नयी दिल्ली, 07 सितंबर, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को एक नई केंद्र प्रायोजित योजना-पीएम (प्रधानमंत्री) श्री स्कूल (पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया) को मंजूरी दी जिसके तहत करीब 14,500 से अधिक स्कूलों को विकसित करने पर अनुमानित 27,360 करोड़ रुपये के खर्च किए जाएंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक के बाद जारी विज्ञप्ति में बताया गया है कि केंद्र सरकार/राज्य/संघ शासित क्षेत्र सरकार/स्थानीय निकायों द्वारा प्रबंधित कुछ चयनित मौजूदा स्कूलों को मजबूत करके देश भर के 14500 से अधिक स्कूलों को पीएम श्री स्कूलों के रूप में विकसित करने के लिए यह एक नई योजना लागू की जाएगी। प्रति प्रखंड ऐसे दो विद्यालय विकसित करने की योजना है। विज्ञप्ति के अनुसार पीएम श्री स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम उभरते भारत के लिए स्कूल) को केंद्र प्रायोजित योजना के रूप में लागू किया जाएगा, जिसकी कुल परियोजना लागत 27360 करोड़ रुपये है। इसमें वर्ष 2022-23 से 2026-27 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए केंद्र की ओर से 18128 करोड़ रुपये का व्यय प्रस्तावित है। सरकार ने कहा है कि पीएम श्री स्कूल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के सभी घटकों का प्रदर्शन करेंगे, अनुकरणीय स्कूलों के रूप में कार्य करेंगे और अपने आसपास के अन्य स्कूलों को सहायता और मार्गदर्शन भी प्रदान करेंगे। पीएम श्री स्कूल छात्रों के संज्ञानात्मक विकास के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षण प्रदान करेंगे और 21 वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल से युक्त समग्र और पूर्ण-विकसित व्यक्तियों के निर्माण और उनका पोषण करने का प्रयास करेंगे। इनमें शिक्षकों और छात्रों के बीच भाषा की बाधाओं को पाटने में मदद करने के लिए तकनीकी हस्तक्षेपों का उपयोग करते हुए मातृभाषा को शिक्षा के माध्यम के रूप में प्रोत्साहित किया जाएगा। पीएम श्री स्कूलों को हरित विद्यालय के रूप में विकसित किया जाएगा। इन स्कूलों में सौर पैनल और एलईडी लाइट, प्राकृतिक खेती के साथ पोषण उद्यान, अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक मुक्त, जल संरक्षण और जल संचयन, पर्यावरण की सुरक्षा से संबंधित परंपराओं / प्रथाओं का अध्ययन, जलवायु परिवर्तन से संबंधित हैकथॉन और जैविक जीवन शैली को अपनाने के लिए जागरुकता जैसे पर्यावरण-अनुकूल पहलुओं को शामिल करने की योजना है।
सरकार का कहना है कि इन स्कूलों का उद्देश्य छात्रों का न केवल संज्ञानात्मक विकास करना होगा, बल्कि 21 वीं सदी के महत्वपूर्ण कौशल से युक्त, समग्र और पूर्ण-विकसित व्यक्तियों का निर्माण करना भी होगा। इन स्कूलों में अपनाया गया शिक्षाशास्त्र अधिक अनुभवात्मक, समग्र, एकीकृत, खेल/खिलौना आधारित (विशेषकर, प्राथमिक वर्षों में) पूछताछ-संचालित, खोज-उन्मुख, शिक्षार्थी-केंद्रित, चर्चा-आधारित, लचीला और मनोरंजक होगा। इन्हें रोजगार क्षमता बढ़ाने और बेहतर रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए क्षेत्र कौशल परिषदों और स्थानीय उद्योगों के संपर्क में भी रखा जाएगा। पीएम श्री स्कूलों को समग्र शिक्षा, केवीएस और एनवीएस के लिए उपलब्ध मौजूदा प्रशासनिक ढांचे के माध्यम से लागू किया जाएगा। अन्य स्वायत्त निकायों को आवश्यकतानुसार विशिष्ट परियोजना के आधार पर शामिल किया जाएगा। इन स्कूलों की प्रगति का आकलन करने और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के कार्यान्वयन में आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए इनकी सख्ती से निगरानी की जाएगी। पीएम श्री स्कूलों का चयन प्रतिस्पर्धा के माध्यम से किया जाएगा, जिसमें विभिन्न स्कूल अनुकरणीय स्कूल बनने के लिए सहायता प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे। स्कूलों को ऑनलाइन पोर्टल पर स्वयं आवेदन करना होगा। इस योजना के पहले दो वर्षों के दौरान, इस पोर्टल को वर्ष में चार बार, यानी प्रत्येक तिमाही में एक बार खोला जाएगा। ऐसे प्राथमिक विद्यालय (कक्षा 1-5 / 1-8) और माध्यमिक / उच्च माध्यमिक विद्यालय (कक्षा 1-10 / 1-12 / 6-10 / 6-12) जिनका प्रबंधन केंद्र / राज्य / केंद्र शासित प्रदेश सरकारों / यूडीआईएसई+ कोड वाली स्थानीय स्व-सरकारों द्वारा किया जाता है उनके चयन के लिए इस योजना के अंतर्गत विचार किया जाएगा। ये चयन निश्चित समय सीमा के अंदर तीन चरणों वाली प्रक्रिया के जरिए किया जाएगा। प्रथम चरण में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेंगे जिसमें वे एनईपी को संपूर्ण रूप से लागू करने पर सहमति जताएंगे और केंद्र इन स्कूलों को समर्थन देने के लिए प्रतिबद्धताओं को तय करेगा ताकि पीएम श्री स्कूलों के रूप में निर्दिष्ट गुणवत्ता का आश्वासन प्राप्त किया जा सके। दूसरे चरण में यूडीआईएसई+ डेटा के माध्यम से निर्धारित न्यूनतम बेंचमार्क के आधार पर उन स्कूलों के पूल की पहचान की जाएगी जो पीएम श्री स्कूलों के रूप में चुने जाने के योग्य हैं। तीसरे चरण में कुछ मानदंडों को पूरा करने के लिए चुनौती पद्धति पर आधारित है। इसमें स्कूलों के उपरोक्त पात्र पूल में से ही विद्यालय, चुनौती की शर्तों को पूरा करने के लिए मुकाबला करेंगे। इन शर्तों की पूर्ति को राज्यों/केवीएस/जेएनवी द्वारा भौतिक निरीक्षण के जरिए प्रमाणित किया जाएगा। स्कूलों के दावों का सत्यापन राज्य/केंद्र शासित प्रदेश/केवीएस/जेएनवी करेंगे और स्कूलों की सूची मंत्रालय को सुझाएंगे। पूरे भारत में कुल स्कूलों की संख्या की ऊपरी सीमा के साथ प्रति ब्लॉक/यूएलबी अधिकतम दो स्कूलों (एक प्राथमिक और एक माध्यमिक / उच्च माध्यमिक) का चयन किया जाएगा। पीएम श्री स्कूलों के चयन और निगरानी के लिए स्कूलों की जियो-टैगिंग की जाएगी।
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