मधुबनी (आर्यावर्त संवाददाता) झंझारपुर के विधायक गुलाब यादव का पैतृक गांव है गंगापुर। गुलाब यादव के राजनीति में आने के बाद गांव को लोग उत्साहित थे। उन्हें लगा गंगापुर का बेटा गांव का कायाकल्प कर देगा। समय गुजरने के साथ ही यह उत्साह आक्रोश में बदलता दिख रहा है। गुलाब यादव पंचायत समिति बनने के बाद दो बार प्रखण्ड प्रमुख रहे। फिर विधायक बने। अब महागठबंधन की तरफ से संसद जाने का रास्ता खोज रहे है। इतना लंबा सफर तय करने के बाद गांव की हालत में अपेक्षित बदलाव न होने से गांव के लोग निराश होने लगे है। गांव की आबादी आठ हजार है, जिसमें सबसे ज्यादा आबादी यादव की है और वोटर लगभग 3500 है। यहाँ के लोगो का दर्द चुनावी कवरेज करने गए मीडिया कर्मी के कैमरे के सामने खुलकर सामने आया। गांव के लोगों का कहना है गुलाब यादव कहतें हैं कि हमने झंझारपुर विधान सभा का कायाकल्प कर दिया। सैकड़ों सड़क पुल-पुलिया दर्जनों समुदाय भवन आदि बनवाया पर गांव आधी सड़क अब भी कच्ची है, गांव में एक भी समुदाय भवन नहीं और न ही एक भी राशन किराशन की दुकान है। अशोक कुमार यादव ने कहा पहले गांव में ही जनवितरण प्रणाली की दुकान थी। अब नही है। चार किलोमीटर दूर गुनाकरपुर जाना पड़ता है। कुछ दूर खड़े बृद्ध ने कहा गुलाब गांव पर ध्यान नही देता। गांव के दर्जनों लोग सालों से पेंशन के लिए दौड़ रहे है। एक पशुपालक का कहना था कि गांव में एक हजार से ज्यादा मवेशी है, मगर उनका इलाज झोला छाप डॉक्टर से ही होता है। मवेशी इलाज के साथ मनुष्य के इलाज का भी यही हाल है। मुशहरी की महिला का आक्रोश कैमरा देखते ही फट पड़ा। सीधा आरोप लगाया कि मुशहरी के लिए कुछ नही किया। एक सामुदायिक दालान तक नही बनाया। इन महिलाओं का कहना था कि जो अपने गांव का विकास नही किया वो झंझारपुर का विकास क्या करेगा। घर ठीक तो बाहर ठीक। संवाददाता की टीम आगे बढ़ती है तो गांव के कीचड़ से लदबद सड़के दिखती है। गांव की मुख्य सड़क के अलावा कही भी सड़के पक्की नही है। कुछ जगहों पर सात निश्चय योजना से बने पानी नल की टोटी दिखती है, मगर पानी उगलने में अक्षम थी। जानकारी लेने पर पता लगा कि विधायक के गांव में जनवितरण दुकान, सामुदायिक भवन, उप स्वास्थ्य केंद्र, पशु चिकित्सालय नही है। एक मिडिल स्कूल है। जिसमे 690 नामांकित बच्चो को पढ़ाने के लिए 6 शिक्षक पदस्थापित है। विकास के नाम पर 6 आगनबाड़ी केंद्र, मुख्य सड़क, विधायक का भव्य आवास और गांव में बिजली की तार कहीं पोल पर तो कहीं बांस बल्ला टंगा दिखता है। गांव के बेटे पर किया गया विश्वास दरकने लगा है।
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