हिंसा और अराजकता की मानसिकता का विरोध करें: मोदी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 30 मार्च 2022

हिंसा और अराजकता की मानसिकता का विरोध करें: मोदी

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नयी दिल्ली, 29 मार्च, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए लोगों से समाज में हिंसा और अराजकता की मानसिकता का विरोध करने को कहा। श्री मोदी ने हरिचंद ठाकुर जी की 211वीं जयंती के अवसर पर प्रदेश के श्रीधाम ठाकुरनगर में वर्चुअल रूप से मतुआ धर्म महा मेले को संबोधित करते हुए कहा कि राजनीतिक विरोध के कारण हिंसा की धमकी देना दूसरों के अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा,"राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार है। लेकिन राजनीतिक विरोध के चलते अगर कोई हमें हिंसा की धमकी देकर रोकता है तो यह दूसरे के अधिकारों का हनन है। इसलिए समाज में कहीं भी हिंसा और अराजकता की मानसिकता का विरोध करना हमारा कर्तव्य है।' प्रधानमंत्री परोक्ष रूप से पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में 21 मार्च की घटना का जिक्र कर रहे थे, जिसमें सोमवार को मृतकों की संख्या बढ़कर नौ हो गई। प्रधानमंत्री ने कहा,"आज जब हम स्वार्थ के लिए खून-खराबा देखते हैं। जब समाज को बांटने का प्रयास होता है, भाषा और क्षेत्र के आधार पर भेदभाव करने की प्रवृत्ति को देखते हैं तो श्री श्री हरिचंद ठाकुर जी का दर्शन और भी महत्वपूर्ण हो जाता है।" प्रधानमंत्री ने मतुआ समुदाय से आग्रह किया कि अगर कहीं किसी को प्रताड़ित किया जाता है तो वह आवाज उठाएं। श्री मोदी ने कहा,"आज मैं मतुआ समाज के सभी दोस्तों से भी एक निवेदन करना चाहूंगा। व्यवस्था से भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए, आपको समाज में जागरूकता को और बढ़ाना होगा। अगर किसी को कहीं भी परेशान किया जाता है तो अपनी आवाज जरूर उठाएं। यह हमारा समाज और राष्ट्र के प्रति कर्तव्य है।' उन्होंने कहा कि मतुआ धर्म महा मेला भी एक भारत श्रेष्ठ भारत के मूल्यों को मजबूत करने वाला है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता महान है क्योंकि इसमें निरंतरता और प्रवाह है। उन्होंने कहा, "यह एक नदी की तरह है जो आगे बढ़ती रहती है। इस संस्कृति की महानता का श्रेय हरिचंद ठाकुरजी जैसे सुधारकों को दिया जा सकता है।" हरिचंद ठाकुर जी ने स्वतंत्रता से पहले अविभाजित बंगाल में उत्पीड़ित, दलित और वंचित लोगों की भलाई के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय ने कहा कि उनके द्वारा शुरू किया गया सामाजिक और धार्मिक आंदोलन 1860 में ओरकांडी (अब बांग्लादेश में) से शुरू हुआ और मतुआ धर्म का गठन हुआ।

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