दरभंगा (आर्यावर्त संवाददाता) ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय एवं यूनिसेफ के तत्वावधान में अकादमिक लीडरशिप पर आयोजित राष्टीय विचारगोष्ठी के दूसरे दिन का पहला सत्र ‘अकादमिक लीडरशिप इन स्कूल्स: रिफलेक्टिंग ऑन लर्निंग्स ऑफ चिल्डेªन‘ पर आधारित था। इस परिचर्चा में मोडेरेटर के रूप में प्रति-कुलपति, ल.ना.मि.वि. प्रोफेसर जय गोपाल एवं वक्ता के रूप में श्रीमती किरण कुमारी, राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, गुणवता, बिहार शिक्षा परियोजना परिषद पटना; श्री जी.वी.एस.आर. प्रसाद, पूर्व-निदेशक, डायट रांची एवं श्री धर्मेन्द्र कुमार, प्रखंड साधनसेवी, गरौल, वैशाली उपस्थित थे। श्रीमती किरण कुमारी ने अपने उद्बोधन में विद्यालयी परिवर्तन के लिए अकादमिक लीडरशिप से जुड़ी अपेक्षाओं को साझा किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि किस प्रकार विद्यालय के प्रधानाध्यापकों का प्रशिक्षण सन्दर्भगत एवं क्षेत्रीय आवश्यकताओं व चुनौतियों को ध्यान में रखकर किया जाना चाहिए। साथ ही साथ, उन्होंने हाल में राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद्, पटना में स्थापित लीडरशिप अकादमी की भूमिका को भी सम्वर्धित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके बाद, दूसरे वक्ता श्री जी.वी.एस.आर. प्रसाद ने अपने उद्बोधन में रेखांकित किया कि किस प्रकार भारत की आधी से ज्यादा आबादी युवा वर्ग की है लेकिन फिर भी विद्यालय में वर्तमान परिप्रेक्ष्य की आवश्यकता के अनुसार कुशल मानव संसाधन तैयार करने पर जोर नहीं है। उन्होंने भारतीय विद्यालयों के समक्ष उभरी चुनौतियों की विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि शिक्षकों के प्रशिक्षण को नयी आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर करना होगा। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि प्रधानाध्यपकों एवं शिक्षकों के साथ-साथ छात्रों में भी कुशल नेतृत्व का विकास करने की आवश्यकता है। अगले वक्ता श्री धर्मेन्द्र कुमार ने गरौल, वैशाली में प्रखण्ड साधनसेवी के रूप में अपने कार्यों का निर्वहन किस प्रकार किया है इस पर अपने अनुभवों को साझा किया। उनके अनुसार विभिन्न प्रकार की विद्यालयी गतिविधियां जैसे बाल संसद, खेलकूद, चेतना सत्र इत्यादि छात्रों में न सिर्फ कौशल का विकास करते हैं, बल्कि उन्हें एक उत्कृष्ट मानव संसाधन के रूप में तैयार करने में भी मदद करते हैं।
विचारगोष्ठी के अगले सत्र का थीम था-‘अकादमिक लीडरशिप इन स्कूल्स: वेरियस वॉयसेज एंड फील्ड नैरेटिव्स‘। इस सत्र के मोडेरेटर के रूप में ल.ना.मि.वि. के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय एवं वक्ता के रूप में श्री शिव कुमार, संकुल संसाधन केन्द्र समन्वयक, मारियावा, बिक्रम, पटना; श्री मनोज कुमार त्रिपाठी, प्रधानाध्यापक, उत्क्रमित मध्य विद्यालय, भेलडुमरा, भोजपुर एवं श्री अनूप कुमार सिन्हा, प्रधानाध्यापक, मध्य विद्यालय, पोखरपुर, गिरीयक, नालन्दा मौजूद थे। श्री शिव कुमार ने अपने उद्बोधन में यह कहा कि संकुल संसाधन केन्द्र समन्वयक के समक्ष कई चुनौतियां होती हैं, इसके बावजूद यदि प्रेरणा हो तो अपने संकूल के विद्यालयों को बेहतर बनाया जा सकता है। अपनी प्रस्तुति में उन्होंने ‘टीचर्स ऑफ बिहार‘ नामक पोर्टल से सबका परिचय कराया जिससे बिहार के विभिन्न जिलों से वैसे तमाम शिक्षक जुड़े हुए हैं जो अपने विद्यालयों में कई तरह के नवाचार कर रहे हैं। उन्होंने शिक्षकों के अकादमिक विकास में सोसल मिडिया एवं प्रोफेसनल लर्निंग कम्युनिटी की भूमिका पर भी बल दिया। अगले वक्ता श्री मनोज कुमार त्रिपाठी ने भी अपने उद्बोधन में विद्यालय के प्रधानाध्यापकों के समक्ष आनेवाली चुनौतियों की चर्चा करते हुए अपने अनुभवों एवं विचारों को साझा किया। इसके बाद, नालन्दा के श्री अनूप कुमार सिन्हा ने भी उपरोक्त संदर्भ में अपने अनुभवों को साझा किया। उनके अनुसार सीखने-सिखाने की प्रक्रिया एवं अन्य विद्यालयी गतिविधियों में बच्चों को शामिल कर बेहतर सीखने के वातावरण का निर्माण किया जा सकता है।
भोजन के उपरांत का अंतिम सत्र बिहार में अकादमिक लीडरशिप हेतु रोडमैप विकास की परिचर्चा पर केन्द्रित था। इस सत्र में विभिन्न शैक्षणिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने बिहार के विद्यालयों में अकादमिक नेतृत्व को विकसित करने हेतु रोडमैप के सम्बंध में विमर्श किया। इसमें राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसांधान परिषद, दिल्ली; राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद, पटना; बिहार शिक्षा परियोजना परिषद, पटना; अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय, बैंगलोर; पिरामल फाउन्डेशन; अध्ययन फाउन्डेशन; जिला शैक्षिक प्रशिक्षण संस्थान, यूनिसेफ तथा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के शिक्षक एवं पदाधिकारी शामिल हुए। कार्यक्रम के अंत में विचारों का समाहार यूनिसेफ, दिल्ली के डा. रामचन्द्र राव बेगूर ने किया। माननीय कुलपति प्रोफेसर सुरेन्द्र कुमार सिंह ने इस सत्र की अध्यक्षता की। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में उन्होंने विद्यालय में अकादमिक लीडरशिप के विकास पर बल दिया। साथ ही, उन्होंने यह कहा कि किसी भी संस्था के विकास में उसमें कार्यरत सभी व्यक्तियों की अहम भूमिका होती है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने सिमुलतला विद्यालय की सफलता का जिक्र किया। उनकी दृष्टि में नियम और कानूनों को विद्यालय में शैक्षणिक वातावरण विकसित करने में सहायक होना चाहिए न कि बाधक। धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय के द्वारा किया गया।
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