बिहार : वैश्विक कोरोना के काल के गाल में देश के 326 चिकित्सक समा गये - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

विजयी विश्व तिरंगा प्यारा , झंडा ऊँचा रहे हमारा। देश की आज़ादी के 75 वर्ष पूरे होने पर सभी देशवासियों को अनेकानेक शुभकामनाएं व बधाई। 'लाइव आर्यावर्त' परिवार आज़ादी के उन तमाम वीर शहीदों और सेनानियों को कृतज्ञता पूर्ण श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए नमन करता है। आइए , मिल कर एक समृद्ध भारत के निर्माण में अपनी भूमिका निभाएं। भारत माता की जय। जय हिन्द।

गुरुवार, 3 सितंबर 2020

बिहार : वैश्विक कोरोना के काल के गाल में देश के 326 चिकित्सक समा गये

सरकार ने प्रमाण मांगे हैं। इसलिए अब डॉक्टरों की मौत की वजह के प्रमाण-पत्र इकट्ठा कर सरकार को देने की तैयारी की जा रही है...
326-doctors-died-in-covid-era
पटना,03 सितम्बर। वैश्विक कोरोना के काल के गाल में देश के  326 चिकित्सक समा गये। उनमें बिहार के 23 चिकित्सक भी शामिल हैं।अन्य है तमिलनाडु से 57,आंध्र प्रदेश से 38, गुजरात से 37, महाराष्ट्र से 34, कर्नाटक से 25, पश्चिम चम्पारण से 24, बिहार से 23, उत्तर प्रदेश से 21,दिल्ली से 12, मध्य प्रदेश से 10,तेलेंगाना से 8, हरियाणा में 6 और उड़ीसा में 6 चिकित्सकों ने जान गवांई है। आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा का कहना है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि कोरोना से जंग लड़ रही आशा कार्यकर्ताओं, स्वच्छता कर्मचारियों, मेडिकल और पैरा-मेडिकल स्टाफ के लिए तीन महीने के लिए 50 लाख रुपये के बीमा कवर का ऐलान किया जाता है।इसका फायदा 20 लाख मेडिकल स्टाफ और कोरोना वॉरियर को मिलेगा।जो नहीं मिल रहा है।हालांकि 2026 संक्रमित हुए हैं। दवा-दारू से कोविड-19 के क्रोध से बच निकले। 956 प्रैक्टिशियन फिशियन हैं।77 रेंजीडेंसी डाक्टर और 299 हाउस सर्जन हैं।



देश में कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले 326 डॉक्टर संक्रमण के कारण दम तोड़ चुके हैं। इनमें से 62 जनरल प्रैक्टिशनर्स हैं और 23 मेडिसिन डॉक्टर हैं। दरअसल, कोरोना के लक्षण दिखने के बाद ज्यादातर मरीज सबसे पहले जनरल प्रैक्टिशनर या मेडिसिन डॉक्टर के पास जाते हैं।आईएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजन शर्मा का कहना है कि मरीजों को सबसे पहले ये ही देखते हैं जिससे संक्रमण का खतरा सबसे ज्यादा इन्हें ही रहता है। इसके अलावा एनेस्थिसिया, डेंटल और कुछ अन्य विभागों के डॉक्टरों की कोरोना से मौत हुई है। आईजीआईएमएस में स्टाफ नर्स सिस्टर श्वेता रॉबर्ट की भी कोरोना संक्रमित होने से मौत हो गयी है। आईएमए जूनियर विंग के चेयरमैन डॉ. अबुल हसन ने बताया कि शुरू में सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन नहीं हुई और पीपीई किट की क्वालिटी भी खराब थी। यही नहीं, बुखार और गैर बुखार वाले मरीजों को अलग-अलग रखने में भी कोताही बरती गई, जिसका खामियाजा डॉक्टरों को भुगतना पड़ा। तमिलनाडु सरकार अपने यहां 57 डॉक्टरों की मौत को स्वीकार नहीं कर रही है।सरकार ने प्रमाण मांगे हैं। इसलिए अब डॉक्टरों की मौत की वजह के प्रमाण-पत्र इकट्ठा कर सरकार को देने की तैयारी की जा रही है।

पटना एम्‍स में भर्ती पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्‍पिटल ( Patna Medical College and Hospital के प्रोफेसर डॉ. एनके सिंह पिछले 8 दिनों से भर्ती थे और उनकी हालत बिगड़ने पर उन्‍हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। एक डॉक्‍टर की मौत भी एम्‍स में कोरोना वायरस संक्रमण के चलते हो गई थी।पटना एम्‍स में दम तोड़ने वाले दूसरे डॉक्‍टर 59 साल के डॉक्टर डॉ. अश्विनी कुमार हैं। वह रामानंदपुर के रहने वाले थे और गया में निजी प्रैक्टिस करते थे।पिछले दिनों कोरोना संक्रमण के चलते उनका भी इलाज यहां एम्‍स में चल रहा था।कदमकुआं थाना क्षेत्र के लोहानीपुर के रहने वाले हृदय रोग विशेषज्ञ 44 वर्षीय डॉ दीपक कुमार, मुजफ्फरपुर मेडिकल कॉलेज के 74 वर्षीय डॉ वीबीपी सिन्हा शामिल हैं। डॉ दीपक कदमकुआं स्थित एक निजी अस्पताल में हृदय रोग के डॉक्टर थे।सांस लेने में तकलीफ व तेज बुखार आने के बाद परिजनों ने दोनों डॉक्टर को एक सप्ताह पहले एम्स में भर्ती कराया, जहां कोरोना पॉजिटिव रिपोर्ट आने के बाद कोविड वार्ड में भर्ती किया गया था। हालत गंभीर होने के बाद दोनों डॉक्टरों की मौत हो गयी। आईएमए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी है। इसमें कहा गया है कि डॉक्टरों के परिजन को भी बीमार होने के बाद अस्पतालों में बिस्तर नहीं मिल रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुताबिक़, देश में अबतक कोविड-19 की वजह से 326 डॉक्टर अपनी जान गंवा चुके हैं. आईएमए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर ध्यान देने की अपील की है।आईएमए ने प्रधानमंत्री मोदी के नाम एक पत्र लिखा है, जिसमें कोविड संकट के दौरान डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर बढ़ती चिंताओं की तरफ प्रधानमंत्री का ध्यान दिलाया गया।



पत्र में लिखा गया है, “कोविड की वजह से डॉक्टरों के संक्रमित होने और जान गंवाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं. इनमें कई जनरल प्रैक्टिशनर्स हैं।आबादी का बड़ा हिस्सा बुखार और संबंधित लक्षणों के लिए उनसे सलाह लेता है. वो फर्स्ट प्वाइंट ऑफ कॉन्टेक्ट होते हैं. अबतक हम अपने 326 डॉक्टरों को खो चुके हैं. सर, इस बात का ज़िक्र करना मुनासिब है कि कोरोना, सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में भेद नहीं करता. आईएमए देश भर के उन 3.5 लाख डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करता है जो सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे हैं.” पत्र में ये भी लिखा है कि ऐसी विचलित करने वाली ख़बरें आ रही हैं कि डॉक्टरों और उनके परिजनों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे हैं और कई मामलों में दवा की भी कमी हुई है. “कोविड से हो रही डॉक्टरों की मौतों की संख्या चिंताजनक रूप से बढ़ रही है।” आईएमए ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ये सुनिश्चित करने की अपील की कि स्पेशल रिस्क ग्रुप के डॉक्टरों और उनके परिजनों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई जाएं. आईएमए ने कहा कि एक डॉक्टर की जान बचाने से उन हज़ारों लोगों की जान बचाई जा सकती है जो अपनी सेहत के लिए उस डॉक्टर पर निर्भर हैं.साथ ही ये अपील भी की गई कि सभी सेक्टरों के डॉक्टरों को सरकारी मेडिकल और लाइफ़ इंश्योरेंस की सुविधाएं दी जाएं।

कोई टिप्पणी नहीं: