नयी दिल्ली, दो सितंबर, एक याचिका के लंबित होने की बात कहकर अदालत को ‘गुमराह करने के लिए’ आयकर विभाग को कड़ी फटकार लगाते हुए उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया कि शीर्ष अदालत ‘पिकनिक की जगह’ नहीं है और उससे इस तरह का बर्ताव नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की अध्यक्षता वाली पीठ ने विभाग पर दस लाख रुपये का जुर्माना लगाते हुए कहा कि वह इस बात से ‘हैरान’ है कि आयकर आयुक्त के जरिए केंद्र ने मामले को इतने हल्के में लिया है। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आयकर विभाग ने 596 दिनों की देरी के बाद याचिका दायर की और विलंब के लिए विभाग की ओर ‘अपर्याप्त और अविश्वसनीय’ दलीलें दी गईं। इस पीठ में न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता भी शामिल थे। न्यायालय ने विभाग के वकील को कहा, “ऐसा मत कीजिए। उच्चतम न्यायालय पिकनिक की जगह नहीं है। क्या आप इस तरह से भारत के उच्चतम न्यायालय से बर्ताव करते हैं।” पीठ ने कहा, “आप उच्चतम न्यायालय से इस तरह से पेश नहीं आ सकते।” शीर्ष अदालत ने कहा कि गाजियाबाद के आयकर आयुक्त की ओर से दायर एक याचिका में विभाग ने कहा कि 2012 में दी गयी एक उसी तरह की अर्जी अब भी अदालत में लंबित है। पीठ ने कहा कि विभाग जिस मामले को लंबित बता रहा है, उसका फैसला सितंबर 2012 में ही कर दिया गया था।न्यायालय ने याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में कहा, “दूसरे शब्दों में कहें तो याचिकाकर्ताओं ने अदालत के समक्ष बिल्कुल गुमराह करने वाला बयान दिया है। हम हैरान हैं कि आयकर आयुक्त के जरिए भारत सरकार ने मामले को इतने हल्के में लिया।” पीठ ने विभाग को चार हफ्ते के भीतर उच्चतम न्यायालय विधिक सेवा समिति के समक्ष 10 लाख रुपये जमा कराने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि रुपये का इस्तेमाल किशोर न्याय से जुड़े मुद्दों के लिए किया जाएगा।
रविवार, 2 सितंबर 2018
सुप्रीम कोर्ट ने आयकर विभाग को लगायी फटकार. कहा शीर्ष अदालत ‘पिकनिक की जगह’ नहीं
Tags
# देश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
देश
Labels:
देश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें