पूर्णिया : ...और अब बलुवाही नहीं दोमट मिट्‌टी में भी किसान कर सकेंगे तरबूज व खरबूज की खेती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 8 मई 2019

पूर्णिया : ...और अब बलुवाही नहीं दोमट मिट्‌टी में भी किसान कर सकेंगे तरबूज व खरबूज की खेती

- काझा कोठी के बनिया पट्‌टी के किसान अब धान व गेहूं समेत मक्के जैसी परंपरागत खेती के साथ साथ सब्जी व फूल की खेती कर आजमा रहे भाग्य- दो वर्षों से इलाके के 18 कृषि उद्यमियों को तरबूज, खरबूज व शिमला मिर्च की खेती का मिल चुका है प्रशिक्षण 
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कुमार गौरव, पूर्णिया : केनगर प्रखंड अंतर्गत काझा कोठी के बनिया पट्‌टी के किसान कृषि क्षेत्र में नया आयाम स्थापित कर रहे हैं। यहां के किसान अब धान गेहूं या फिर मक्के की फसल से इतर सब्जी व फूल की खेती कर न सिर्फ अपनी आमद बढ़ा रहे हैं बल्कि जिले के अन्य कृषकों को भी परंपरागत खेती के साथ साथ आधुनिक तकनीक के सहारे खेतीबाड़ी करने की सलाह भी दे रहे हैं। दरअसल यहां के किसानों ने कौशल्या फाउंडेशन द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद आधुनिक तकनीक से सब्जी की खेती कर रहे हैं। फाउंडेशन के कार्यक्रम पदाधिकारी नवल किशोर झा बताते हैं कि पिछले दो वर्षों से इलाके के 18 कृषि उद्यमियों को तरबूज, खरबूज व शिमला मिर्च की खेती के गुर सिखाए जा रहे हैं। इसके लिए उन्हें बाकायदा प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। 

...10 पंचायतों में चलाया जाएगा प्रशिक्षण कार्यक्रम : 
कार्यक्रम पदाधिकारी कहते हैं कि फाउंडेशन का लक्ष्य दस पंचायतों में प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाने का है। इस दिशा में कार्य किए जा रहे हैं और शुरूआती दौर में सिर्फ 10 एकड़ जमीन पर ही तरबूज व खरबूज व शिमला मिर्च की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि आमतौर पर तरबूज व खरबूज की खेती बलुवाही मिट्‌टी में की जाती है लेकिन नोनियो तकनीक वाले बीज से अब हमारे किसान दोमट मिट्टी में भी इनकी खेती कर सकते हैं। बता दें कि एक एकड़ खेत में तरबूज व खरबूज के करीब 3000 पौधे लगाए जाते हैं और फसल कटने के बाद प्रति फल बाजार में 8-10 रूपए तक किसानों को मिलते हैं। एक एकड़ में किसानों को तरबूज या खरबूज की खेती के लिए महज 30 हजार रूपए खर्चने पड़ते हैं और 2 लाख 40 हजार रूपए तक की आमद होती है। 

...ऑनलाइन ट्रेडिंग की भी मिल रही सुविधा : 
फसल बेचने के लिए किसानों को बाजार या फिर मंडी भी जाने की जरूरत नहीं होती है क्योंकि यहां के अधिकांश किसानों को फाउंडेशन के द्वारा ऑनलाइन ट्रेडिंग तक की सुविधा दी जाती है। ताकि किसान यह जान पाए कि राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मार्केट में फिलहाल इन फसलों की क्या स्थिति और कीमत है। श्री झा ने बताया कि किसानों की सुविधा के लिए एग्री बाजार पोर्टल तैयार किया गया है। जिसके माध्यम से किसानों को न सिर्फ मार्केट के वर्तमान हालात बल्कि आधुनिक तकनीक से खेती करने व खाद बीज की जानकारी के अलावा कीट और फसल प्रबंधन की भी जानकारी उपलब्ध होती है। उन्होंने बताया कि इन किसानों को अन्य कमोडिटी मसलन धान, गेहूं, मक्का, दलहन, तिलहन समेत अन्य उत्पादों की जानकारी भी दी जाती है।

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