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गुरुवार, 3 फ़रवरी 2022

विशेष : जानलेवा कैंसर का उपचार कठिन, पर बचाव आसान

कैंसर का नाम किसी भी व्यक्ति में खौफ भरने के लिए काफी है। भला क्यों नहीं, जो इसके लपेटे में आया, बिरले ही उबर पाएं। उसमें युवराज सिंह, मनीषा कोईराला, लीजा रे, मुमताज, अनुराग बसु, सोनाली बेंद्रे, ताहिरा कश्यप जैसे ऐसे नाम है, जिन्होंने कैंसर को मात दी है। इसकी बड़ी वजह समय पर जानकारी व इलाज रहा। मतलब साफ है कैंसर बीमारी का पता अगर जल्दी लग जाए तो इससे बचा जा सकता है। या यूं कहे कैंसर का उपचार कठिन है परंतु बचाव आसान है इसलिए कुछ सावधनियां अपनाकर इससे बचा जा सकता है। अर्ली स्टेज में कैंसर को मात दिया जा सकता है। कैंसर बीमारी इतनी घातक है कि इन बीमारी के नाम मात्र से ही इंसान टूट जाता है। सिर्फ अकेला कैंसर पीड़ित ही नही बल्कि पूरा परिवार पीड़ित के साथ दुख और तकलीफें सहता है। इसकी गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि दुनियाभर में हर साल इस बीमारी से करोड़ों लोग ग्रसित होते हैं और लगभग एक करोड़ लोगों की असमय मौत हो जाती है। भारत मे इसकी गंभीरता का अनुमान इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि प्रतिवर्ष लगभग आठ लाख महिलाएं और सात लाख पुरुष इससे ग्रसित हो जाते हैं जिसमें से लगभग आधे मौत का शिकार हो जाते हैं। इस साल यानी 2022 में वर्ल्ड कैंसर डे की थीम ’क्लोज द केयर गैप’ है, जो दुनियाभर के लोगों के लिए अपने आप में एक महत्वपूर्ण संदेश भी है 


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आज की भागदौड़ भरी जिंदगी ऐसी हो गई है कि इंसान को कब कौन सी बीमारी लग जाए कहा नहीं जा सकता। बदलते समय में एक के बाद एक बीमारियों सामने आ रही हैं जो लोगों को डरा रही हैं। साल 2020 व 21 में कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। इन्हीं भयंकर बीमारी में से एक है कैंसर। दुनिया कि सभी बीमारियों में कैंसर सबसे खतरनाक है। कहते हैं इस बीमारी का नाम सुनते ही आधे लोग पहले ही मर जाते हैं। कैंसर एक खौफनाक शब्द है, जिसका असर केवल मरीज पर ही नहीं होता है बल्कि ये मरीज के परिवारों वालों को भी तहस-नहस कर देता है। आज भी बीमारियों से होने वाली मौत का सबसे बड़ा कारण कैंसर है। हर साल 4 फरवरी को इस जानलेवा बीमारी के खिलाफ जागरुकता के लिए ’विश्व कैंसर दिवस’ बनाया जाता है। मकसद है इस जानलेवा बीमारी के प्रति लोगों को जागरुक करना। क्योंकि अगर बीमारी से पहले इसके गंभीरता को जो समझ गए वे बच सकते है। युवराज सिंह, मनीषा कोईराला, लीजा रे, मुमताज, अनुराग बसु, सोनाली बेंद्रे, ताहिरा कश्यप जैसे ऐसे नाम है, जिन्होंने अपने दम पर न सिर्फ कैंसर जैसी बीमारी पर जीत दर्ज की बल्कि मौत को भी मात दी और लोगों के सामने मिसाल पेश की है कि अगर आपकी इच्छाशक्ति मजबूत हो तो आप हर मुसीबत का सामना कर सकते हैं।  विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पिछले दो दशकों में कैंसर डायग्नोस होने वाले लोगों की तादाद में लगभग दोगुनी बढ़ोतरी हुई है। साल 2000 में कैंसर के अनुमानित एक करोड़ मामले सामने आए थे, जो साल 2021 में 1 करोड़ 99 लाख हो गए। आज ऐसा अनुमान है कि दुनिया भर में हर 5 में से 1 व्यक्ति को कैंसर होगा। अनुमान ये भी बताते हैं कि कैंसर से पीड़ित लोगों की संख्या आने वाले वर्षों में और बढ़ेगी, और 2020 की तुलना में 2040 में लगभग 50 फीसदी अधिक होगी। नेशनल हेल्थ प्रोफाइल 2019 के मुताबिक, साल 2017 से 2018 के बीच कैंसर के मामले 324 फीसदी बढ़ गए। इसमें मुंह का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर जैसे मामले शामिल हैं। नेशनल कैंसर रेजिस्ट्री प्रोग्राम के अनुसार भारत में हर दिन कैंसर की वजह से करीब 1300 लोगों की मौत हो जाती है। पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस बीमारी से ज्यादा ग्रसित होती है। एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में हर सातवीं महिला कैंसर की वजह से मौत को गले लगा रही है। रिसर्च के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2030 तक कैंसर की वजह से तकरीबन 55 लाख महिलाओं की मौत हो जाएंगी। रिपोर्ट के अनुसार वर्तमान में इंडिया, दक्षिण अफ्रीका और मंगोलिया जैसे देशों में स्तन कैंसर का पता लगने के बाद भी 50 फीसदी महिलाएं मौत की शिकार हो जाती हैं। जबकि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और जर्मनी जैसे 34 विकसित देशों में कैंसर की पहचान के बाद 80 फीसदी महिलाओं का सफल इलाज हो जाता है। 


फर्स्ट स्टेज से पहले शरीर देता है संकेत 

कैंसर के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि कैंसर कहां है, कितना बड़ा है और यह आस-पास के अंगों या ऊतकों को कितना प्रभावित करता है। यदि कैंसर फैल गया है, तो शरीर के विभिन्न हिस्सों में लक्षण या लक्षण दिखाई दे सकते हैं। होपकिंस मेडिसिन की रिपोर्ट के अनुसार, कैंसर कई तरह के होते हैं और कोई भी कैंसर जब बढ़ता है, तो वो आसपास के अंगों, रक्त वाहिकाओं और तंत्रिकाओं पर जोर देना शुरू कर सकता है। यह दबाव कैंसर के कुछ लक्षणों और संकेतों का कारण बनता है। कैंसर की शुरुआत लक्षण पहचानकर आप जल्दी और सफल इलाज करा सकते हैं। ध्यान रहे कि इन लक्षणों का मतलब यह नहीं है कि आपको कैंसर ही हो। लेकिन सुरक्षित रहने के लिए इन पांच लक्षणों और संकेतों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें। 


कैंसर के लक्षण 

अचानक से वजन घटना 

लंबे समय तक थकान या कमजोरी महसूस होना

शरीर के किसी भी हिस्से पर गांठ बनना

सीने में दर्द रहना

लंबे समय तक खांसी होना और खांसने पर थूक में खून आना 

कूल्हे या पेट की नीचे वाले भाग में दर्द रहना

शरीर के किसी भी पार्ट से से खून बहना

पीरियड्स के समय अत्याधिक दर्द और ब्लीडिंग होना या पीरियड खत्म होने के बाद भी ब्लीडिंग होना

गला बैठना या घोंटने में दिक्कत होना

एनीमिया या खून की कमी हो जाना

बार-बार बुखार आना और दवा करने के बाद भी बुखार ठीक ना होना

पेशाब में खून आना

त्वचा में किसी तरह का बदलाव 

कैंसर से बचाव 

लक्षणों पर ध्यान दें और नियमित रूप से जांच करवाएं। किसी भी प्रकार की तंबाकू का उपयोग करने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। तंबाकू के सेवन से बचना या रोकना कैंसर की रोकथाम में सबसे महत्वपूर्ण कदम है। नल के पानी को अच्छी तरह से छान लें, क्योंकि यह संभव कार्सिनोजेन्स और हार्मोन-विघटनकारी रसायनों के आपके जोखिम को कम कर सकता है। बहुत सारा पानी और अन्य तरल पदार्थ पीने से मूत्राशय के कैंसर के खतरे को कम करने में मदद मिल सकती है, जिससे मूत्र में कैंसर पैदा करने वाले एजेंटों की एकाग्रता कम हो जाती है और मूत्राशय के माध्यम से उन्हें तेजी से प्रवाहित करने में मदद मिलती है। सबसे महत्वपूर्ण है कि जीवनशैली में बदलाव करें, जैसे कि स्वस्थ आहार लेना और नियमित व्यायाम करना। फल और सब्जियां एंटीऑक्सिडेंट से भरपूर होती हैं जो बीमारियों को दूर करने में मदद कर सकती हैं। 


कैंसर दूर भगाने के उपाय 

विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार 30-50 प्रतिशत कैंसर अगर समय रहते पता चल जाए और उसका पर्याप्त उपचार किया जाए तो उसे ठीक किया जा सकता है। पैक्ड फूड में एंटीऑक्सिडेंट काफी कम होते हैं। ताजे फल, सब्जियों और दालों में इनकी मात्रा ज्यादा होती है। इसलिए डॅाक्टर भी खाने में ज्यादा एंटीऑक्सिडेंट्स के इस्तेमाल की सलाह देते है। इसलिए पैक्ड फूड से करें परहेज करे। लाल मांस या रेड मीट के सेवन से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। रेड मीट में मौजूद आयरन उन यौगिकों का उत्पादन कर सकता है जो कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं, जिससे कैंसर हो सकता है। हाई ग्लाइसेमिक इंडेक्स (जीआई) वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से कैंसर बढ़ता है। इसलिए रिफाइंड आटे, फलों के रस, कोल्ड डिं्रक्स आदि से बचना सबसे अच्छा है। एसिडिक ऐसिड की मात्रा बढ़ने से कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। आहार में फलों और सब्जियों का प्रयोग का बढ़ाकर इस खतरे को कम किया जा सकता है। शराब का सेवन न करें, रेडिएशन के संपर्क में आने से बचें, फाइबर युक्त डाइट लें, धूम्रपान करने से बचें, डाइट में अधिक फैट न लें, शरीर का सामान्य वजन बनाए रखें। 


तीन लाख बच्चों की हर साल कैंसर से मौत

कैंसर बच्चों में बहुत बड़ा मृत्यु कारक है। गौरतलब है कि निम्न व माध्यम वर्गीय देशों में कैंसर से पीड़ित बच्चों की मृत्यु दर 80 प्रतिशत है। जबकि विकसित देशों में कैंसर से पीड़ित 80 प्रतिशत बच्चों का जीवन बच जाता है। इसलिए इस असमानता को कम करने की जरूरत है।लिवर कैंसर का खतरा ज्यादा  दुनिया भर में लिवर कैंसर की वजह से सबसे ज्यादा मौत होती है। वैसे तो इस कैंसर के पीछे कई वजहें जिम्मेदार होती हैं लेकिन गलत खानपान की वजह से ये बीमारी तेजी से बढ़ती है। आमतौर पर इसकी शुरुआत बहुत ज्यादा जंक फूड की वजह से होती है। जंक फूड सेहत के लिए अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि इसमें कोई भी पोषक तत्व नहीं होते हैं। बेंगलुरु के मणिपाल हॉस्पिटल के लीड कंसल्टेंट डॉक्टर राजीव लोचन के मुताबिक ’लिवर कैंसर का सबसे आम रूप हेपैटोसेलुलर कार्सिनोमा और इंट्राहेपेटिक कोलेंजियोकार्सिनोमा (पित्त नली का कैंसर) है और इसकी वजह से हेपेटिक एडेनोमा और फोकल नोड्यूलर हाइपरप्लासिया जैसे लिवर ट्यूमर हो सकते हैं। इसके प्रमुख कारणों में हेपेटाइटिस ठ और ब वायरल संक्रमण, सिरोसिस, आर्सेनिक से दूषित पानी, मोटापा, डायबिटीज और अधिक शराब का सेवन शामिल हैं।’ ये सारी चीजें फैटी लीवर भी बनाती हैं जिससे आगे चलकर कैंसर हो जाता है। फैटी लीवर आमतौर पर मोटे लोगों, डायबिटीज की बीमारी और हाई लिपिड प्रोफाइल वाले लोगों में होता है। खाने की खराब आदतें, खासतौर से फैट और शुगर से भरपूर आहार फैटी लीवर को बढ़ावा देता है। जिन लोगों का मेटाबॉलिज्म खराब होता है, उनमें ये ट्यूमर में बदल सकता है। 


जंक फूड से लिवर कैंसर का खतरा 

आजकल जंक फूड लोगों के लाइफस्टाइल का एक नियमित हिस्सा बन गया है। ये सभी फास्ट फूड न केवल मोटापे ढ़ाते हैं बल्कि आपके लीवर को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इससे सिरोसिस हो सकता है और लीवर कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि जंक फूड का मतलब है आप जो कुछ खा रहे हैं वो ठीक से पकाया नहीं गया है या फिर इसमें हाइड्रोकार्बन है। इसमें कुछ ऐसे केमिकल होते हैं जो कार्सिनोजेनिक यानी कैंसरकारक पदार्थ होते हैं। हमारी आंत में अच्छे और खराब दोनों तरह के बैक्टीरिया होते हैं। ज्यादा जंक फूड खराब बैक्टीरिया को बढ़ाने का काम करते हैं और इसकी वजह से कैंसर भी हो सकता है। डॉक्टर्स का कहना है कि खराब लाइफस्टाइल, ज्यादा कैलोरी वाले फूड, हाई कार्बोहाइड्रेट वाले फूड, सोडा डिं्रक्स और एक्सरसाइज की कमी से लोगों को लिवर से जुड़ी दिक्कतें हो रही हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार किसी भी रूप में जंक फूड लेने से बचना चाहिए और स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त मात्रा में ज्यादा प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट फैट वाली हेल्दी चीजें लेनी चाहिए। इसके अलावा अपने कोलेस्ट्रॉल लेवल को हमेशा ठीक रखने की कोशिश करें। 


कई तरह के होते हैं कैंसर

आमतौर पर कैंसर कई तरह के होते हैं। कैंसर के प्रकार की बात करें तो ये 100 से ज्यादा होते हैं। लेकिन सबसे आम स्किन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, लंग कैंसर, प्रोस्टेट कैंसर, कोलोरेक्टल कैंसर, ब्लैडर कैंसर, मेलानोमा, लिम्फोमा, किडनी कैंसर स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, पेट का कैंसर, ब्लड कैंसर, गले का कैंसर, गर्भाशय का कैंसर, अंडाशय का कैंसर, प्रोस्टेट (पौरुष ग्रंथि) कैंसर, मस्तिष्क का कैंसर, लिवर (यकृत) कैंसर, बोन कैंसर, मुंह का कैंसर और फेफड़ों का कैंसर शामिल है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत में प्रमुख तीन प्रकार के कैंसर सर्वाधिक है। इसमें मुंह, बच्चेदानी और स्तन कैंसर प्रमुख हैं। 


कैंसर की स्टेज

आमतौर पर कैंसर की चार मुख्य स्टेज होती हैं। पहली और दूसरी स्टेज में कैंसर का ट्यूमर छोटा होता है या कैंसर सीमित जगह पर होता है। इस स्टेज में कैंसर गहराई में नहीं फैलता। तीसरी स्टेज में कैंसर फैलने लगता है। ट्यूमर का आकार भी बढ़ सकता है या फिर कई ट्यूमर हो सकते हैं। शरीर के बाकी के अंगों में इसके फैलने की संभावना बढ़ जाती है। चौथी और आखिरी स्टेज में कैंसर अपने शुरुआती हिस्से से अन्य अंगों में फैल जाता है, जिसे मेटास्टेटिक कैंसर कहा जाता है।  


लंबा चलता है इलाज

किसी को भी कैंसर की बीमारी होती है, उसका इलाज काफी लंबा चलता है। इसके लिए कई लोगों को तो विदेश तक जाना पड़ता है. बड़े-बड़े अस्पतालों की महंगी फीस देने के बाद भी कई लोग बच नहीं पाते. कई दवाओं से लेकर लंबा इलाज इस बीमारी में चलता है.


कैंसर होने की वजह

लम्बे समय तक तंबाकू या गुटखे का सेवन करना, सिगरेट पीना, शराब पीना, लंबे समय तक रेडिएशन के संपर्क में रहना, आनुवंशिक दोष होना, शारीरिक निष्क्रियता, खराब पोषण एवं कभी-कभी मोटापा भी कैंसर होने की वजह बन सकता है। 


बेहतर हो रही इलाज व्यवस्था 

पिछले कुछ सालों में कैंसर के इलाज में महत्वपूर्ण बदलाव आए हैं। आज के समय में कैंसर के लिए बेहतर जांच और इलाज उपलब्ध हैं, जिनकी बदौलत मरीज पहले से कहीं अधिक समय तक जीवित रह रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि नियमित जांच कराने से बीमारियां जल्दी पकड़ में आती हैं और उनका इलाज आसान हो जाता है। 


कैसे होता ब्रेन ट्यूमर 

ब्रेन ट्यूमर का सही कारण बता पाना मुश्किल है. हालांकि ब्रेन ट्यूमर के अधिकांस मरीजों में जान का जोखिम नहीं होता है. केवल कुछ घटनाओं में ही यह खतरनाक होता है. -ब्रेन ट्यूमर को लेकर ऐसा देखा गया है कि यह बढ़ती उम्र के साथ बढ़ता जाता है. - रेडिएशन के साथ ब्रेन ट्यूमर का खतरा बढ़ जाता है. विशेष रूप से बच्चों में इस बीमारी का खतरा बढ़ने की संभावना अधिक होती है. -ब्रेन ट्यूमर का खतरा अनुवांशिक होता है. परिवार में किसी व्यक्ति को अगर यह बीमारी हुई है तो आने वाले लोगों में इस बीमारी का खतरा अधिक होता है. -ब्रेन ट्यूमर होने के अन्य कारणों में मोबाइल फोन रेडिएशन, हार्मोनल फैक्टर, कम फ्रीक्येंसी वाली चंबकीय क्षेत्र और औद्योगिक इलाकों में इसका खतरा अधिक रहता है.


महामना टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, वाराणसी 

होमी भाभा कैंसर अस्पताल, वाराणसी साल 2018 से अपनी सेवाएं दे रहा है, इस अस्पताल की 179 बेड की कैपेसिटी है। जबकि वाराणसी में दूसरे कैंसर अस्पताल का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 19 फरवरी 2019 को किया। महामना पंडित मदन मोहन मालवीय कैंसर सेंटर की बेड कैपेसिटी 350 है। कैंसर के इलाज के लिए टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई में लगभग 25 फीसदी कैंसर रोगी उत्तर प्रदेश के हैं। अनुमान है कि उत्तर प्रदेश में हर साल लगभग 1.5 लाख नए कैंसर के मामले होंगे। इस प्रकार यूपी के वाराणसी में अत्याधुनिक कैंसर केंद्रों की आवश्यकता थी। ये कैंसर केंद्र मध्य प्रदेश, झारखंड और बिहार के आसपास के क्षेत्रों को भी पूरा करेंगे। यहां पूर्वांचल के कोने कोने से कैंसर पेशेंट्स अपना इलाज कराने के लिए आते हैं। 




--सुरेश गाँधी--

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