प्रो ट्रे तकनीक से सब्जी की पौध तैयार कर मालामाल हो रहे किसान,

...प्रो ट्रे से पौध को नहीं होता है नुकसान :
डॉ सिंह ने बताया कि प्रो ट्रे तकनीक से जो पौध तैयार होेेते हैं उसे बड़ी अासानी से खेत में लगा सकते हैं। इस तकनीक से पौध का कोई भी हिस्सा टूटता या बर्बाद नहीं होता है और सभी पौध एक समान रूप में वृद्धि करते हैं। इससे इस तकनीक और जमीन में तैयार पौध की तुलना करें तो 15-20 दिन पहले फलन शुरू होने लगता है। वहीं संरक्षित वातावरण में आधुनिक तरीके से रोग रहित उच्च गुणवत्ता के पौध तैयार के साथ मुख्य खेत में ससमय रोपण करके 20-25 फीसदी अधिक उत्पादन और 25 से 30 फीसदी अधिक मुनाफा होता है। डॉ सिंह ने बताया कि इससे भी अधिक मुनाफा के लिए 30 से 40 दिन अगेती उत्पादन लेकर उच्च मूल्यों पर फसलों की बिक्री की जा सकती है। इसमें अन्य विधि से तैयार पौध की तुलना में कीट या किसी तरह रोग का ज्यादा प्रकोप नहीं होता है।
...क्या है प्रो ट्रे से पौध तैयार करने की विधि :
- प्रो ट्रे को तैयार करने के लिए कोकोपिट यानी नारियल की भूसी या रेशा में खनिज लवणों को मिलाकर कृत्रिम मिट्टी के तौर पर तैयार किया जाता है
- जिसके बाद वर्मीकुलाइट, परलाइट को मिलाकर प्रो ट्रे में डाला जाता है
- उसमें प्रति कप एक सब्जी बीज को डालकर 20 से 25 दिन छोड़ दिया जाता है
- इसमें पौध तैयार होती हैं और उसकी रोपाई कर दी जाती है
- कोकोपिट में अधिक जल ग्रहण और वायु संचार के कारण जड़ अधिक विकसित होते हैं
- वर्मीकुलाइट जो एक माइका है हल्की वजन युक्त पदार्थ है, जिसमें कैल्शियम और मैगनीशियम तत्व पाए जाते हैं
- परलाइट में भी वायु संचार और जल ग्रहण की क्षमता अधिक होती है
- प्रो ट्रे में बीज डालने के बाद पौध विकसित होने तक बीच बीच में सिंचाई स्प्रे मशीन से करना बेहतर होता है
- इसमें कद्दूवर्गीय, खीरा, करेला, पपीता, नेनुआ समेत अन्य लतरवर्गीय पौध को तैयार किया जाता है।
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