आधार संशोधन को धन विधेयक में लाया गया तो न्यायालय में देंगे चुनौती : कांग्रेस - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 27 सितंबर 2018

आधार संशोधन को धन विधेयक में लाया गया तो न्यायालय में देंगे चुनौती : कांग्रेस

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नयी दिल्ली, 26 सितंबर, कांग्रेस ने आधार से संबंधित उच्चतम न्यायालय के फैसले का मंगलवार को स्वागत किया और कहा कि अगर सरकार आने वाले दिनों में आधार से जुड़े संशोधन विधेयक को धन विधेयक के तौर पर लाएगी तो उसे वह शीर्ष अदालत में चुनौती देगी। पार्टी ने यह भी दावा किया कि आधार कानून की धारा 57 का निरस्त होना ‘भाजपा के मुंह पर तमाचा’ है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘आज उच्चतम न्यायालय ने हमारी बात मान ली और धारा 57 को असंवैधानिक ठहराया है। न्यायालय ने ये भी कहा कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि राष्ट्रीय सुरक्षा का बहाना बनाकर किसी का आधार नंबर लें।’’ 

उन्होंने धन विधेयक के संबंध में उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि आने वाले दिनों में अगर आधार विधेयक में किसी संशोधन को धन विधेयक के तौर पर लाया गया तो हम न्यायालय जाएंगे।’’ उन्होंने कहा, 'मोदी जी ने बिना सोचे-समझे नोटबंदी की, फिर इसी तरह जीएसटी लागू कर दिया, राफेल खरीद लिया। आधार कानून को लेकर भी बिना सोचे-समझे कदम उठाया।' सिब्बल ने आरोप लगाया, 'यह आधार नहीं, सरकारी अधिकार कानून और निजी कंपनियों का अधिकार कानून बन गया। अगर वे उस वक्त हमारी बात मान लेते तो करोडों लोगों का डेटा निजी कंपनियों के पास नहीं जाता।'  उन्होंने कहा कि आधार विधयेक को धन विधेयक के तौर पर लाना असंवैधानिक ही नहीं, बल्कि लोकतंत्र के खिलाफ फैसला था।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 'उच्चतम न्यायालय के ‘आधार’ निर्णय ने कांग्रेस पार्टी द्वारा उठाए सवालों पर नागरिकों के ‘निजता के अधिकार’ को स्वीकार किया।" उन्होंने कहा, 'न्यायालय ने मोदी सरकार की निजता का ‘गला घोंटू’ धारा 57 को ख़ारिज किया-अब सरकार आधार को बैंक खातों,मोबाइलफ़ोन,स्कूल आदि से नहीं जोड़ सकेगी।' कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा , ‘‘यह भाजपा के मुंह पर तमाचा है। न्यायमूर्ति सीकरी के फैसले ने आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त कर दिया और कहा कि यह असंवैधानिक है। बायोमैट्रिक डेटा का व्यावसायिक उपयोग करने की योजना विफल हुई।’’ दरअसल , उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को अपने फैसले में केन्द्र की महत्वाकांक्षी योजना आधार को संवैधानिक रूप से वैध करार दिया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि आधार का लक्ष्य कल्याणकारी योजनाओं के लाभ को समाज के वंचित तबके तक पहुंचाना है और वह ना सिर्फ व्यक्तिगत बल्कि समुदाय के दृष्टिकोण से भी लोगों के सम्मान का ख्याल रखती है। इस निर्णय के अनुसार, आधार कार्ड/नंबर को बैंक खाते से लिंक/जोड़ना अनिवार्य नहीं है। इसी तरह टेलीकॉम सेवा प्रदाता उपभोक्ताओं को अपने फोन से आधार नंबर को लिंक कराने के लिये नहीं कह सकते। पीठ ने कहा कि आयकर रिटर्न भरने और पैन कार्ड बनवाने के लिए आधार अनिवार्य है।

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