बेगूसराय : नोनपुर की चाँदनी चमकेगी दिनकर कला भवन में। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 30 अगस्त 2018

बेगूसराय : नोनपुर की चाँदनी चमकेगी दिनकर कला भवन में।

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बेगूसराय (अरुण कुमार), बेगूसराय जिला अंतर्गत तेघड़ा प्रखंड के नोनपुर गांव  जो कि जिला मुख्याल से 22 किलो मीटर की दूरी पर वसा हुआ है। इस गाँव के बेटा और बेटी आज कला के क्षत्रे में अपना नाम रौशन कर रही हैं ।उसी गांव के साक्षरता कर्मी रामबालक पासवान के घर -आंगन में पल रही एक कलाकार वो अपने बालापन से ही नाचने गाने की अद्भुत प्रतिभा की धनी थी।नाचना गाना सभी माता पिता को अच्छा लगता ही है।परन्तु पितारामबालक पासवान और माता उषा देवी को ये कहाँ मालूम था कि उनके बेटी के अंदर एक कलाकार बनने की अद्भुत प्रतिभा मौजूद है।अभावों में जीवन गुजर बसर करने वाला साक्षरता कर्मी के बेटी ज्यों ज्यों बड़ी होती गयी कला के प्रति लगाव बढ़ता चला गया।बाल कला जत्था नोनपुर से अपने अभिनय का शुरुआत करने वाली भोली भाली बच्ची का नाम चाँदनी हैं।जो मिथला विश्वविधालय से संगीत स्नातक कर रही है।पढ़ाई के साथ -साथ  रंग मंच के सफर में "पढलकी कन्या,जट -जटिन,बिदेसिया, अमली,ता धिना धिन वाह वाह ,बहुरा गोढ़ीन,डोम कछ, बन्द रास्ते के बीच,यंत्र नारीयस्तु पूज्यंते,गोदान ,चाणक्य, छन मयूरी,ठाकुर का कुआँ, जगत नीद न कीजै ,आक्षर आँचल आदि में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुकी "चाँदनी" देश के कई प्रदेशों में अभिनय कर चुकी है। चाँदनी अपने लोकगायन के माध्यम से लोगो के बीच अपनी जगह बना ली है । चाँदनी एक संघर्ष का नाम हैं जो अपने घर से 15 किलोमीटर दूर जा कर नाटक का पूर्वाभ्यास करती और अकेले अपने घर को लौटती । लोगो के ताने सुनती,ये एक दिन की कहानी नही है ये दस सालों से ऐसे ही ताना सुनते आ रही है।समाज के तानों के बीच चाँदनी अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है।चाँदनी कई वर्षों से आकाश गंगा रंग चौपाल बरौनी से जुड़ी हुई हैं।आज संघर्ष की बेटी चाँदनी बेटियों के दर्द को समेट कर अपने निर्देशन एव अभिनीत नाटक बेटियां की प्रस्तुति 19 सितम्बर में दिनकर कला भवन , बेगूसराय में करने जा रही है इस नाटक के लिये भारत सरकार के कला सांस्कृतिक मंत्रालय ने अनुदान भी दिया है।मगर समाज की ओर से लड़की होने के कारण सिवाय ताना के और कोई अनुदान,सहयोग तो दे ही नहीं सकता।समाज को जहाँ गर्व करना चाहिये वहाँ शर्म करने पर विवश हो जाता है।ऐसे ही समाज के कारण बहुत से ऐसे प्रतिभाशालिनी गुमनामी की मौत मार गई।लानत है ऐसे रुढ़िवादी समाज पर।आज दुनियाँ कहाँ से कहाँ पहुँच गई है,चाँद और मङ्गल पर रहने को सोच रही है और यहाँ का ये समाज और भी तलातल में धँसती जा रही है।आवश्यकता है उन सभी प्रतिभावान बच्चे एवं बच्चियों को प्रोत्साहित कर आगे बढ़ाने की।वो तो धन्य हैं चाँदनी के माता पिता जो अपने बच्ची के प्रतिभा को समझा और उसे प्रोत्साहन देते हुए ये मुकाम पाने में कदम से कदम मिलाकर उस बच्ची के साथ चले।जब नाम ही तुम्हारा चाँदनी है तो चमकना ही पड़ेगा,जमाना लाख लगाए आग उसको तो ठंढा होना ही पड़ेगा।

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