पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के नेताओं ने ‘‘अंतिम गेंद तक लड़ने के लिए’’ ट्वीट कर खान की प्रशंसा की। पाकिस्तानी सीनेटर फैसल जावेद ने खान के प्रधानमंत्री आवास से जाने का समाचार साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘‘प्रधानमंत्री को अभी प्रधानमंत्री आवास से जाते हुए देखा। वह शालीनता के साथ बाहर आए और किसी के आगे झुके नहीं।’’ फैसल ने उन्हें ‘‘पाकिस्तान खान’’ के नाम से संबोधित करते हुए कहा, ‘‘उन्होंने पूरे देश का उत्थान किया। उनके जैसा नेता पाकर मैं धन्य महसूस कर रहा हूं और मुझे अपने पाकिस्तानी होने पर गर्व है।’’ देश के पूर्व वित्त एवं स्वास्थ्य मंत्री तैमूर खान झागरा ने कहा कि जंग में हारना मायने नहीं रखता। उन्होंने कहा, ‘‘जैसा कि हम चाहते थे, पाकिस्तान के लिए जंग जीतना मायने रखता है। भले ही कितना भी समय लगे, जंग जारी रहेगी। इंशाअल्लाह।’’ देश के पूर्व योजना मंत्री असद उमर ने कहा, ‘‘पिछले तीन साल से अधिक समय से मैंने इमरान खान को देश की भलाई के लिए अथक कार्य करते देखा है।’’ पाकिस्तान के पूर्व ऊर्जा मंत्री हम्माद अजहर ने कहा कि ‘‘बहादुर’’ नेता खान के आह्वान पर ईशा की नमाज के बाद पूरे पाकिस्तान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया। देश के पूर्व सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने खान को पद से हटाए जाने को पाकिस्तान के लिए दु:खद दिन बताया और कहा कि ‘‘लुटेरे’’ फिर से लौट आएंगे और एक अच्छे व्यक्ति को घर भेज दिया गया। पाकिस्तान की पूर्व मानवाधिकार मंत्री शिरीन मजारी ने कहा कि यह ‘‘लोकतंत्र के लिए यह एक दु:खद दिन है, जब एक भ्रष्ट राजनीतिक माफिया और अन्य घरेलू प्रभावशाली लोगों की मदद से तथा संसद की सर्वोच्चता नष्ट करने वाले एक न्यायिक तख्तापलट के कारण अमेरिकी शासन जीत गया।’’ खान ने अपने खिलाफ अविश्वास पत्र के लिए ‘‘विदेशी षड्यंत्र’’ को जिम्मेदार ठहराया है।
इस्लामाबाद, 10 अप्रैल, अविश्वास प्रस्ताव के जरिए इमरान खान को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने के बाद उनकी पार्टी के शीर्ष नेताओं ने उनके साथ मिलकर लड़ने का रविवार को संकल्प लिया। साथ ही, ‘‘नहीं झुकने’’ और ‘‘शालीनता के साथ’’ प्रधानमंत्री आवास से बाहर जाने के लिए खान की प्रशंसा की। खान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान को रोकने के सरकार के प्रयासों के बावजूद संयुक्त विपक्ष उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय से अपदस्थ करने के प्रयास में सफल रहा। देश की 342 सदस्यीय ‘नेशनल असेम्बली के 174 सदस्यों ने उनके खिलाफ मतदान किया। इस तरह, खान देश के इतिहास में ऐसे पहले प्रधानमंत्री बन गए हैं, जिन्हें सदन का विश्वास खोने के बाद पद छोड़ना पड़ा है।
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