दरभंगा (आर्यावर्त संवाददाता) स्थानीय एम एल एस एम कॉलेज दरभंगा के रसायन विज्ञान विभाग के प्राचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉक्टर प्रेम मोहन मिश्र का शोध आलेख "रसायन विज्ञान -हमारा स्वास्थ्य .हमारा भविष्य " विषय पर आयोजित होने वाले छठे अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में प्रस्तुति के लिए स्वीकृत हुआ है यह सम्मेलन 6 एवं 7 जून 2019 को फ्रांस के पेरिस शहर में एवं 8 जून को बेल्जियम के ब्रुसेल्स शहर में आयोजित होगी ।प्रोफेसर मिस्र का आलेख हरित रसायन विषय पर आधारित है ।इसका उद्देश्य संश्लेषित रसायन से बने दवाओं के दुष्प्रभाव से बचकर भारतीय प्राचीन औषधियों के उपयोग की ओर दुनिया का ध्यान आकृष्ट करना है ।डॉक्टर मिश्र का दावा है कि मानव जाति में होने वाली सभी बीमारियों के उपचार की औषधि प्रकृति में विद्यमान मान है ।प्रकृति सभी वस्तुओं का प्रतिरोधी स्वयं तैयार करती है । प्राचीन भारत के चरक एवं सुश्रुत जैसे आयुर्वेद के चिकित्सक प्राकृतिक औषधियों से सभी प्रकार के असाध्य बिमारियों का इलाज सफलतापूर्वक कर लेते थे ।विदेशी आक्रमण एवं अंग्रेजी शासन में इस ज्ञान परंपरा की कडी टूट गई ।अपने औद्योगिक उत्पादों के बिक्री को बढ़ावा देने के लिए अंग्रेजों ने संश्लेषित दवा का प्रचार प्रसार किया ,जिससे हमारे पारंपरिक चिकित्सा व्यवस्था की अवहेलना हुई ।इस सम्मेलन में डॉक्टर मिश्र मिथिला में उगने वाले मोथा घास जिसे अमूमन लोग बेकार समझते हैं के जड, तना एवं पत्तों में उपस्थित रसायनों के निष्कर्षण करने की विधि एवं उसके फिजिओकेमिकल, फाइटोकेमिकल एवं फार्माकोलॉजिकल गुणों के बारे में जानकारी देंगे ।उनके शोध का विषय है "स्टडी ऑफ आइसोलेशन कैरक्टराइजेशन एण्ड एंटीमाइक्रोबियल एक्टिविटी ऑफ हाई वैल्यू बायो एक्टिव कंपाउंड फ्रॉम मिथैनोलिक एक्सट्रैक्ट ऑफ ग्रास ऑफ मोथा (साइप्रस रोटूंडस)। डा। मिश्र ने एम एल एस एम कॉलेज दरभंगा में वनस्पतियों के औषधीय गुणों के अध्ययन के लिए रसायन विज्ञान विभाग में आवश्यक उपकरणों की आपूर्ति के लिए प्रधानाचार्य डॉ विद्या नाथ झा तथा इस परियोजना में काम करने के लिए अपने शोध छात्र पांशु प्रतीक को धन्यवाद दिया है ।डॉ मिश्र ने कहा है कि वे आगे भी मिथिला में उपस्थित विभिन्न वनस्पतियों के औषधि गुणों का अध्ययन एवं उसके प्रयोग को बढ़ावा देने के लिए अपना शोध जारी रखेंगे । इस इस परियोजना का उद्देश्य मिथिलांचल में औषधि क्योंकि खेती को बढ़ावा देकर मिथिला के आर्थिक विकास में सहयोग करना है। इसी उद्देश्य से एम एल एस एम कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग नई दिल्ली द्वारा संपोषित हर्बल फार्मिंग की पढ़ाई के लिए एक वर्षीय प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम भी प्रारंभ किया गया है ।
मंगलवार, 4 जून 2019
दरभंगा : डॉक्टर प्रेम मोहन मिश्र का आलेख को स्वीकृति
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