नई दिल्ली, 27 जुलाई, दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि भूमि का आवंटन कब्रिस्तान बनाने के लिए करने के बजाय बेघर लोगों के लिए घर बनाने या अस्पतालों के निर्माण या अन्य बुनियादी ढांचा सुविधाओं के निर्माण के लिए किया जा सकता है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल व न्यायमूर्ति सी. हरि शंकर की खंडपीठ ने यह टिप्पणी दिल्ली में कब्रिस्तानों में उपलब्ध जगह का अध्ययन करने व ईसाई समुदाय के सदस्यों को दफनाने के लिए जमीन की कमी का हल तलाशने के लिए दायर याचिका को बर्खास्त करते हुए की। इस याचिका को वकील शाश्वत भारद्वाज ने दाखिल किया थी। इसमें उन्होंने दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) से ईसाई समुदाय के कब्रिस्तान के लिए प्राथमिकता के तौर पर जमीन आवंटित करने की मांग की थी। खंडपीठ ने वकील से कहा कि मृत लोगों के लिए जमीन की मांग करने के बजाय बेघर लोगों के कल्याण के लिए कुछ जनहित याचिका दाखिल करें। खंडपीठ ने वकील से सवाल किया कि क्या वह सऊदी अरब गए हैं, वहां कोई कब्रिस्तान नहीं बनाई गई है।
शनिवार, 28 जुलाई 2018
जमीन का कब्रिस्तान के लिए नहीं : उच्च न्यायालय
Tags
# देश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
देश
Labels:
देश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
संपादकीय (खबर/विज्ञप्ति ईमेल : editor@liveaaryaavart या वॉट्सएप : 9899730304 पर भेजें)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें