भारतीय खुश रहना भूल रहे हैं: आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा • - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 10 मई 2022

भारतीय खुश रहना भूल रहे हैं: आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा •

  • स्वास्थ्य अमृत मंथन शिविर में वक्ताओं ने सुझाए स्वस्थ एवं खुश रहने का मार्ग
  • स्वस्थ भारत न्यास के सातवें स्थापना दिवस पर पर आयोजित हुआ दो दिवसीय स्वास्थ्य अमृत मंथन शिविर

guru-pawan-sinha
नई दिल्ली/गाजियाबाद, स्वस्थ भारत (न्यास) के 7वें  स्थापना दिवस के अवसर पर न्यास ने दो दिवसीय स्वास्थ्य अमृत मंथन शिविर का आयोजन मेवाड़ इंस्टिट्यूट, गाजियाबाद में किया। उद्घाटन सत्र में पावन चिंतन धारा के प्रणेता एवं आध्यात्मिक गुरु श्री पवन सिन्हा ने शारीरिक स्वस्थ और मानसिक स्वास्थ्य पर जोर देते हुए कहा कि, ‘अपने 20 साल के अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि मानव मन अगर स्वस्थ है तो मनुष्य अपने आप खुश रहता है। अच्छा जीवन जीता है। यदि इंसान मन से परेशान हैं तो फिर शारीरिक स्वास्थ्य खराब हो जाएगा और जीवन में निराशा का वास होगा। मानसिक बीमारी जैसे अवसाद और तनाव से कई शारीरिक बीमारियों का जन्म होता है जैसे दमा, स्पेनडोलेटिस, कमर दर्द, नसों की समस्या। इस तरह की शारीरिक व्याधी का कारण मानसिक सेहत का बिगड़ना ही है।’ उन्होंने आगे कहा कि, ‘अगर मानसिक समस्या से निजाद पाना है तो नृत्य, संगीत, और वादन का सहारा लेना चाहिए। इससे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। उन्होंने आगे कहा कि, ‘आपको यह जान कर हैरानी होगी कि मानसिक स्वास्थ्य कि बात की जाए तो हर 6 वाँ युवा भारतीय मानसिक रूप से अस्वस्थ हैं। स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए सभी को मानसिक स्वास्थ्य की समझ होना जरूरी है। भारत हैपीनेश इंडेक्स में 136वें पड़ाव पर है। इसका मतलब यह हुआ कि हम भारतीय खुश रहना भूलते जा रहे हैं। हमें खुश रहना और जीवन को आनंद में जीना नहीं आता है। मानसिक स्वास्थ्य को ठीक करके हम स्वास्थ्य के जंग में उत्तम हो सकते हैं। 


उन्होंने आगे कहा कि, ‘कोविड 19 के काल में यह मानसिक समस्या अधिक बड़ी है। शहर और गाँव हर जगह लोग शारीरिक स्वास्थ्य को ही ढंग से नहीं समझते तब वो मानसिक बीमारी को कैसे समझेंगे। लोगों को शरीर और मन के मध्य संतुलन बनाना सिखना होगा। यह काफी मुश्किल है लेकिन असंभव नहीं है।‘  उन्होंने आगे कहा कि गाँव के लोग अपने स्वास्थ्य को लेकर जागरूक नहीं होते हैं। वो शरीर की बीमारी को नजरअंदाज करते हैं ऐसे में उन्हें नहीं दिखने वाली मानसिक बीमारी के बारे में समझाना काफी मुश्किल होगा लेकिन अगर अभी पहल नहीं की तो बहुत देर हो जाएगी। उन्होंने कहा कि स्वस्थ भारत (न्यास) ने जेनेरिक मेडिसन को जनता तक पहुंचाने का जो पहल किया है वह सराहनीय है। इस पहल की सुरक्षा के लिए सरकार को लोकपाल निरीक्षण जैसी व्यवस्था बनाने की जरूरत है जो निर्धारित करे कि सरकार की कोशिश जनता को फायदा पहुंचा रही है।  श्री सिन्हा ने कहा कि स्वस्थ भारत का लक्ष्य काफी बड़ा है इसे धैर्य के साथ जनता तक पहुंचाना होगा। अभी तक जो भी किया गया है उससे जनता जागरूक हुई है। लेकिन अभी यह यात्रा चलती रहनी चाहिए। उद्घाटन सत्र का शुभारंभ आध्यात्मिक गुरु पवन सिन्हा, अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के डीन प्रो. (डॉ.) महेश व्यास, मेवाड़ विश्वविद्यालय के चेयरमैन डॉ. अशोक गदिया, वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कुमार सिंह, वरिष्ठ पत्रकार पंकज चतुर्वेदी एवं ट्रस्ट के संस्थापक श्री आशुतोष कुमार सिंह सहित कई गणमान्य लोगों ने किया। उद्घाटन सत्र में अरविंद कुमार सिंह (वरिष्ठ पत्रकार) ने स्वस्थ भारत (न्यास) के स्थापना के विचार उसके द्वारा किये गए यात्राओं और कार्यो तथा 7 वर्ष के दौरान उठाए गए महत्वपूर्ण कदमों और पहलुओं से अवगत कराया। वहीं पंकज चतुर्वेदी, अमरनाथ झा, ऋतेश पाठक आदि ने संस्था के कार्यों को रेखांकित करते हुए आने वाले दिनों में स्वस्थ भारत के निर्माण में क्या किया जाना चाहिए इस विषय पर अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ पत्रकार केशव कुमा ने किया जबकि स्वागत उद्बोधन संस्था के चेयरमैन आशुतोष कुमार सिंह ने किया।

कोई टिप्पणी नहीं: