भारत ‘नो फ्लाई सूची’ बनाने वाला पहला देश, आजीवन तक प्रतिबंध का प्रावधान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 9 सितंबर 2017

भारत ‘नो फ्लाई सूची’ बनाने वाला पहला देश, आजीवन तक प्रतिबंध का प्रावधान

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नयी दिल्ली 08 सितंबर, विमान में अभद्र व्यवहार करने वाले यात्रियों के लिए आज से कड़े नियम लागू हो गये हैं और अब ऐसे यात्रियों पर आजीवन तक प्रतिबंध लगाया जा सकेगा, नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने ‘नो फ्लाई सूची’ के नियम जारी करते हुये बताया कि भारत दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने संरक्षा के आधार पर उदंड यात्रियों की सूची बनाने की व्यवस्था की है, उदंड यात्रियों के अलावा इस सूची में सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चिह्नित लोगों को भी शामिल किया जायेगा, अन्य देशों में अब तक सिर्फ सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चिह्नित व्यक्तियों के उड़ान भरने पर प्रतिबंध की व्यवस्था है। श्री राजू ने बताया कि यात्रियों की अभद्रता के तीन स्तर तय किये गये हैं और उसी के अनुरूप प्रतिबंध की अवधि निर्धारित की गयी है। पहले स्तर में साथी यात्री या चालक दल के सदस्यों के साथ मौखिक अभद्रता, दूसरे स्तर में शारीरिक अभद्रता एवं शारीरिक हमला तथा तीसरे स्तर में जानलेवा हमला या विमान एवं उसके उपकरणों को नुकसान पहुँचाने वाले व्यवहार को रखा गया है। पहले और दूसरे स्तर के लिए दोषी यात्री को क्रमश: तीन महीने तक और छह महीने तक के लिए प्रतिबंधित करने का प्रावधान है। तीसरे स्तर के व्यवहार के लिए कम से कम दो साल और अधिकतम आजीवन प्रतिबंधित लगाया जा सकता है। श्री राजू ने कहा कि ये नियम सभी यात्रियों पर समान रूप से लागू होंगे। नागर विमानन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने बताया कि ‘नो फ्लाई सूची’ सूची नागर विमानन महानिदेशालय की वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। हालाँकि, इसमें यात्रियों के कुछ विवरण सिर्फ एयरलाइंसों के लिए उपलब्ध होंगे। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा दिये गये नाम वेबसाइट पर सार्वजनिक नहीं होंगे। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा चिह्नित यात्रियों पर प्रतिबंध लगाना हर एयरलाइन के लिए जरूरी होगा। विमान सेवा कंपनी की अनुशंसा पर शामिल नामों के लिए यात्री पर प्रतिबंध लगाना अन्य घरेलू तथा विदेशी विमान सेवा कंपनियों के लिए वैकल्पिक होगा। यदि कोई यात्री एक ही स्तर का दुर्व्यवहार दोबारा करता है तो उस पर पिछले के मुकाबले दोगुनी अवधि का प्रतिबंध लगाया जायेगा। नागर विमानन सचिव राजीव नयन चौबे ने बताया कि ‘नो फ्लाई सूची’ में नाम डालने के लिए अनुशंसा का अधिकार उड़ान के पायलट इन कमांड के पास होगा। इसके बाद विमान सेवा कंपनी की एक आंतरिक समिति 30 दिन के अंदर इस शिकायत पर अपना फैसला सुनायेगी। सेवानिवृत्त जिला या सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली इस समिति में तीन सदस्य होंगे। एक सदस्य किसी दूसरी विमान सेवा कंपनी से और एक अन्य किसी यात्री अथवा उपभोक्ता संघ का सदस्य या उपभोक्ता फोरम का सेवानिवृत्त अधिकारी होगा। समिति का फैसला आने तक संबंधित एयरलाइन चाहे तो यात्री पर प्रतिबंध लगा सकती है। यदि समिति 30 दिन के अंदर फैसला नहीं कर पाती है तो उस स्थिति में यात्री को निर्दोष मान लिया जायेगा। इस समिति के फैसले के खिलाफ अपील का अधिकार यात्री को होगा। अपील की सुनवाई एक उच्चतर समिति करेगी जिसके अध्यक्ष उच्च न्यायालय के सेवा निवृत्त न्यायाधीश होंगे। इस समिति के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी जा सकेगी। श्री चौबे ने कहा कि समिति के पास घटना वाली उड़ान के चालक दल के सदस्यों के साथ उस उड़ान के अन्य यात्रियों को भी पूछताछ के लिए बुलाने का अधिकार होगा। उन्होंने कहा कि टोक्यो समझौते के तहत विदेशी विमान सेवा कंपनियाँ भी चाहे तो ‘नो फ्लाई सूची’ वाले यात्रियों को प्रतिबंधित कर सकती हैं।

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