गया : जिला में अफीम की खेती करने पर रोक, वैकल्पिक फसल उगाने पर जोर - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 13 जनवरी 2021

गया : जिला में अफीम की खेती करने पर रोक, वैकल्पिक फसल उगाने पर जोर

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गया। जिला पदाधिकारी गया श्री अभिषेक सिंह की अध्यक्षता में बाराचट्टी प्रखंड अंतर्गत ई-किसान भवन के सभागार में अफीम की खेती पर रोक लगाने, संबंधित क्षेत्र के लोगों को वैकल्पिक फसल के लिए जागरूक करने, अफीम के फसल को नष्ट करने तथा अफीम की खेती करने वाले या कराने वाले व्यक्तियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई करने तथा उन पर प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पर आवश्यक निर्देश दिए गए। बैठक में जिला पदाधिकारी ने कहा कि अफीम की खेती करने वाले असामाजिक तत्व हैं, जिन पर स्पष्ट कार्यवाही आवश्यक है। उन्होंने कहा कि बाराचट्टी क्षेत्र में अफीम की खेती करने वालों के कारण गया जिला के लिए कलंक का टीका साबित हो रहा है। जिले में उल्लेखनीय विकास कार्य एवं उपलब्धियां के बावजूद अफीम की खेती के कारण सभी विकास के कार्यों एवं उपलब्धियों पर प्रश्नचिन्ह खड़ा कर रहा है। हम सभी लोगों को मिलकर इस कलंक के टीके को समाप्त करना अनिवार्य है। जिला पदाधिकारी ने बैठक में उपस्थित जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया कि आप सब मिलकर अफीम की खेती करने वाले लोगों को प्रेरित करें कि वह उस स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल लगावे। अफीम हमारे स्वास्थ्य तथा मानसिकता को विचलित करने वाला नशीला पदार्थ है, जिसे किसी भी रूप में सराहा नहीं जा सकता है। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन, स्थानीय प्रशासन, अर्धसैनिक बल एवं एनसीबी सभी मिलकर अफीम की खेती को समाप्त करने तथा वैकल्पिक फसल लगाने की तैयारी कर रहे हैं। बाराचट्टी की भूमि पर *लेमन ग्रास* की खेती करने के लिए वन विभाग तथा कृषि विभाग द्वारा तैयारी की जा रही है। जिला पदाधिकारी ने जिले के बाराचट्टी प्रखंड अंतर्गत विभिन्न पंचायत स्तरीय जनप्रतिनिधियों से अनुरोध किया कि ऐसे लोग जो अभी अफीम की खेती में संलग्न है, उनके बारे में प्रशासन को सूचित करें। आपका नाम पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा। उन्होंने स्पष्ट रूप से जनप्रतिनिधियों को कहा कि जिला तथा राज्य को इस कलंक से बचाने हेतु आप सभी की जिम्मेवारी है कि आप लोगों को जागरूक करें। उन्हें अफीम की खेती छोड़ने हेतु प्रेरित करें। इस कार्य में सभी संबंधित विभाग /विंग आपके साथ हैं। उन्होंने कहा कि वन प्रमंडल पदाधिकारी इस अभियान के नोडल पदाधिकारी हैं तथा इनके द्वारा सराहनीय कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो भूमिहीन व्यक्ति हैं उन्हें वन विभाग द्वारा अस्थाई रूप से खेती करने के लिए भूमि दिया जाएगा तथा नन फॉरेस्ट क्षेत्र में मनरेगा, कृषि विभाग द्वारा तालाब भी बनाए जाएंगे। खाली पड़े वन भूमि पर तेजी से वृक्षारोपण के लिए योजना बनाए जा रहे हैं। उन्होंने जनप्रतिनिधियों, वन विभाग, एनसीबी, कृषि पदाधिकारी, अर्धसैनिक बल से अनुरोध किया कि सभी मिलकर यह संकल्प ले कि वे अफीम की खेती करने वालो को इसे छोड़ने तथा वैकल्पिक फसल लगाने हेतु लोगो को प्रेरित तथा जागरूक करेंगे। अफीम  हमारे राष्ट्र के लिए, राज्य के लिए एवं जिले के लिए घातक है। इससे अच्छी आमदनी लेमन ग्रास की खेती करने पर प्राप्त होगी तथा प्रशासन आप को प्रोत्साहित भी करेगा। बैठक में वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री अभिषेक कुमार ने बताया कि पिछले वर्ष लगभग 467 एकड़ क्षेत्र में लगे अफीम की खेती को नष्ट किया गया था। इस बार भी ड्रोन सर्वे किया गया है तथा इस बार भी लगभग उतने ही क्षेत्र में अफीम की खेती की जा रही है। उन्होंने कहा कि अफीम की खेती ने हमारे सभी विकास कार्य को पीछे कर दिया है। इसका एकमात्र उपाय यह है कि अफीम की खेती छोड़ कर हम बाराचट्टी क्षेत्र में वैकल्पिक फसल के रूप में लेमन ग्रास की खेती करें। उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र में स्वरोजगार हेतु कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। लोगों को मधुमक्खी व्यवसाय हेतु 100 बक्से उपलब्ध कराए गए हैं, गांव की महिलाओं को सिलाई मशीन दिए गए हैं, तथा अन्य सुधारात्मक कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। बैठक में जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि बाराचट्टी क्षेत्र में लेमन ग्रास की खेती करने से काफी फायदा होगा। प्रारंभ में 1 एकड़ जमीन में खेती करने से लगभग ₹45000 की पूंजी लगानी होती है, परंतु प्रथम बार में इतनी पूंजी लगाने पर इससे 5 से 6 साल तक इसी पूंजी में खेती कर सकते हैं। 1 एकड़ लेमन ग्रास की खेती करने से 1 वर्ष में लगभग ₹36000 का मुनाफा होगा। लेमनग्रास से तेल निकालकर अच्छी कीमत में तेल की बिक्री की जा सकती है साथ ही लेमनग्रास की पत्तियों से विभिन्न प्रकार के इको फ्रेंडली बैग बनाए जा सकते हैं, जिसकी बिक्री मार्केट में अभी अत्यधिक है। उन्होंने बताया कि फरवरी माह में इस फसल को लगाया जा सकता है। इसके लिए मात्र हल्की पानी की आवश्यकता है। कम पानी में भी यह अच्छी पैदावार देता है। साल में तीन बार इसकी कटाई की जा सकती है। बैठक में उपस्थित पदाधिकारी गण एवं प्रशासन द्वारा यह निर्णय लिया गया कि बाराचट्टी क्षेत्र में अफीम की खेती के बदले लेमन ग्रास की खेती को प्राथमिकता दी जाएगी तथा फरवरी माह से इसकी शुरुआत की जाएगी। संबंधित किसानों को कृषि विभाग के आत्मा के माध्यम से किसानों को गोड्डा तथा बांका में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। बैठक में जिला पदाधिकारी गया श्री अभिषेक सिंह, वन प्रमंडल पदाधिकारी श्री अभिषेक कुमार, एनसीबी के संयुक्त निदेशक कुमार मनीष, एसएसबी के डिप्टी कमांडेंट, अनुमंडल पदाधिकारी शेरघाटी, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी शेरघाटी, जिला जनसंपर्क पदाधिकारी श्री शंभू नाथ झा, जिला कृषि पदाधिकारी, प्रखंड विकास पदाधिकारी, अंचलाधिकारी तथा थानाध्यक्ष बाराचट्टी सहित जनप्रतिनिधि गण उपस्थित थे।

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