25 दिनों के बाद सुप्रीम कोर्ट से जागरण शक्ति संगठन की कार्यकर्ता तन्मय निवेदिता और कल्याणी को ज़मानत मिल गयी....
अररिया. वह नाबालिंग लड़की साइकिल चलाना जानती हैं. वह मोटरसाइकिल भी चलाना सीखना चाहती थीं. ख्वाब था कि मोटरसाइकिल चलाकर उड़ान भरेंगी.उसने इसके लिए एक दोस्त भी तैयार कर ली थीं.नाबालिंग लड़की मोटरसाइकिल सीखाने वाले दोस्त पर विश्वास करने लगी थीं, कि वह कभी मोटरसाइकिल सीखाते समय गिराकर चोटग्रस्त नहीं करेंगा.मगर एकदिन विश्वास करने वाले दोस्त ने विश्वासघात कर दिया.वह और अपने दोस्त के साथ मिलकर मोटरसाइकिल सीखने वाली नाबालिंग लड़की को झुरमुट में ले जाकर सामूहिक दुष्कर्म कर डाला. किसी सामाजिक कार्यकर्ता के पास वह नाबालिंग लड़की काम करती थीं. सामाजिक सोच वाले व्यक्तित्व मिल जाने से वह साइकिल चलाना सीख गयी थीं.वह एक दोस्त से मोटरसाइकिल सीख रही थीं. मोटरसाइकिल सीखाने वाला गुरू ने अपने दोस्त के साथ मिलकर 05 जुलाई को नाबालिंग लड़की का सामूहिक दुष्कर्म कर दिया.पीड़िता 07 जुलाई को महिला थाना में जाकर मामला दर्ज करवायी.10 जुलाई को कोर्ट में 164 के तहत बयान दर्ज किया गया.सबके सामने बयान दर्ज कराने का विरोध दर्ज करायी तो कचहरी में जज के सामने बयान दर्ज हुआ.उसके बाद कचहरी के जज ने बयान को पढ़कर सुनाया तो नाबालिंग लड़की ने कहा कि मैं नहीं समझ पा रही हूं,सो कागजात पर हस्ताक्षर नहीं करूंगी. अपने साथियों को बुला लाती हूं ,उसी के सामने बयान पढ़ा जाए.जन जागरण शक्ति संगठन की कार्यकर्ता तन्मय निवेदिता और कल्याणी आयी.तबतक कचहरी के जज साहब ने इस मामले को प्रतिष्ठा का सवाल बना लिए.तत्काल पुलिस को बुलाकर तीनों को ले जाने का हुक्म दे दिया.
अररिया थाना ने एफ.आई.आर.दर्ज किया.तीनों पर धारा 353,228,188,180 और 120 (बी) आई.पी.सी. के धारा तरह 11 जुलाई को अररिया में सामूहिक दुष्कर्म की एक रेप सर्वाइवर और दो सहयोगियों को कोर्ट की अवमानना के आरोप में जेल भेज दिया गया था. बिहार के अररिया में एक रेप पीड़िता और उसे संभालने वाले दो नौजवानों को कुछ सवाल पूछ देने के कारण जेल की सजा हो गई. मजिस्ट्रेट मुस्तफा शाही ने पीड़िता और उसके मददगारों को जेल भेज दिया. इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग ने और बिहार राज्य महिला आयोग ने भी संज्ञान लिया था, करीब 250 से अधिक वकीलों ने भी रिहाई की गुहार लगाई थी. 10 दिनों के बाद रेप सर्वाइवर को अररिया कोर्ट ने विशेष सुनवाई करते हुए ज़मानत दे दी है. हालांकि उनके दो सहयोगियों व जन जागरण शक्ति संगठन की कार्यकर्ता तन्मय निवेदिता और कल्याणी को ज़मानत नहीं मिली है.कोरोना के दौर में कोर्ट के इस कदम की आलोचना हो रही है और सिस्टम में हर कदम पर संवेदनशीलता की जरूरत की बहस भी शुरू हो गई है. पटना हाईकोर्ट के वकीलों ने इस अन्याय के खिलाफ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखा. पीड़िता को कुछ दिन जमानत मिल गई लेकिन उसकी मदद कर रहे दो लोगों को आज सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली.भारत में यौन हिंसा को लेकर मज़बूत क़ानून हैं, लेकिन क्या क़ानून की किताब में जो लिखा है, वो ज़मीनी हक़ीक़त है? एक रेप सर्वाइवर को क़ानून व्यवस्था, समाज और प्रशासन कितना भरोसा दिला पाते हैं कि ये न्याय की लड़ाई उसकी अकेली की लड़ाई नहीं है. थाना, कचहरी और समाज में उसका अनुभव कैसा होता है? भारत में यौन हिंसा को लेकर मज़बूत क़ानून हैं, लेकिन क्या क़ानून की किताब में जो लिखा है, वो ज़मीनी हक़ीक़त है? एक रेप सर्वाइवर को क़ानून व्यवस्था, समाज और प्रशासन कितना भरोसा दिला पाते हैं कि ये न्याय की लड़ाई उसकी अकेली की लड़ाई नहीं है. थाना, कचहरी और समाज में उसका अनुभव कैसा होता है? वरिष्ठ अधिवक्ता वृंदा ग्रोवर ने कहा कि 25 दिनों के बाद सुप्रीम कोर्ट से जागरण शक्ति संगठन की कार्यकर्ता तन्मय निवेदिता और कल्याणी को ज़मानत मिल गयी.
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