आदिवासियों जंगल से बेदखल जंगल असुरक्षित : डॉ.रन सिंह परमार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 9 मई 2022

आदिवासियों जंगल से बेदखल जंगल असुरक्षित : डॉ.रन सिंह परमार

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धार.एकता परिषद के द्वारा गांव-गांव में ‘जन  चौपाल  ‘ चलाने का संकल्प लेने के साथ ही दो दिवसीय मुखिया प्रशिक्षण शिविर का समापन हो गया.शिविर के द्वितीय दिन एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार जी प्रशिक्षण स्थल पर आए. इस अवसर पर एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार  जी ने कहा कि मध्य प्रदेश में जंगल में मंगल करने वाले शांतचित अनुसूचित जनजाति समुदाय को सुनियोजित ढंग से जंगल से बेदखल किये जा रहे हैं. अगर अनुसूचित जनजाति समुदाय में नहीं रहेंगे तो  जंगल भी असुरक्षित हो जाएगा. क्योंकि जंगल है तो आदिवासी है व उनकी संस्कृति है. उन्होंने कहा कि इन दिनों बहुत तेजी से आदिवासी संस्कृति व पहचान विलुप्त होती जा रही हैं! इसलिए आदिवासी अस्मिता को जिन्दा रखना होगा तो प्राकृतिक संसाधनों जल,जंगल व जमीन पर उनका अधिकार सुनिश्चित करना ही होगा ताकि सम्मानित तरीके से अपनी आजीविका चला सके. आगे एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रनसिह परमार  जी ने यह घोषणा करते हुए कहा कि जिस प्रकार सरकार द्वारा राज्य स्तरीय वन अधिकार का सम्मेलन किया. वैसे ही ब्लाक व जिला स्तरीय वन अधिकार समितियों का तात्कालिक बैठक करना चाहिए.अगर सरकार वन अधिकार पर कोई कार्यवाही नहीं करती है, तो जन संगठन एकता परिषद गांव -गांव मे जन चौपाल चलाएंगे.जन चौपाल में ग्रामीण मुखियाओं के माध्यम से व्यक्तिगत व सामुदायिक दावे पर पेसा कानून के अंतर्गत पंचायती राज व्यवस्था के तहत ग्राम सभा को सक्रिय करना होगा.  इस बीच एकता परिषद द्वारा संचालित मुखिया प्रशिक्षण शिविर में जय जगत.. जय जगत..पुकारे जा... सारे अमन पे वारे जा.. सबके हित के वास्ते.... अपना सुख बिसारे जा.. इस सामूहिक गीत कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं द्वारा पेश करने से शिविरार्थी झूम कर गीत गाए.इस गीत को गाने के बाद काफी जोश में आकर  साथ...आमु आखा... एक ...छे का नारा बुलंदी के साथ लगाने लगे.  इस प्रशिक्षण शिविर का संचालन करते हुए श्रद्धा बहन ने बताया कि एकता परिषद जन संगठन पिछले 40 वर्षों से जल, जंगल  व जमीन पर लोगों के हक अधिकार के लिए शासन - प्रशासन व जनप्रतिनिधियों से लगातार संवाद स्थापित कर यह प्रयासरत है कि जो गरीब भूमिहिनों के लिए वन अधिकार कानून बना है उसके अंतर्गत वंचितों को उसका हक प्राप्त हो सके, ताकि इस क्षेत्र से हो रहे आदिवासी जनजातियो का पलायन रोका जा सके और अपनी आजीविका के लिए दर -दर की ठोकरें नही खानी पड़े.


इस प्रशिक्षण शिविर में सहभागी मुखियाओं द्वारा भी अपनी बात रखी गई.जिसमें मुख्य रूप से बाग क्षेत्र के ग्राम पिपरानी के सक्रिय मुखिया श्री जुलाम सिंह ने बताया कि हमें हमारी हक के लिये खुद आगे होकर संघर्ष करना होगा.उन्होंने कहा कि सच्ची बात के लिए हमें किसी से डरकर नहीं रहना है.हम जितना डरते है उतने ही  हमें  दबाया जाता है.कानून सबके लिए बराबर है. हमे जागरुक व संगठित होना पड़ेगा. मौके पर  ग्राम घोड़ा के मेहर सिंह ने बोले कि हम पीड़ित जंगल की जमीन पर खेती कर फसल उगाते आ रहे हैं.  हमने दावे फार्म भरकर वनमित्र पोर्टल में नाम आने बाद भी अभी तक पट्टा नहीं मिल पाया है. ग्राम अखाड़ा से गंगा बाई ने बताया कि हम भूमिहीन परिवार है मेरे ससुर द्वारा वनभूमि   पर खेती  व मजदूरी कर  अपने परिवार का पालन पोषन कर रहे है. 4/5 वर्षो से दावा दाखिल पंचायत व जनपद में जमा किया गया, परन्तु आज तक कोई कार्यवाही नहीं हो रही है.  सरदारपुर क्षेत्र के इन्सुर से आये सुमित सिंह ने वनाधिकार पट्टे देने मे आ रही परेशानी का सामना करना पड रहा है. हमने पंचायत से लेकर जनपद व जिला कलेक्टर पर जनसुनवाई में देने के बावजूद भी कोई सुनवाई नहीं हो रही हैं. इन तमाम परेशानियों को ग्राम केरिया  से आये बाबू भाई व जमुना बाई द्वारा शिविर के समापन मे एकता परिषद अध्यक्ष श्री रनसिह परमार जी, संगठन महासचिव श्री अनीश कुमार जी उपाध्यक्ष सुश्री श्रद्धा कश्यप जी  का फुलमाला व तिलक कर स्वागत किया और इस दो दिवसीय शिविर मे उपस्थित ग्रामीण मुखियाओं व अतिथियो का आभार व्यक्त करते हुए गांव में मजबूत संगठन बनाने की अपील करते हुए कार्यक्रम की घोषणा किया गया.इस कार्यक्रम संचालन व्यवस्था में लगे जिला समन्वयक वसिम खान कार्यकर्ता  संजू बघेल, कालू सिंह, कमल सिंह, विजय सिंह,बिलू सिंह व रामू सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही. 

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