वायु प्रदूषण के कारण सबसे ज्यादा मौतों वाले शीर्ष 9 देशों पर नजर डालें तो चीन में इस तरह की मौतों में कोयला दहन का सबसे बड़ा योगदान है। वहां इसके कारण 315000 मौतें हुई हैं, जो कुल का 22.7 प्रतिशत है। मिस्र, रूस तथा अमेरिका में तेल तथा प्राकृतिक गैस से होने वाला प्रदूषण वहां प्रदूषण के कारण होने वाली मौतों का सबसे बड़ा जिम्मेदार है। इन देशों में तेल और प्राकृतिक गैस से फैलने वाले प्रदूषण के कारण 27% या 9000 से 13000 मौतें होती हैं। भारत, इंडोनेशिया, बांग्लादेश, पाकिस्तान और नाइजीरिया में ठोस जीवाश्म ईंधन प्रदूषण फैलाने वाला सबसे बड़ा स्रोत है। इन देशों में इसकी वजह से कुल की 36% या ढाई लाख मौतें होती हैं। भारत में प्रमुख प्रदूषणकारी स्रोतों में आवासीय क्षेत्र (25.7%), उद्योग (14.8%), ऊर्जा (12.5%), कृषि (9.4%), कचरा (4.2%) तथा अन्य प्रकार के दहन (3.1) फीसद शामिल हैं। इस अध्ययन से यह भी साबित होता है कि उप-राष्ट्रीय (सब-नेशनल) स्तर पर प्रदूषण के स्रोतों में अंतर होता है। इसके अलावा अध्ययन में क्षेत्रीय स्तर पर वायु की गुणवत्ता सुधारने संबंधी रणनीतियां तैयार करने के महत्व को भी रेखांकित किया गया है। उदाहरण के तौर पर चीन तथा भारत में घरों से निकलने वाले प्रदूषणकारी तत्व पीएम2.5 के औसत एक्सपोजर तथा उनकी वजह से होने वाली मौतों का सबसे बड़ा स्रोत हैं। बीजिंग तथा सिंगरौली (मध्य प्रदेश, भारत) के आसपास के क्षेत्रों में ऊर्जा तथा उद्योग क्षेत्रों का वायु प्रदूषण में तुलनात्मक रूप से ज्यादा योगदान है, क्योंकि भारत और चीन में पीएम2.5 से जुड़ी मौतों की संख्या सबसे ज्यादा है। लिहाजा इन दो देशों में अगर कोयले, तेल तथा प्राकृतिक गैस के दहन पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए तो पीएम2.5 के कारण पूरी दुनिया में होने वाली मौतों के बोझ को तकरीबन 20% तक कम किया जा सकता है। पिछले शोध में यह दिखाया गया है कि चीन में वर्ष 2013 से 2017 के बीच कोयला जलाने से निकलने वाले प्रदूषण में 60% की गिरावट आई थी। वहीं, वर्ष 2015 से 2017 के बीच भारत में प्रदूषण के इन्हीं स्रोतों में 7% तक का इजाफा हुआ था।
सेंट लुइस में वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के विजिटिंग रिसर्च एसोसिएट और इस अध्ययन के प्रथम लेखक डॉक्टर एरिन मैकडफी ने यह स्पष्ट किया कि वायु प्रदूषण से संबंधित सबसे ज्यादा मौतों वाले देशों में इंसान द्वारा बनाए गए प्रदूषणकारी स्रोतों का सबसे ज्यादा योगदान है। ‘‘स्रोत विशेष से होने वाले वायु प्रदूषण के कारण कितनी मौतें हुई? इस अध्ययन में की गई तुलना बेहद महत्वपूर्ण है। खास तौर पर तब, जब हम प्रदूषण के शमन के बारे में सोचते हैं। अंत में उप राष्ट्रीय पैमाने पर स्रोतों पर विचार करना महत्वपूर्ण होगा। विशेष रूप से तब, जब वायु प्रदूषण को कम करने के लिए शमन संबंधी रणनीतियां तैयार की जा रही हों। बारीक पार्टिकुलेट मैटर के कारण उत्पन्न वायु प्रदूषण के संपर्क में लंबे वक्त तक रहने से पूरी दुनिया में हर साल औसतन 40 लाख लोगों की मौत होती है। इनमें ह्रदय रोग, फेफड़े का कैंसर, फेफड़ों की गंभीर बीमारी, पक्षाघात (स्ट्रोक), श्वास नली में संक्रमण तथा टाइप टू डायबिटीज से होने वाली मौतें भी शामिल हैं। इस अध्ययन में इस्तेमाल किए गए विशाल डाटा सेट 20 से ज्यादा व्यक्तिगत प्रदूषण स्रोतों के वैश्विक योगदान का अनुमान लगाने के लिए इस्तेमाल होने वाला पहला डेटा सेट है। इन 20 व्यक्तिगत प्रदूषण स्रोतों में कृषि, परिवहन, ऊर्जा उत्पादन, अपशिष्ट तथा घरेलू बिजली उपयोग जैसे क्षेत्र शामिल हैं। यह विशिष्ट ईंधन जैसे कि ठोस बायोमास, कोयला, तेल तथा प्राकृतिक गैसों को जलाने के कारण उत्पन्न होने वाले प्रदूषण के वैश्विक प्रभावों का आकलन करने के लिए अपनी तरह का पहला अध्ययन भी है।
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