जिला स्तरीय क्राइसिस मैनेजमेंट समिति की बैठक आज
आई.टी. आई. मे प्रवेश के लिए रजिस्ट्रेशन एवं चॉइस फिलिंग 15 तक
विदिशा जिले की सभी शासकीय आई. टी. आई. मे सत्र 2021 के लिए प्रवेश के तीन चरण के पूरा होने के बाद खाली रही शीटों पर प्रवेश के लिए 15 सितम्बर तक रजिस्ट्रेशन एवं चॉइस फिलिंग शुरू है। विदिशा आईटीआई के प्राचार्य श्री एपी श्रीवास्तव ने बताया की ऐसे आवेदनकर्ता जो पूर्व मे रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए थे, वे भी प्रवेश प्रक्रिया मे सम्मिलित हो सकते है। वर्तमान मे जिले की संस्था मे संचालित 12 व्यवसाओ मे लगभग 60%सीटें खाली हैँ। अतः14 वर्ष से अधिक उम्र के दसवीं कक्षा उत्तीर्ण बिद्यार्थी प्रवेश हेतु किसी भी mponline कियोस्क सेंटर जाकर या स्वयं iti. mponline. gov. इन के जरिये अपना रजिस्ट्रेशन एवं चॉइस फिलिंग करवा सकते हैँ। गौरतलब हो कि नियमानुसार महिला आवेदको के लिए 30 प्रतिशत शीटें आरक्षित हैँ।
रविवार को 11.5 मिमी औसत वर्षा दर्ज
विदिशा जिले में आज 11.5 मिमी औसत वर्षा दर्ज हुई है और अब तक 1108.2 मिमी वर्षा दर्ज की जा चुकी है।अधीक्षक भू-अभिलेख श्री राजेशराम ने बताया कि रविवार को पांच तहसीलो में वर्षा दर्ज हुई है। जिसमें सिरोंज में 17.5 मिमी, लटेरी में 38 मिमी, ग्यारसपुर में एक मिमी, नटेरन में दो मिमी और शमशाबाद में 56 मिमी वर्षा दर्ज हुई है अन्य तहसीलो में वर्षा नगण्य रही। को दर्ज हुई है।
मलेरिया, डेंगू व चिकुनगुनिया से बचाव के लिए सलाह
मलेरिया, डेंगू एवं चिकुनगुनिया से बचाव के लिए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एपी सिंह ने कहा है कि मच्छर से फैलने वाले वाहक जनित रोग-मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया जैसी बीमारियों से सुरक्षा के लिए जनभागीदारी व जनजाग्रति का होना आवश्यक है। वर्षाकाल में जगह-जगह एकत्रित पानी में मच्छरों की उत्पत्ति व वृद्धि होती है। ये मच्छर, रोगी व्यक्ति को काटने पर संक्रमित हो जाते हैं व इन संक्रमित मच्छर के काटने से मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया, रोग का प्रसार होता है। इन बीमारियों से ग्रसित रोगी को बुखार सिरदर्द, बदनदर्द, उल्टी आना, ठंड लगना जैसे लक्षण होते हैं जिनका त्वरित उपचार आवश्यक है। मलेरिया रोग एनाफिलीज मच्छर के काटने से फेलता है तथा यह मच्छर रात में सक्रिय रहता है। डेंगू व चिकुनगुनिया रोग, सफेद चकते वाले एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह मच्छर दिन में सक्रिय रहता है। बीमारी फैलाने वाले मच्छर घरों में नमी वाले अंधेरे स्थान में विश्राम करते है एवं साफ व रूके पानी में पनपते हैं जो कि हमारे घरों में व आसपास पानी से भरे पात्र जैसे- गमले, टंकी, टायर, मटके, कूलर, टूटा फूटा कबाड में भरे पानी, नल, हैण्डपंप व कुएं के आसपास भरे पानी में मच्छर अपने अण्डे देते हैं। पानी से भरे बर्तन, टंकियों आदि का पानी सप्ताह में अवश्य बदलते रहें व कुएं, हैण्डपंप, नल के आसपास पानी इकट्ठा न होने दें। गड्ढों का मिट्टी से भराव करें या पानी की निकासी कराकर मच्छरों के उत्पत्ति स्थल को नष्ट करें, व मच्छरों के लार्वा नहीं पनपने दें। मच्छरों से बचाव करें। मच्छरों से बचाव के लिए सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, पूरे आस्तीन के कपडे पहने, मच्छर भगाने वाली क्रीम या क्वाइल का उपयोग करे, नीम की पत्ती का धुंआ करें। कोई भी बुखार मलेरिया, डेंगू, चिकुनगुनिया हो सकता है जिसका इलाज संभव है। किसी भी बीमारी के लक्षण दिखने पर शीघ्र स्वास्थ्य केन्द्र में निःशुल्क जांच करायें तथा चिकित्सक के परामर्श से पूर्ण उपचार लें। मलेरिया की जांच ग्राम स्तर तक आरोग्य केन्द्र व स्वास्थ्य केन्द्रो में निःशुल्क उपलब्ध है।
बटाईदार और भूमिस्वामी के बीच करार की कॉपी तहसीलदार को देना होगी
सामान्य तौर से कृषकों और भू-स्वामियों द्वारा अपनी भूमि अन्य व्यक्तियों को धन या फसल का अंश भूमि स्वामी को देकर खेती के लिए भूमि दे दी जाती है जिसे सामान्य तौर पर बटाई, सिकमी, अन्य स्थानीय नामो से जाना जाता है। तत्संबंध में मध्यप्रदेश भूमि स्वामी एवं बटाईदारो के हित संरक्षण अधिनियम 2016 के अनुरूप भूमि बटाई पर दिए जाने की मान्यता प्रदान की गई है। अधिनियम भूमि स्वामी बटाईदार दोनो के हितो का संरक्षण करता है अब कोई भी भूमि स्वामी अपनी भूमि बटाई पर देने या किसी व्यक्ति द्वारा बटाई पर लेने की वैधानिकता तभी मानी जाएगी जब दोनो पक्षो के द्वारा मध्यप्रदेश भूमि स्वामी बटाईदारो के हित संरक्षण अधिनियम 2016 के नियम चार के तहत अनुबंध निष्पादित किया हो और एक प्रति संबंधित क्षेत्र के तहसीलदार को उपलब्ध कराई हो। कोई भी बटाईदार, भूमि बटाई पर लेकर यदि वह फसल क्षति की देय राहत राशि, बीमा राशि और कृषि उपज का उपार्जन हेतु शासन द्वारा तभी स्वीकार माना जाएगा जब भूमि स्वामी और बटाईदार के मध्य उपरोक्त अधिनियम के अंतर्गत अनुबंध निष्पादित हुआ हो और विधिवत अनुबंध के अभाव में उपरोक्त हित लाभ दिया जाना संभव नही होगा। अतः हितवद्व व्यक्ति उपरोक्त अधिनियम के तहत कार्यवाही करना सुनिश्चित करेंगे।
जन औषधि केन्द्र के लायसेंस के लिये आवेदन https://janaushadhi.gov.in वेबसाइट पर कर सकते है
प्रधानमंत्री जन औषधि परियोजना के अंतर्गत आम लोगों को बाजार से 60 से 70 फीसदी कम कीमत पर दवाइयां मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र खोले जाने हैं। यहां उपलब्ध जेनेरिक दवाइयां ब्रांडेड या फार्मा की दवाइयों के मुकाबले सस्ती होती हैं, जबकि प्रभावशाली उनके बराबर ही होती हैं। जिले के प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र के लिये रिटेल ड्रग सेल्स का लाइसेंस जन औषधि केन्द्र के नाम से लेना होता है। इसे खोलने के लिये आपके पास 120 वर्ग फुट की दुकान होनी चाहिये। यह जगह आपकी स्वयं की हो या आप इसे किराये पर भी ले सकते हैं। इस योजना के तहत विकलांग, दिव्यांग तथा अनुसूचित जाति-जनजाति के आवेदकों को जन औषधि केन्द्र खोलने के लिये सरकार 50 हज़ार रुपये की दवाइयां अग्रिम रूप से प्रदान करेगी। प्रधानमंत्री जन औषधि केन्द्र शुरू करने के लिये कोई भी व्यक्ति आवेदन कर सकता है इसके लिये भारत का नागरिक होने के साथ-साथ किसी अस्पताल, एनजीओ, ट्रस्ट का संचालनकर्ता, डॉक्टर, फार्मासिस्ट होना अनिवार्य है। पेन कार्ड एवं अन्य जरूरी दस्तावेज आपके पास होने आवश्यक हैं। जन औषधि केन्द्र के लायसेंस के लिये आवेदन https://janaushadhi.gov.in वेबसाइट पर कर सकते हैं।
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