वाराणसी : कारपेट फेयर में दिखेगी ’’मेक इन इंडिया’’ की झलक - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 14 अक्तूबर 2018

वाराणसी : कारपेट फेयर में दिखेगी ’’मेक इन इंडिया’’ की झलक

  • सायंकाल बाॅयर-सेलर मीटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी उद्यमियों से करेंगे वीडियों कांफ्रेसिंग 
  • फेयर का उद्घाटन करेंगी कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी 
  • देश के 275 से अधिक भारतीय कालीन निर्माता ट्रेड फेसेलिटी सेंटर में अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे  
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वाराणसी (सुरेश गांधी)। कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) के तत्वावधान में आयोजित होने वाले चार दिवसीय इंडिया कारपेट एक्सपो 2018 का आयोजन दीनदयाल हस्तकला संकुल, बड़ालालपुर में होगा। यह कारपेट फेयर 21 से 24 अक्टूबर तक है। इसमें 58 देशों के तकरीबन 300 सौ आयातक भाग लेंगे। इसकों देखते हुए भदोही, वाराणसी, मिर्जापुर, आगरा, राजस्थान, पानीपत, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, मुंबई, नेपाल आदि शहरों के 275 से अधिक भारतीय कालीन निर्माता प्रदर्शनी हाॅल में अपने उत्पादों का प्रदर्शन करेंगे। 

फेयर में भारत सरकार वस्त्र मंत्रालय के अधीन कालीन निर्यात संवर्धन परिषद (सीईपीसी) पिछले 35 वर्षो से अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को उनकी जरूरतें पूरी करता आ रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयास से 300 करोड़ की लागत से निर्मित इस ट्रेड फैसिलिटी सेंटर में पहली बार कालीन मेला लगेगा। मेला का उद्घाटन कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी करेंगी। उनके साथ वस्त्र मंत्रालय के सचिव अनूप बधावन आदि भी मौजूद रहेंगे। उद्घाटन के बाद शायंकाल 7 बजे बाॅयरों एवं इक्सपोर्टरों की मिटिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वीडियों कांफ्रेसिंग के जरिए कारोबारियों से बात कर उनकी समस्याओं एवं इक्स्पोर्ट में वृद्धि कैसे हो पर चर्चा करेंगे। इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है। 

फेयर में बुनकरों के हाडतोड़ मेहनत व कारीगरी से निर्मित पर्सियन नाॅटेड, नेपाली, टफटेड, दरी एवं जूट एवं बम्बू से निर्मित कालीन के अलावा क्रिसमस, वैलेंटाइन, जन्मदिन और सालगिरह जैसे मौकों के लिए सजावट वाले हस्तनिर्मित कालीनों की प्रदर्शनी लगाई जाती है। इसकी तैयारियां लगभग पूरी हो चुकी है। सीइपीसी के चेयरमैन महाबीर शर्मा, प्रथम उपाध्यक्ष सिद्धनाथ सिंह एवं सीनियर मेम्बर उमेश गुप्ता ने बताया कि मेले का मकसद विदेशों से आने वाले खरीदारों में भारतीय कालीनों और अन्य फ्लोर कवरिंग की सांस्कृतिक विरासत व बुनाई कौशल को बढ़ावा देना है। मेले में भारतीय कालीन निर्माताओं को अपने-अपने उत्पादों की प्रदर्शनी लगाने का मौका मिलेगा। मेले में आने वाले आयातकों को खास सुविधा मुहैया कराई गयी है। फेयर में कालीन ही नहीं देश भर के हस्तशिल्प उत्पाद देखने को मिलेंगे। जो पूरी तरह हाथ से बने होंगे। 

यूरोप व अमेरिका के 300 कारोबारी आएंगे 
अमेरिका यूरोप के बड़े कारोबारियों के अलावा इस बार जापान, फ्रांस, इटली, कनाडा, स्विटजरलैंड, नार्वे, स्वीडन, चीन, ऑस्ट्रेलिया, साउथ अमेरिका, पेरु, चिली, बुल्गारिया, इजरायल, मॉरीशस, ताईवान, वियतनाम समेत 58 देशों से करीब 300 बायर्स ने फेयर में आने की स्वीकृति दी है। मेले के दौरान हस्तशिल्प उत्पादों के लिए अवसर एवं निर्यात से जुड़ी रणनीति और हस्तशिल्प क्षेत्र में डिजिटल मार्केटिंग और ऑनलाइन प्रमोशन के प्रभावी इस्तेमाल से जुड़े विषयों की भी जानकारी दी जायेगी। 

हस्तशिल्प कालीन निर्यात में 15 प्रतिशत की वृद्धि 
सीइपीसी के निदेशक संजय कुमार ने बताया कि पिछले पांच साल से में हस्तशिल्प निर्यात में औसतन 15 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई। पिछले साल माइनस प्वाइंट वन प्रतिशत की कमी जरुर हुई थी, लेकिन होने वाले मेंले में 15 प्रतिशत की वूद्धि होने का अनुमान है। साल 2017-2018 में 12 हजार करोड़ का इक्सपोर्ट हुआ है। वर्तमान में इक्सपोर्ट बढ़ने की पूरी संभावना है। क्योंकि विदेशी बाजार में मशीनमेड कालीनों की डिमांड घटा है। जबकि हाथ से बनी कालीनों की डिमांड बढ़ी है। उन्होंने बताया कि अब तक स्वीडेन, नार्वे आदि देशों में पहले कालीनें जर्मनी से जाती थी, लेकिन सीईपीसी की कोशिश है कि इन देशों में सीधे इक्सपोर्ट हो। फेयर में भी स्वीडेन व नार्वे से इस बार फेयर को बड़ी उम्मींदे है। नवम्बर माह के 10 एवं 12 को सीइपीसी कमेटी स्वीडेन, नार्वे सहित कई देशों का दौरा करेंगे। फेयर में पूरे देश के सभी बुनकरों को अपना हूनर दिखाने का मौका मिलता है। उन्हें पूरी दुनिया में अपने महान कार्यों को उजागर करने का बहुत बड़ा अवसर मिलता है। आयोजित प्रदर्शनी से पूरे देश के लाखों समर्पित हस्तशिल्प कारीगरों के लिये बड़ी उम्मीद और अवसर प्रदान करता है। भारत हस्तशिल्प कालीन का सबसे अच्छा केन्द्र माना जाता है। यहां की बलबूटेदार कलात्मक कालीनें पूरी दुनिया में पसंद की जाती है। ये आधुनिक भारत की विरासत के भाग हैं। ये कलाएं हजारों सालों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी पोषित होती रही हैं और लाखों हस्तशिल्पकारों को रोजगार प्रदान करती हैं। इस प्रकार देखा जा सकता है भारतीय शिल्पकार किस तरह अपने जादुई स्पर्श से अपने देश की आॅन बान शान को कलाकृति में बदलकर भारतीय हस्तशिल्प को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाते हैं। मेले में हैण्डीक्राफ्ट म्यूजियम लगाया जाएगा। इस अवसर पर कई कला का लाइव डेमो दिखाया जायेगा। मेले के दौरान शाम को प्रसिद्ध कलाकारों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जायेगा। 

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