आलेख : भारत में बेरोजगारी के बढ़ते कदम। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 9 नवंबर 2017

आलेख : भारत में बेरोजगारी के बढ़ते कदम।

Unemployed-india
भारत मे बढ़ती हुई बेरोजगारी आज एक बहुत बड़ा मुद्दा बन चुका है । एक ऐसा विषय जिस पर हर व्यक्ति सरकार की आलोचना करता हुआ नजर आता है। कि सरकार ने ऐसे योजना नही बनाई जिससे युवाओं को रोजगार मिल सके । सरकार ने वेसी योजना नही बनाई जिससे हर युवा लाभन्वित हो। आखिरकार हर गलतियों का कारण हम सरकार पर ही क्यों थोप देते है। क्या हमारे अपने कुछ दायित्व नही है।  हमारे भारत के संविधान में एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात वर्णित है वह यह है कि भारत का स्रोत भारत की जनता है। अर्थात भारत जनता के लिए, जनता के द्वारा , जनता का शासन है । शायद इस बात से तो लोग भली भांति परिचित होंगे। लेकिन इसके अर्थ से परिचित नही है। ऐसा इसलिए कि अगर हमारे भारत मे कोई छोटा सा मुद्दा आगे चलकर बड़ा हो जाता है तो उसके लिए हम सिर्फ सरकार को जिम्मेदार ठहराते है।  कभी कभी हम लोग इस बात को भूल जाते है कि जिस सरकार की वह आलोचना कर रहे है वह लोगो द्वारा ही बनाई गई सरकार है। हम समस्या की जड़ तक पहुंचने का प्रयास ही नही करते। हम केवल ऊपरी सिरे का आँकलन करने लग जाते है। कि यह ऊपरी सिरा ही मुद्दे की मुख्य जड़ है। क्या कभी हम यह सुनते है कि पौधा जड़ से नह ऊपर से बनना शुरू होता है। नही ना 


यह एक निरथर्क सी बात लगती है। क्योंकि समस्या चाहे जैसी भी कोई भी क्यों न हो। उसके कारण की जड़ जानना बहुत जरूरी है। इसी प्रकार जो बेरोजगारी की समस्या है अगर उसकी जड़ में जाये तो हम यह समझ पाएंगे कि इसकी जड़ भी हम लोग है।  सामान्यतया एक बात सोचे तो बेरोजगारी का सबसे प्रमुख कारण है जनसँख्या वृद्धि । अब जनसँख्या वृद्धि बढ़ेगी तो रोजगार के अवसर घटेंगे, और रोजगार के अवसर घटेंगे तो बेरोजगारों की संख्या में वृद्धि होना तो सामान्य सी बात है ही।  अतः यहां हमे यह जानना आवश्यक है कि बेरोजगारी की आधे से ज्यादा समस्याओं को हम खुद ही खत्म कर सकते है। हम पूर्णतः सरकार पर ही आश्रित होकर न बैठ जाये की हर तरह के निराकरण सिर्फ सरकार ही करे। हालांकि सरकार ने अपनी तरफ से कई ऐसे कार्यक्रम और योजनाए शुरू की है जिससे बेरोजगारी काफी हद तक खत्म हो सके । लेकिन वह पर्याप्त रूप से प्रभावी नही हो पाई। क्योंकि उसका एकमात्र कारण यही था कि हम लोगो की उसमे भागीदारी नही थी। कुछ उदाहरण के लिए सरकार के प्रयासों की गणना करे तो सरकार ने स्वयं रोजगार के लिए प्रशिक्षण इंटीग्रेटेड रूरल डेवलपमेंट प्रोग्राम , स्वर्ण जयंती रोजगार योजना, रोजगार आश्वासन योजना, जवाहर रोजगार योजना, नेहरू रोजगार योजना, आदि ऐसे कई योजनाये है जो सरकार ने चलाई है लेकिन यह उस हद तक प्रभावी नही हो पाई जिस सीमा तक इन्हें होना चाहिए था ।  इन कार्यक्रमो के अलावा सरकार शिक्षा के महत्व को भी संवेदित कर रही है। और बेरोजगार लोगो को कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रही है। लेकिन इतनी पहल करने के बावजूद भी समस्या वैसी की वैसी है क्योंकि शिक्षा पद्धति में अब तक कोई परिवर्तन ही नही किया गया है। शिक्षा पद्धति का विकसित न हो पाना भी बेरोजगारी का एक सबसे बड़ा कारण है ।


दूसरा कारण लघु उद्योगों का नष्ट हो जाना । आज वर्तमान में लघु उद्योगों की उपयोगिता भी खत्म हो जाना बेरोजगारी का मूल कारण है । वही बेरोजगारी के आंकड़ों की बात करे तो 1983 से 2013 तक भारत मे बेरोजगारी की दर महिलाओं के लिए 8.7 प्रतिशत हुई और पुरुषों के लिए 4.37 प्रतिशत दर्ज की गई है। और 2017 की संयुक्त राष्ट्र अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट में भी बेरोजगारों की संख्या लगभग 1.78 करोड़ मानी गयी है । यह भविष्य में उभरता हुआ एक बड़ा संकट है। और इससे निपटने के लिए भारत सरकार को और भारत की जनता को मिलकर कदम उठाने की आवश्यकता है। अतः हम सबको जनसँख्या वृद्धि जैसी भारी समस्याओ से निजात पाने की कोशिश करनी चाहिए। वही सरकार को हर सम्भव प्रयास करने की आवश्यकता है जिससे आर्थिक विकास का परिदृश्य सुधरे ।वरना ऐसी कितनी ही जीएसटी क्यो न लगा दी जाए जब तक ऐसे समस्याएं खत्म नही होंगी आर्थिक विकास पिछड़ा ही रहेगा।  अतः भारत की जनता एवम भारत को सरकार दोनों को ही इस प्रयास में आगे आने का कदम उठाना चाहिए। इसीलिए सरकार को इन पद्धतियों में परिवर्तन करने की आवश्यकता है।





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ज्योति मिश्रा
Freelance journalist gwalior m.p.

Jmishra231@gmail.com

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