बेगुसराय के शम्भू कुमार ने गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 26 दिसंबर 2020

बेगुसराय के शम्भू कुमार ने गिनीज विश्व रिकॉर्ड बनाया

किया देश का नाम रौशन,एक धुन और एक सांस में सबसे लम्बे समय तक शंख बजाने का बनाया गिनीज विश्व रिकॉर्ड।

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अरुण कुमार ( बेगूसराय )  : बछवाड़ा के शंभू कुमार ने विश्व में भारत की तरफ से एक नया गिनीज विश्व रिकॉर्ड कायम किया है  जो अभी तक किसी और का रिकॉर्ड नहीं था। वर्तमान में शंभू कुमार भारतीय सेना में (16 राजपूत) में कार्यरत हैं, शम्भू कुमार को रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ए. भारत भूषण बाबु ADG,(M&C) ने गिनीज का सार्टिफिकेट देकर सम्मानीत किया जो कि रक्षा मंत्रालय के सैनिक समाचार (दिसम्बर 20) में वर्णित है। शंभू कुमार का कहना है उनका बचपन बनारस के मठ में स्वामी शीतल दास ट्रस्ट में बिता था, वहां उन्होनें अध्ययन और का पुजारी का काम किया था। भगवान के आरती के समय वह शंख बजाया करते थे, एक दिन मठ के मठाधीश ने उनके शंख बजाने की जिज्ञासा देखकर उन्हें लगातार शंख बजाने की प्रेरणा दी और शम्भू कुमार ने उस प्रेरणा को आशिर्वाद के रूप में लिया और शंख बजाने का अनेको प्रकार से विश्व रिकॉर्ड में कायम कर दिया। शम्भू कुमार ने गिनीज वर्ल्ड रिकॉड में नाक बंद कर के एक सांस और एक धुन में 80 सेकेन्ड का रिकॉर्ड कायम किया है, अभ्यास से दौड़ान 2.5 घंटो तक शंख बजाया है, उनका लगातार शंख बजाने का रिकॉर्ड भारत वर्ल्ड रिकार्ड में 53 मिन्ट,इन्डिया स्टार बुक में 53 मिन्ट और लिम्का बुक रिकॉर्ड में 33 मिन्ट का है , लगातार शंख बजाते समय शंभू कुमार सांस लेते हैं लेकिन शंख की आवाज कम या बंद नहीं होता है। उनका विश्व रिकॉर्ड बनाने का लालसा बहुत दिनों से था जब गिनीज बुक वालों ने एक सांस में 70 सेकंड शंख बजाने का लक्ष्य दिया तो उन्हें थोड़ा कठिन लगा था लेकिन उन्होंने लगातार योग करके 5 मिनट तक सांस रोकने का  अभ्यास किया फिर उन्होंने गिनीज के टीम के सामने शंख बजाने का रिकॉर्ड हासिल किया शंभू कुमार का कहना है, कि मनुष्य अगर निश्चय कर ले तो हर काम आसान होता है शंख बजाने से मनुष्य के जीवन में काफी लाभदायक होता है वर्तमान समय में करोना जैसे महामारी में भी शंक बजाना बेहतर प्रेरणा दायक सिद्ध होगा। शंख बजाने से दिल में जोश एवं उत्साह उत्पन्न होता है शंख बजाने से गर्दन की मांसपेशियों को एक अच्छा व्यायाम मिलता है, शंख को बजाने से गला, फेफड़ा एवं उदर विकार दूर होता है, 1928 में बर्लिन यूनिवर्सिटी ने शंख ध्वनि शोध करके यह सिद्ध किया कि इसकी ध्वनि में कीटाणु नष्ट करने की उत्म औषधि है, तानसेन ने भी अपने आरंभिक दौड़ में शंख बजाकर ही गायन की शक्ति प्रदान की थी अर्थव वेद के चतुर्थ अध्याय में शंखमणि सप्तमी शंख वादन की महत्त्व वर्णित है अर्थव वेद के अनुसार शंख बजाने से राक्षसों का नाश होता है भागवत पुराण में भी शंख बजाने का उल्लेख किया है यजुर्वेद में भी इसकी महत्व वर्णित किया है।

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