अदालत की अवमानना अधिनियम के तहत सजा के तौर पर प्रशांत भूषण को छह महीने तक की कैद या दो हजार रुपये का जुर्माना अथवा दोनों सजा हो सकती थी, लेकिन उनकर केवल एक रुपये का जुर्माना लगाया गया है।जुर्माना नहीं भरने की स्थिति में उनको तीन साल तक वकालत करने से रोका जा सकता है या फिर उनको तीन माह के लिए जेल भेजा जा सकता है....
नयी दिल्ली। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने 22 जून को शीर्ष अदालत के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे तथा चार पूर्व मुख्य न्यायाधीशों को लेकर तो दूसरी टिप्पणी 27 जून को न्यायपालिका के छह वर्ष के कामकाज को लेकर की थी।उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में सोमवार को उनपर एक रुपये का जुर्माना लगाया। अदालत ने कहा कि यदि वह इसे 15 सितंबर तक जमा नहीं कराते हैं तो उन्हें तीन महीने की जेल और तीन साल तक प्रैक्टिस करने से रोक दिया जाएगा। यह फैसला न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने सुनाया। वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ कोर्ट की अवमानना मामले में सुप्रीम कोर्ट ने आज अपना फैसला सुना दिया है। न्यायपालिका के खिलाफ अपने दो ट्वीट को लेकर न्यायालय की अवमानना के दोषी ठहराए गए वकील प्रशांत भूषण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण पर 1 रुपए का आर्थिक जुर्माना लगाया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि यह राशि नहीं जमा करने पर उन्हें तीन महीने जेल की सजा हो सकती है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने बीते मंगलवार को प्रशांत भूषण की सजा पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। माफी मांगने से पहले ही इनकार कर चुके प्रशांत भूषण को कोर्ट ने 30 मिनट का समय दिया था और कहा था कि अपने रुख पर फिर विचार कर लें। लेकिन इसके बाद भी भूषण का विचार नहीं बदला तो कोर्ट ने यहां तक पूछा कि माफी मांगने में क्या गलत है, क्या यह बहुत बुरा शब्द है? न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने भूषण के खिलाफ अपना फैसला सुनाया।
अवमानना मामले में फैसला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर प्रशांत भूषण 1 रुपए का जुर्माना नहीं भरत हैं तो इस स्थिति में उन्हें तीन महीने की जेल हो सकती है या फिर तीन साल तक वाकलत करने से रोक दिया जाएगा। प्रशांत भूषण द्वारा न्यायालय की तरफ से माफी मांगने के सुझाव को खारिज किए जाने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने 25 अगस्त को शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कोर्ट की ओर से 'स्टेट्समैन' जैसा संदेश दिया जाना चाहिए और भूषण को शहीद न बनाएं। तीन न्यायाधीशों की पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति मिश्रा ने सजा के मुद्दे पर उस दिन अपना फैसला सुरक्षित रखा था। न्यायमूर्ति मिश्रा दो सितंबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को भूषण को न्यायापालिका के खिलाफ उनके दो अपमानजनक ट्वीट के लिए उन्हें आपराधिक अवमानना का दोषी ठहराया था। भूषण का पक्ष रख रहे धवन ने भूषण के पूरक बयान का हवाला देते हुए शीर्ष अदालत से अनुरोध किया था कि वह अपने 14 अगस्त के फैसले को वापस ले ले और कोई सजा न दे। उन्होंने अनुरोध किया कि न सिर्फ इस मामले को बंद किया जाना चाहिए, बल्कि विवाद का भी अंत किया जाना चाहिए।
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