तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, झारखंड ने हवाईअड्डों के निजीकरण पर राजस्व में हिस्सा मांगा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

सोमवार, 25 अप्रैल 2022

तमिलनाडु, छत्तीसगढ़, झारखंड ने हवाईअड्डों के निजीकरण पर राजस्व में हिस्सा मांगा

state-demand-stake-in-airport-privatisation
नयी दिल्ली, 25 अप्रैल, छत्तीसगढ़ और झारखंड ने भी तमिलनाडु के इस रुख का समर्थन किया है कि जब भी केंद्र सरकार किसी राज्य में किसी हवाईअड्डे का निजीकरण करे, तो राज्य सरकार को भी राजस्व में हिस्सा मिलना चाहिए। इस महीने की शुरुआत में जारी एक नीति नोट में, तमिलनाडु ने कहा कि अगर राज्य सरकार केंद्र द्वारा संचालित भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) को मुफ्त में जमीन का आवंटन और हस्तांतरण करती है और अगर एएआई या केंद्र उस जमीन को तीसरे पक्ष को सौंपता है तो उससे अर्जित राजस्व को राज्य सरकार के साथ साझा किया जाना चाहिए। एएआई के बोर्ड ने पिछले साल सितंबर में तमिलनाडु के त्रिची और छत्तीसगढ़ के रायपुर सहित 13 हवाईअड्डों के निजीकरण को मंजूरी दी थी। छत्तीसगढ़ के पंचायत और ग्रामीण विकास, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और वाणिज्यिक कर मंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि भूमि राज्य का संसाधन है और जब राज्य और केंद्र एक परियोजना विकसित करने के लिए साथ काम करते हैं तो राज्य सरकार की उसमें अंशधारक के तौर पर पूंजी लगी होती है, क्योंकि भूमि राज्य सरकार की होती है। उन्होंने कहा, “जब तक यह सरकारी क्षेत्र में है तो भारत सरकार जो भी राजस्व कमा रही होगी और इसका अप्रत्यक्ष प्रभाव राज्य सरकार पर भी पड़ेगा और जनता को लाभ होगा, इसलिए वह ठीक है।” सिंह देव ने कहा, “अब जब आप इसे किसी तीसरी संस्था को बेच रहे हैं जो एक निजी पक्ष है, तो आप कंपनी की संपत्ति बेच रहे हैं, जिसमें बुनियादी ढांचे के अलावा जमीन भी शामिल है। इसलिए राज्य सरकार को जमीन का मूल्य दिया जाए।” उन्होंने कहा कि जब बिक्री की बात आती है तो बिक्री पूरी संपत्ति के मूल्यांकन के माध्यम से होगी, जिसमें भूमि का बिक्री मूल्य शामिल होगा तथा राज्य को उसका हिस्सा मिलना चाहिए। सिंहदेव ने कहा, ‘‘जब आप एक संयुक्त उद्यम में होते हैं तो भारत सरकार बुनियादी ढांचे के मामले में पूंजी लगाती है और राज्य सरकार अपनी पूंजी के तौर पर भूमि देती है।” उन्होंने कहा कि जब ऐसे उद्यम को तीसरे पक्ष और वह भी निजी कंपनी को बेचा जाता है तो भूमि का मूल्य राज्य सरकार को दिया जाना चाहिए। पिछले साल जारी राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) के मुताबिक, एएआई द्वारा संचालित 25 हवाईअड्डों के संपत्ति मौद्रीकरण का निर्णय लिया गया था, जिनमें भुवनेश्वर, वाराणसी, अमृतसर, त्रिची, इंदौर, रायपुर, कालीकट, कोयंबटूर, नागपुर, पटना, मदुरै, सूरत, रांची जोधपुर, चेन्नई, विजयवाड़ा, वडोदरा, भोपाल, तिरुपति, हुबली, इंफाल, अगरतला, उदयपुर, देहरादून और राजमुंदरी शामिल हैं। तमिलनाडु की मांग के बारे में पूछे जाने पर झारखंड के वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने पीटीआई-भाषा से कहा, 'मैं (तमिलनाडु सरकार से) सहमत हूं। जमीन राज्य की (होती) है।’' उन्होंने कहा, “ जब यह केंद्र सरकार के अधीन है, तो हमें कोई समस्या नहीं है। हम जमीन, पानी और अन्य संसाधन देते हैं, लेकिन अगर केंद्र सरकार इसे निजी पक्षों को सौंप रही है, तो राजस्व को राज्य सरकार के साथ साझा किया जाना चाहिए। इस संबंध में सिर्फ झारखंड ही नहीं, बल्कि सभी राज्यों के लिए नीति बनाई जाए।” नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अभी इस मामले पर आधिकारिक रूप से टिप्पणी नहीं की है, जबकि उसके अधिकारियों ने बताया कि इस मामले में निर्णय सरकार के उच्च स्तर पर लिया जाएगा। केंद्र ने 2019 में सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल के माध्यम से संचालन, प्रबंधन और विकास के लिए लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, मंगलुरु, तिरुवनंतपुरम और गुवाहाटी के हवाईअड्डों का निजीकरण किया था। अडाणी समूह ने सभी छह हवाईअड्डों के संचालन की बोली जीती थी।

कोई टिप्पणी नहीं: