समुदाय किसी मुद्दे या समस्या पर अचानक ही संघटित नही होता है! जब समस्या जरूरतें गंभीर हो जाती है तभी समुदाय सामुदायिक तरीके से संघर्ष की राह पकड लेता हैं और संघर्ष एव प्रयत्नशीलता समाज समुदाय मे बदलाव की जरूरत हैं तब एक प्रक्रिया सुरू होती है संगठन का निर्माण मकसद यही तो होता हैं.. संगठन मे हमे सभी सदस्यों का सम्मान करना चाहिए क्योंकि यह लोग अपने जीवन कि प्राथमिकताओं को छोड कर बदलाव और समस्या का लिए सामुदायिक कोशिश करते हैं इसका बेमिसाल उदाहरण वागधारा गठित जनजातीय स्वराज संगठन हैं! राजस्थान के बांसवाडा जिले के आनंदपुरी ब्लॉक के वाग़धारा गठित छाजा जनजातीय स्वराज संगठन के 40 गाँव में बहुआयामी ग्राम विकास का सुनहरा मंजर देखने अनुकरणीय लायक है | इन गांवों में बड़ी संख्या में ग्रामीणों के यह पशुओं के लिए आवासों का निर्माण हुआ है | इससे पशुओं को भीषण गर्मी, सर्दी , एवं बरसात के दिनों में मौसम की मार सहन करते हुए जैसे तैसे जीने की मज़बूरी का अंत हो गया है | इससे पशुओं में बीमारी कम होने के साथ ही इनकी जीवन शक्ति आयु भी बढ़ी है | वाग़धारा के जनजातीय स्वराज संगठन के माध्यम से इस प्रक्षेत्र में सरकार की 15 महिलाओं को केटलशेड निर्माण के लिए 27.75 लाख रूपये मंजूर किये गये जिसमे 1 लाख श्रम प्रति व्यक्ति और 85 हजार सामग्री का प्रावधान किया गया है | छाजा के आदिवासी बहुल क्षेत्र में केटलशेड बनाने की गतिविधि बहुत पसंद की गई है | इन पशु आवासों ने ग्रामीण परिवारों की ढेरों समस्याओं का हल किया है और चिंताओं से मुक्ति दिलाया है | इन्ही में से एक आदिवासी पशुपालक आनंदपुरी पंचायत समिति के अंतर्गत पुचियावाडा गाँव की निवासी श्रीमती लीलादेवी पंकज खाट कहती है कि केटलशेड बनाने की योजना का पता वाग़धारा संस्था के सहजकर्ता कैलाश निनामा ने मुझे बताया और मै सक्षम महिला समूह में सहभागी हुई | इसमें सच्ची खेती, सच्चा स्वराज के बारे में समय – समय पर प्रशिक्षित करके बताया गया है | स्वराज की परिकल्पना उनकी अवधारणा और सच्चे स्वराज के मार्गक्रमण के बारे में अवगत करवाया |
गुरुवार, 24 फ़रवरी 2022
सगठन के सामुदायिक प्रयासो से मवेशियों ने पाया सुकून का आशियाना
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