घर की महिला के मानसिक सेहत का ध्यान रखना पुरुषों की जिम्मेदारी : :डॉ. मीना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 13 मई 2022

घर की महिला के मानसिक सेहत का ध्यान रखना पुरुषों की जिम्मेदारी : :डॉ. मीना

  • कोविड काल में मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति एवं समाधान विषय पर विशेषज्ञों ने बताएं खुश रहने के गुर
  • महिलाओं की मानसिक सेहत पर विशेष ध्यान देने की जरूरत

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नई दिल्ली, मानसिक डिसऑडर से पीड़ित व्यक्ति में सबसे बड़ी समस्या यह होती है कि उसे यह पता ही नहीं चलता है कि वो इससे पीडित है लेकिन समय रहते अगर इसे डाईगनोस कर लिया जाये तो इस समस्या से असानी से पार पाया जा सकता है।  स्वस्थ भारत के निर्माण में मानसिक स्वास्थ्य की चुनौतियां और समाधान विषय पर मुख्य वक्ता के तौर पर बोलते हुए ब्रेन बिहैवियर रिसर्च फाउंडेशन ऑफ इंडिया की चेयरपर्सन डॉ. मीना मिश्रा ने कहा कि यदि हम स्वयं में कुछ विशेष लक्षण जैसे अगर हमको टीवी देखना पसंद है और अचानक उसे देखना बंद कर दें, खेलना पसंद है और खेलने का मन नहीं हो रहा है या पढ़ना पसंद है लेकिन पुस्तकों की ओर देखना की इच्छा भी नहीं हो रही है, तो हमको समझ जाना चाहिए कि हमें तनाव घेर रहा है या हम अवसाद की ओर बढ़ रहे हैं। ऐसे में बेहद जरूरी है कि हम अपनी बातें अपने किसी खास विश्वास पात्र दोस्त, रिश्तेदार या निकट संबंधी से साझा करें या अपने को किसी अपनी मनपंसद हॉबी संगीत, नृत्य या लेखन में व्यस्त करें ऐसा करने से हम अपनी उलझन का हल पा सकते हैं और तनाव से निकल सकते हैं। ऐसा करने में एक से चार हफ्ते का समय लग सकता है। दो दिवसीय स्वास्थ्य अमृत मंथन शिविर में डॉ. मीना मिश्रा ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि यदि कभी कोई मानसिक तनाव और अवसाद हो तो मनोवैज्ञानिक के पास अवश्य जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि, ‘कोरोना काल में हमने रिश्तों और परिवार के महत्व को देखा समझा और हम सभी को दोस्तों रिश्तेदारों की अहमियत समझ में आई।  डॉ. मीना मिश्रा ने शिविर में, “घरेलू महिलाओं में तनाव और अवसाद” विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि घरेलू महिलाएं अपनी बात किसी से कह नहीं पाती इसलिए उनका हमें विशेष ध्यान रखना होगा। वो शरीरिक स्वास्थ्य का भी ध्यान नहीं रखती हैं। पूरा परिवार उनके ऊपर निर्भर होता है। उनको भी दोस्त और अपनेपन की जरूरत होती है। माँ, बहन और पत्नी की मानसिक सेहत का ध्यान रखना घर के पुरुषों की जिम्मेदारी है। इसी सत्र की अध्यक्षता कर रहे सिंपैथी के निदेशक डॉक्टर आर.कान्त ने कहा कि, मानसिक तनाव और अवसाद से बचने का सबसे अच्छा तरीका है इज यानि चैन से जीवन जीये। दिखावे और स्टैटस के चक्कर में न फंसे। कोई आपको सम्मान दे तो भी खुश न दे तो भी खुश रहें। खुश रहें और दूसरों को खुश रहने दें।” इस सत्र का संचालन वरिष्ठ लेखक व पत्रकार अनिल गोयल ने किया।

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