना’ और उनको ‘बेहतर मजदूरी’ देना प्रमुख समस्याएं हैं जिनपर सरकार को तुरंत ध्यान देना चाहिए। पिछले कई दशकों से बेरोजगारी की दर दो से तीन प्रतिशत के बीच रहने का उल्लेख करते हुए नीति आयोग ने कहा है कि अधिकतर लोगों को काम मिला हुआ है लेकिन वह उनकी योग्यता के अनुरूप नहीं है और न ही उनको बेहतर वेतन मिल रहा है। इससे उत्पादकता प्रभावित होती है और आर्थिक विकास दर बाधित होती है। ऐसे लोग सूक्ष्म एवं लघु तथा स्व रोजगार के क्षेत्र में कार्यरत हैं। नीति आयोग ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के आंकड़ों के हवाले से कहा है कि 2015 में देश में प्रति व्यक्ति आय 1604 डाॅलर प्रति वर्ष थी जबकि चीन में 8141 डाॅलर थी। आयाेग के अनुसार इस भारी अंतर का कारण प्रति व्यक्ति मजदूरी तथा उत्पादकता में अंतर है। इसी कारण से चीन के विनिर्माण क्षेत्र में भारत के मुकाबले प्रति श्रमिक उत्पादकता और मजदूरी तीन गुना अधिक है।
सोमवार, 28 अगस्त 2017
‘योग्यता के अनुसार काम’ की अवधारणा पर ध्यान देने की जरुरत: नीति आयोग
Tags
# देश
# व्यापार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
व्यापार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
संपादकीय (खबर/विज्ञप्ति ईमेल : editor@liveaaryaavart या वॉट्सएप : 9899730304 पर भेजें)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें